तिरुवनंतपुरम। केंद्र सरकार (Central govt.) द्वारा दिवाली (Diwali) के मौके पर आम जनता (Public) को खुशखबरी (Good News) दी गई है, तो वहीं, केरल (Kerala) के वित्त मंत्री के.एन. बालगोपाल (Finance Minister K.N. Balagopal) ने राज्य सरकार (State govt.) द्वारा ईंधन की कीमतों में कमी करने से इनकार कर दिया (Not to reduce fuel prices) है। इस पर अब बीजेपी ओर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्षों ने तीखे विरोध की चेतावनी दी है।
केंद्र द्वारा की गई कटौती के बाद, पेट्रोल की कीमत प्रति लीटर 12.27 रुपये कम हो गई है, जबकि डीजल की कीमतों में 6.30 रुपये की गिरावट आई है और राज्य में एक लीटर पेट्रोल की औसत कीमत 103.80 रुपये और डीजल की कीमत 91.59 रुपये प्रति लीटर हो गई है।
गुरुवार को यहां मीडिया से बात करते हुए बालगोपाल ने कहा कि केंद्र ने केवल बहुत ही न्यूनतम दर कम की है और हम इसे कम नहीं करने जा रहे हैं, क्योंकि राज्य भारी वित्तीय तनाव से गुजर रहा है। बालगोपाल ने कहा, “क्या हुआ केंद्र ने वही किया जो जेबकतरे करते हैं। एक व्यक्ति की जेब काटने के बाद, वह बस का किराया वापस देता है और केंद्र ने यही किया है। केरल कठिन समय से गुजर रहा है और इसलिए हम कम करने में असमर्थ हैं।”
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के. सुधाकरन ने कहा कि भले ही केंद्र का फैसला थोड़ा देर से आया हो, लेकिन हम इसका स्वागत करते हैं। सुधाकरन ने कहा, “हम राज्य सरकार को चेतावनी देते हैं, अगर वे एक मैचर करने में विफल रहते हैं, तो इससे सख्ती से निपटा जाएगा। अब तक अगर ईंधन की बढ़ती कीमतों के खिलाफ हमारा विरोध केंद्र के खिलाफ था, अगर राज्य सरकार ऐसा नहीं करती है, तो इन्हें हमारे द्वारा भारी विरोध देखने को मिलेगा।”
राज्य भाजपा अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने कहा कि केरल सरकार पूरे समय ईंधन की कीमतों के लिए केंद्र को दोषी ठहराती रही है और अब जब उन्होंने ऐसा कर लिया है, तो केरल सरकार को भी इसका पालन करना होगा। सुरेंद्रन ने कहा, “राज्य के वित्त मंत्री को अपनी बात रखनी चाहिए जैसा कि उन्होंने पहले कहा था, अगर केंद्र कम करता है, तो राज्य पालन करेगा, लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है, तो हम बड़े पैमाने पर विरोध शुरू करेंगे।”
विधानसभा सत्र चल रहा है, अगर बालगोपाल सोमवार से शुरू होने वाले अपने फैसले को संशोधित करने में विफल रहता है, तो केरल को एक बड़ा विरोध देखने को मिल सकता है।
अर्थशास्त्री मैरी जॉर्ज ने कहा, पिनराई विजयन सरकार को डरने की कोई बात नहीं है, क्योंकि चुनाव नजदीक नहीं हैं, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के लिए चीजें ऐसी नहीं हैं, क्योंकि कुछ बड़े राज्यों में महत्वपूर्ण चुनाव आ रहे हैं और इसलिए उनको कटौती करनी पड़ी।”
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