नहाय खाय से शुरू होगा छठ महापर्व
इंदौर। दो साल बाद सार्वजनिक रूप से मनाए जा रहे छठ महोत्सव (Chhath Festival) के लिए जहां पूर्वोत्तर सांस्कृतिक संस्थान (Northeast Cultural Institute) के पदाधिकारियों और प्रमुख समितियों ने स्वयं और निगम के साथ मिलकर शहर के प्रमुख कुंडों और घाटों की सफाई और रंग-रोगन का काम किया, वहीं कई कुंड ऐसे भी रहे, जो पिछली बार छठ पर्व (Chhath festival) के लिए बनाए गए थे, वो कूड़ादान (Dustbin) बन गए और उनमें कचरा भरा पड़ा है। सुखलिया (Sukhlia) पानी की टंकी के पास बने झोन के पीछे स्थित ऐसे कुंड की सफाई पर किसी ने ध्यान नहीं दिया है। इस कुंड में कचरा भरा पड़ा है। यही हाल मेघदूत नगर (Meghdoot Nagar) में बने कुंड के भी हैं। यहां अब तक कोई भी सफाई के लिए नहीं पहुंचा है।
36 घंटे का करेंगे निर्जला उपवास, 11 को सुबह सूर्य को अघ्र्य के साथ पर्व का समापन
दो साल बाद सार्वजनिक रूप से मनाए जा रहे छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होगी। सुबह जल्दी व्रतधारियों ने घर के आंगन में चूल्हा बनाकर विधि-विधान से स्नान-ध्यान किया और शुद्ध बर्तन में खुद के बनाए चावल, दाल, लौकी की सब्जी (Vegetable) के साथ छठ महाव्रत (Chhath Mahavrata) का संकल्प करते हुए भोजन प्रसाद ग्रहण (Food offerings) किया। कल पंचमी पर खरना होगा, जिसमें व्रतधारी दिनभर का उपवास करने के बाद शाम को गन्ने के रस से बनी चावल की खीर के साथ दूध, चावल का पिठ्ठा और घी लगी रोटी का प्रसाद भगवान सूर्य (Lord Sun) को भोग लगाने के बाद ग्रहण करेंगे, जिसके बाद व्रतधारियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास (Waterless fasting) शुरू होगा। तीसरे दिन बुधवार को अस्ताचलगमी सूर्य को व्रतधारी जलकुंड में खड़े होकर अघ्र्य देंगे और 11 नवंबर की सुबह उगते सूर्य को अघ्र्य देने के साथ ही महापर्व का समापन होगा।
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