– कैट ने कहा, ई-कॉमर्स बाजार का खुदरा व्यापार पर हावी होने का भ्रम भी टूट गया
नई दिल्ली। पिछले वर्ष कोविड-19 की वजह से थम गए व्यापार को इस त्योहारी सीजन (festive season) में पंख लग गए हैं। इस दिवाली देशभर के बाजारों में उपभोक्ताओं की जबरदस्त भीड़ और 1.25 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड कारोबार (record business) ने एक बार फिर व्यापारियों पर उपभोक्ताओं के विश्वास को जगा दिया है। इससे देश में ऑफलाइन व्यापार की महत्ता साबित हुई है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) (Confederation of All India Traders (CAIT)) ने रविवार को यह बात कही।
कारोबारी संगठन कैट का कहना है कि थिंक टैंक, अर्थशास्त्रियों, खुदरा विशेषज्ञों और सरकार के कुछ वर्गों ने कहा था कि ऑफलाइन व्यापार के दिन अब लद गए हैं। ई-कॉमर्स कारोबार देश के खुदरा व्यापार से कहीं आगे निकल जाएगा। इतना ही नहीं, भारत में जल्द ही बाजारों की प्रासंगिकता पर सवालिया निशान लग जाएगा, लेकिन इस त्यौहारी सीजन में देशभर में व्यापार ने उन सब बातों को गलत साबित किया है।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल का कहना है कि उपभोक्ताओं के खरीदी व्यवहार को ध्यान में रखते हुए कैट ने केंद्र सरकार से विदेशी वित्त पोषित ई-कॉमर्स कंपनियों, बड़े ब्रांडों द्वारा ई-कॉमर्स व्यापार के एक्सक्लूसिव सेल और ऑनलाइन पोर्टलों से खरीद पर कैश बैक देने वाले बैंकों के काले गठजोड़ समाप्त करने की लगातार मांग की है। लेकिन, इस प्रकार का भेदभावपूर्ण व्यवहार अब और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
खंडेलवाल ने कहा कि कैट ने खुदरा व्यापार और ई-कॉमर्स की सफाई अभियान शुरू करने का फैसला किया है, जिसकी रणनीति 16 नवंबर को कैट द्वारा बुलाई गई एक ऑनलाइन सम्मेलन में सभी राज्यों के प्रमुख व्यापारी नेताओं द्वारा तय की जाएगी। उन्होंने कहा कि दिवाली के बिक्री के आंकड़ों से उपजे व्यापारिक उत्साह को देश के व्यापारियों एवं उपभोक्ताओं के बीच जारी रहना आवश्यक है। क्योंकि, खुदरा कारोबारियों ने पिछले दो सालो में अपने सबसे खराब दिनों को देखा है।
उन्होंने कहा कि कैट ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल इंडिया फ्लैगशिप कार्यक्रम के तहत खुदरा व्यापार के मौजूदा प्रारूप को अपग्रेड, आधुनिकीकरण और कम्प्यूटरीकृत करने के लिए एक विशेष अभियान शुरू करने का फैसला किया है। इसके लिए जल्द ही केंद्र और राज्य सरकार के साथ कैट के प्रमुख व्यापारी नेता बातचीत कर दोनों सरकारों से कारोबारियों के समर्थित नीतियों को लागू करने की मांग करेंगे।
इन उत्पादों के कारोबार में 40-45 फीसदी की बढ़त
कैट महामंत्री ने कहा कि इस त्योहारी सीजन के दौरान, एफएमसीजी, उपभोक्ता वस्तुएं, इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल, खाद्यान्न, खिलौने, उपहार आइटम्स, रसोई का सामान और उपकरण, जूते, ऑप्टिकल आइटम, रेडीमेड वस्त्र, फैशन परिधान आदि में बड़े ब्रांडों ने राज्य में डिस्ट्रीब्यूटर और रिटेलर स्तर पर करीब 15 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की है। वहीं, जिन उत्पादों से प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत और लोकल पर वोकल अभियान को बेहद बल मिला है, जिससे राज्य स्तरीय हजारों लोकल ब्रांड और उत्पादों का उपयोग के व्यापार में 40 से 45 फीसदी वृद्धि हुई है।
खंडेलवाल ने कहा कि भारत में कुछ सौ बड़े ब्रांड हैं, लेकिन 25 हजार से ज्यादा स्थानीय ब्रांड खुदरा व्यापार के विभिन्न कार्य क्षेत्रों में लंबे वक्त से अपनी व्यावसायिक गतिविधियों चला रहे हैं, जिनका डीलर और रिटेलर नेटवर्क, ब्रांडेड उत्पादों की तुलना में बड़ा है। इसलिए उनका कारोबार इस बात को रेखांकित करता है कि स्थानीय ब्रांडों का देश में उपभोक्ता व्यय पर करीब 60 फीसदी हिस्सा है। इसको देखते हुए सरकार को अपनी नीति में परिवर्तन लाने के साथ खुदरा व्यापार के लिए नई और प्रोत्साहन आधारित नीतियां तैयार करनी होंगी।
कैट महामंत्री ने कहा कि छोटे कारीगरों, कुम्हारों, शिल्पकारों और स्थानीय छोटे उद्यमियों द्वारा बनाई या उत्पादित वस्तुओं की भारी मांग बनी हुई है। इसलिए उन्हें खुदरा व्यापार की मुख्य धारा में लाने के लिए विशेष प्रयासों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस छोटे लेकिन, महत्वपूर्ण क्षेत्र ने एक अनुमान के मुताबिक अपने व्यवसाय में दिवाली के त्योहारी सीजन में 70 फीसदी की भारी बढ़ोतरी दर्ज की है। खंडेलवाल ने कहा कि इस दिवाली पर ऑफ़लाइन व्यापार के रिकॉर्ड प्रदर्शन को देखते हुए कैट का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात कर ई-कॉमर्स व्यापार के नियम, ई-कॉमर्स पॉलिसी और एफडीआई नीति-2018 के प्रेस नोट नंबर 2 के स्थान पर एक नया प्रेस नोट तथा रिटेल व्यापार नीति को तुरंत लागू करने की मांग करेगा। (एजेंसी, हि.स.)
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