नई दिल्ली। ट्रांसजेंडर लोक नृत्यांगना(Transgender folk dancer) मंजम्मा जोगती (Manjamma Jogti) को मंगलवार को राष्ट्रपति ने पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित(President Confers Padma Shri Award) किया। पुरस्कार लेते वक्त मंजम्मा जोगती (Manjamma Jogti) ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) का अनोखे अंदाज में अभिवादन किया। इसे देखकर दरबार हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
इस साल के पद्म पुरस्कारों की लिस्ट में सात पद्म विभूषण, 10 पद्म भूषण और 102 पद्म श्री पुरस्कार शामिल हैं। इनमें से 29 पुरस्कार विजेता महिलाएं, 16 मरणोपरांत पुरस्कार विजेता और मंजम्मा जोगती (Manjamma Jogti) इकलौती ट्रांसजेंडर पुरस्कार विजेता हैं। मंजम्मा जोगती (Manjamma Jogti) के जीवन का सफर काफी मुश्किलों भरा रहा है लेकिन मंजम्मा जोगती (Manjamma Jogti) टूटी नहीं, लड़ती रहीं।
जब मंजम्मा ने जहर खा लिया था
एक इंटरव्यू में मंजम्मा जोगती (Manjamma Jogti) ने कहा कि- दीक्षा लेने के बाद मैं मंजूनाथ से मंजम्मा जोगती (Manjamma Jogti) बन गई। घर का बेटा मंजूनाथ खत्म हो चुका था। मां को बेटा खोने का दर्द था। मेरी मां कई दिनों तक घर में पड़े रोती रही। वह बात-बात में कहती कि मैंने अपना बेटा खो दिया है। मेरा बेटा अब मेरे लिए मर चुका है। मां की ये बातें मंजम्मा जोगती (Manjamma Jogti) सह नहीं सकी और एक दिन उसने जहर खा लिया, लेकिन घर वाले उसे अस्पताल ले गए और उसकी जान बच गई।
भीख मांगी, गैंगरेप का भी शिकार हुईं
ठीक होने के बाद मंजम्मा जोगती (Manjamma Jogti) ने घर छोड़ने का फैसला कर लिया। घर से निकलने के बाद उनके पास खाने और रहने का कोई ठिकाना नहीं था। मंजम्मा जोगती (Manjamma Jogti) भीख मांगकर गुजारा करने लगीं। उसी दौरान उनका छह लोगों ने उनके साथ दुष्कर्म (rape) किया। जो पैसे उन्होंने भीख मांगकर जुटाए थे, वे भी लूट लिए। मंजम्मा जोगती (Manjamma Jogti) को लगा कि अब इस दुनिया में आखिर जीने के लिए क्या है, किसके लिए जिया जाए। उन्होंने फिर से आत्महत्या का रास्ता चुनना चाहा, लेकिन सड़क पर जोगती नृत्य करते एक बाप-बेटे को देखकर उन्होंने ये फैसला बदल दिया।
ऐसे शुरू हुआ मंजम्मा का जोगती नृत्य
कर्नाटक में दावणगेरे बस स्टैंड के पास एक पिता-पुत्र की जोड़ी लोक गीत और नृत्य के जरिए लोगों का मन बहला रही थी। पिता गीत गाते और बेटा नाचता था। बेटा सिर्फ नाच ही नहीं रहा था, बल्कि स्टील के घड़े को सिर पर रखकर, उसे बिना गिराए अपनी कला का प्रदर्शन भी कर रहा था। वह जमीन पर गिरे सिक्कों को अपने मुंह से उठा भी रहा था, इसी अवस्था में। यही ‘जोगती नृत्य’ है।
दूर खड़े तमाम लोगों के बीच मंजम्मा जोगती बड़े ध्यान से इन्हें देख रही थीं। इसी पिता से मंजम्मा ने भी यह नृत्य सीखने का मन बनाया और उनके शरण में चली गई। इसके बाद मंजम्मा रोज उस आदमी की झोपड़ी में जाकर नृत्य सीखने लगीं।
क्या है जोगती नृत्य?
जोगती नृत्य जोगप्पा लोगों का लोक नृत्य है। इस पारंपरिक लोक नृत्य को जो महिलाएं करती हैं, वह आमतौर पर ‘ट्रांस वीमेन’ होती हैं। मंजम्मा जोगती भी ट्रांस वीमेन हैं। ये मुख्यतः उत्तरी कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में रहती हैं। उनके नृत्य के लगाव को देखते हुए साथी जोगप्पा ने उन्हें एक लोक कलाकार से मिलवाया। उसका नाम था, कालव्वा। इन्होंने मंजम्मा से नृत्य करने को कहा। कालव्वा एक विशेषज्ञ थे और मंजम्मा नौसिखिया। वह डर गईं कि इतने बड़े लोक कलाकार के सामने वह कैसे नाचेंगीं, लेकिन मंजम्मा नाचीं और बेहद खूबसूरत नाचीं। कालव्वा जैसे-जैसे धुन बदलते, मंजम्मा उतना ही बेहतरीन नाचतीं। इसके बाद कालव्वा ने उन्हें नाटकों में छोटे-मोटे रोल के लिए बुलाना शुरू किया।
जोगती नृत्य की पहचान बन गई मंजम्मा
मंजम्मा धीरे-धीरे लीड रोल करने लगीं। उनका थिएटर और नृत्य में मन लग गया। अब उनके नाम भर से शो चलने लगे। मंजम्मा अब जोगती नृत्य की पहचान बन गई थीं। उन्होंने ही इस नृत्य को आम जनमानस में पहचान दिलाई। डेक्कन हेराल्ड से बातचीत में वह कहती हैं, ‘सच कहूं तो मैंने ये नृत्य इसलिए नहीं सीखा क्योंकि मेरा बहुत मन था। मैंने ये नृत्य इसलिए सीखा ताकि अपनी भूख से लड़ सकूं। इससे अपनी जिंदगी चला सकूं। अगर मैंने सड़कों पर भीख मांगना या फिर सेक्स वर्कर बनना चुना होता तो आज मैं जिंदा नहीं होती। जोगती नृत्य ही मुझे आगे लेकर आया है और मैं चाहती हूं कि ये नृत्य और जोगप्पा समुदाय आगे बढ़े। जो इसने मेरे लिए किया, मैं भी इसके लिए वही कर सकूं।’
कर्नाटक जनपद अकादमी की पहली ट्रांसजेंडर अध्यक्ष
साल 2006 में मंजम्मा जोगती को कर्नाटक जनपद अकादमी अवॉर्ड दिया गया। फिर साल 2010 में कर्नाटक राज्योत्सव सम्मान। आज वह ‘कर्नाटक जनपद अकादमी’ की पहली ट्रांसजेंडर अध्यक्ष हैं। अब तक इस पद पर सिर्फ पुरुष ही चुने जाते थे। यह अकादमी साल 1979 में बनी थी। इस संस्था का काम राज्य में लोक कला को आगे बढ़ाना है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved