• img-fluid

    रामसेतु पत्थरों पर रिसर्च: MP में बनेंगे ‘पानी में तैरने वाले पत्थर’, बन सकेंगे हल्के पुल और मकान

  • November 09, 2021

    उज्जैन। महाकाल की नगरी उज्जैन (Ujjain) में राम सेतु के पत्थरों (Ram Setu Stone) पर रिसर्च की तैयारी है। विक्रम यूनिवर्सिटी (Vikram University) और इंजीनियरिंग कॉलेज उज्जैन के छात्र रामसेतु के पत्थरों पर रिसर्च करके पता लगाएंगे कि ये किस पदार्थ के बने हैं जो पानी में डूबते नहीं हैं। अगर प्रयोग सफल रहा तो फिर लैब में ऐसे पत्थर तैयार कर उनका इस्तेमाल पुल-पुलिया और हल्के मकान बनाने में किया जाएगा. इस पत्थर को भूकंप और बाढ़ वाले क्षेत्रों में उपयोग में लाया जा सकेगा।

    उज्जैन की विक्रम यूनिवर्सिटी ने हाल ही में राम चरित्र मानस में विज्ञान के नाम से एक सर्टिफिकेट कोर्स की शुरूआत की है। रिसर्च में समझने की कोशिश की जाएगी कि राम सेतु में लगे पत्थरों का स्ट्रक्चर क्या है, वह कितना भार सह सकता है? अगर उस स्ट्रक्चर को लैब में बना सकें तो यह बड़ी उपलब्धि होगी. इसे भूकंप और बाढ़ वाले क्षेत्रों में उपयोग में लाया जा सकेगा।


    विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय का कहना है राम चरित मानस में डिग्री पाठ्यक्रम शुरू करने के बाद अब रामायण काल में बने रामसेतु का भी अध्ययन किया जाएगा. इसके पीछे उद्देश्य उस बारे में जानना है, जिससे पत्थर बना है. इसरो, नासा, आईआईटी सहित अन्य कई एजेंसियों ने यह तो पता लगा लिया है कि यह पत्थर प्यूबिक मटेरियल से बना हैय़

    यह एक वैज्ञानिक रिसर्च पर आधारित कोर्स होगा जिसमें उज्जैन के इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र-छात्राओं की मदद ली जाएगी। दोनों के बीच हाल ही में एक MOU साइन हुआ है। मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने समुद्र पार कर मां सीता को लंका से लाने के लिए रामसेतु (Ram Setu) बनाया था। भारत के दक्षिण-पूर्व में रामेश्वरमसे श्रीलंका (Rameshwaram to Sri Lanka) के पूर्वोत्तर में मन्नार द्वीप के बीच चट्‌टानों की चेन है। इसे रामसेतु बताया जाता है. इसकी लंबाई करीब 48 किमी है।

    उज्जैन के गेसू इंजीनियरिंग कॉलेज से MOU साइन हुआ है। कुलपति अखिलेश पांडे का कहना है अगर प्रयोग सफल रहा तो लैब में ऐसे पत्थर बनाए जाएंगे। ये बाढ़ और भूकंप ग्रस्त इलाकों में कारगर और सस्ते साबित होंगे। इससे हल्के मकान और निर्माण कार्य किये जा सकेंगे। इससे नुकसान कम होगा। देश के लिए एक कंट्रीब्यूशन होगा इसका उद्द्देष्य जो अध्यात्म में वेज्ञानिक रहस्य छुपे है उसको सामने लाना है और उस पर कार्य करना है।

    विक्रम यूनिवर्सिटी के कुलपति अखिलेश कुमार का कहना है कि भगवान राम के समय बने रामसेतु में लगे पत्थर कोरल हैं जिसमें छेद होता है और हवा भरी होती है. इसी वजह से वो पानी मे तैरते हैं. ऐसे अलग किस्म के पत्थरों पर रिसर्च के लिए सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया गया है।

    Share:

    छत्तीसगढ़: शरीर से जुड़े दो जुड़वा भाइयों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, पिता पर लग रहे ये आरोप

    Tue Nov 9 , 2021
    रायपुर। छत्तीसगढ़(chhattisgarh) के दो जुड़वा भाई शिवराम साहू (shivram sahu) और शिवनाथ (Shivnath) का निधन (death of two twin brothers) हो गया है. बलौदा बाजार जिले के खैंदा गांव में रहने दोनों भाइयों के शरीर आपस में जुड़े हुए थे और इनके कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हो चुके हैं. लेकिन संदिग्ध हालात […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    गुरुवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved