नई दिल्ली। 8 नवंबर 2016 को लागू की गई नोटबंदी (demonetisation) की तुलना में करीब पांच सालों बाद आज लोगों के पास मौजूद नकद राशि में 57.48 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 4 नवंबर 2016 को जहां लोगों के पास 17.97 लाख करोड़ रुपए की नकदी थी तो वहीं 8 अक्टूबर (October) 2021 को समाप्त हुए पखवाड़े (Fortnight) को इसमें 57.48 फीसदी यानी 10.33 लाख करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हो गई और यह सख्या बढक़र 28.30 लाख करोड़ तक पहुंच गई है। इस तरह से जहां लोगों के पास 25 नवंबर 2016 को 9.11 लाख करोड़ रुपए की नकदी थी वह 211 फीसदी तक बढ़ गई है। भारतीय रिजर्व बैंक (reserve bank of india) के आंकड़ों के अनुसार 23 अक्टूबर (October) 2020 को समाप्त हुए पखवाड़े (Fortnight) में लोगों के पास मौजूद नकद में 15,582 करोड़ की बढ़ोतरी हुई। वहीं एक साल के दौरान 8.5 फीसदी बढक़र 2.21 फीसदी तक हो गई।
बता दें कि, नवंबर, 2016 में 500 और 1000 रुपये नोटों को वापस लिए जाने से पहले 4 नवंबर, 2016 को लोगों के पास 17.97 लाख करोड़ रुपये का नकद था जो कि जनवरी, 2017 में घटकर 7.8 लाख करोड़ रुपये हो गया।
लोगों के पास नकद में बेतहाशा बढ़ोतरी तब भी जारी है जबकि सरकार (government) और आरबीआई (RBI) कम नकद, भुगतान के डिजिटलीकरण (digitization) और कई लेन-देन में नकद पर प्रतिबंध पर जोर दिया गया है।नवंबर, 2016 में नोटों को अचानक वापस लेने से अर्थव्यवस्था (economy) को तगड़ा झटका लगा था जिसके कारण मांग में तेजी से कमी आ गई थी, कारोबार के लिए संकट पैदा हो गया था और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि करीब 1.5 फीसदी तक गिर गई थी। नोटबंदी के बाद कई छोटी इकाइयों को अपना कारोबार बंद करना पड़ गया और इससे तरलता में कमी आ गई।
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