नागदा (प्रफुल्ल शुक्ला)। कहने को तो देशव्यापी टीकाकरण अभियान के चलते लाखों लोगों की जाने लेने के बाद कोरोना का कहर थम चुका है, परंतु व्यापारिक दृष्टिकोण से यह असर अभी भी जारी है। शहर का एक मात्र मनोरंजन का केन्द्र बिन्दु फ़ार्चुनमाल मल्टी प्लेक्स बंद हो चुका हैं। नागदा शहर में अब एक भी मल्टी प्लेक्स नहीं है। फि़ल्म देखने के लिए अब शहरवासियों को 55 किमी दूर उज्जैन जाना पड़ेगा।
मात्र चार वर्ष में ही थम गए कदम
युवा व्यापारी शशांक सेठिया ने वर्ष 2016 मे शहर को फ़ार्चुनमाल के रुप में बड़ी सौगात दी। नागदा जैसे छोटे शहर में इस तरह का पहला प्रयोग था जिसमें असफलता की भी पूरी संभावना थी। इस माल में सिनेमाहाल के साथ बच्चों के लिए गेमिन्ग झोन रेस्टोरेन्ट सहित सुविधायुक्त बनाया गया। युवा व्यवसायी का यह प्रयोग सफ़ल हुआ और लगातार लगभग साढ़े तीन वर्ष शहरवासियों का भरपूर मनोरंजन करता रहा। कोरोना की दस्तक के साथ पूरे देश के थियेटर के साथ फ़ार्चुनमाल भी बंद करना पड़ा। युवा व्यवसायी के अनुसार लाकडाउन के लम्बे चले दौर के कारण स्टाफ़ सहित अन्य खर्च वहन करना सम्भव नहीं था, साथ ही भविष्य में कोरोना की तीसरी लहर का खतरा बरकरार रहने के कारण थियेटर को बंद करने का कठिन निर्णय लेना पड़ा। थियेटर बंद रहने के बावजूद पहले कई माह तक लगभग 1 लाख 25000 प्रति माह बिजली का बिल भरना पड़ा और बाद में लगभग 40 हजार प्रतिमाह भरना पड़े। इसके अतिरिक्त रखरखाव का भारी खर्च भी उठाना पड़ा।
सूर्यवंशी फि़ल्म को लेकर था उत्साह
लम्बे समय के बाद दीपावली पर थियेटर मे रिलिज हुई, अक्षय कुमार की फि़ल्म सूर्यवंशी को लेकर शहरवासियों में काफ़ी उत्साह था। खासतौर पर युवाओं में पर फ़ार्चूनमाल के बंद होने और फि़ल्म के नहीं लगने से निराश होना पड़ा। यह निराशा और भी ज्यादा हो गयी जब इसके हमेशा के लिए बंद होने की बात सामने आई। अब जब तक कोई नया थियेटर नहीं बनता है तब तक शहरवासियों को फि़ल्म देखने के लिए 55 किमी दूर उज्जैन जाना पड़ेगा।
मांगलिक भवन के रूप में होगा उपयोग
फ़ार्चूनमाल जो कि थियेटर के स्वरूप में बना था का उपयोग अब मांगलिक कार्यक्रम में किया जाना प्रारम्भ हो गया है। मांगलिक कार्यक्रमों की आवश्यकताओं के अनुसार इसमें जरूरी परिवर्तन भी किए गए है।
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