राजबाड़ा स्थित लक्ष्मी मंदिर पर आड़ा बाजार से लेकर जवाहर मार्ग तक 500 मीटर लंबी कतार..
इंदौर। अमावस्या तिथि (Amavasya Tithi) आज सुबह 06 बजकर 03 मिनट से प्रारंभ होकर देर रात 02 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी। इस बार 60 साल बाद तुला राशि में चार ग्रहों के संयोग, यानी चतुग्र्रही योग दीपावली (Deepawali) पर आम लोगों के लिए खुशियां लेकर आएगा। तुला राशि में सूर्य, चंद्र, मंगल और बुध की युति होगी। साथ ही मालव्य योग, चर और प्रीति योग का भी संयोग बन रहा है। यह संयोग विविध रोगों और शोक से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है। पिछले पौने दो साल से देश और विश्व कोरोना महामारी (Corona Epidemic) का दंश झेल रहा है। ज्योतिष की मानें तो दीपावली (Deepawali) पर बन रहा यह संयोग महामारी (Epidemic) एवं अन्य रोगों से मुक्ति दिलाएगा। दिवाली (Diwali) पर लक्ष्मी पूजन मुहूर्त का श्रेष्ठ प्रदोषकाल का मुहूर्त शाम 5.43 से रात्रि 8.18 मिनट तक है।
लक्ष्मी पूजन (Laxmi Puja) के शुभ मुहूर्त
विशेष मुहूर्त
प्रदोषकाल : सायं 5.43 से 8.18 तक
अभिजित काल : प्रात: 11.48 से 12.32 तक
शुभ : दोपहर 4.00 से 5.25 तक
अमृत : शाम 5.25 से 7.00 तक
चर : शाम 7.00 से रात्रि 8.36 तक
लाभ : रात्रि 11.47 से रात्रि 1.23 तक
स्थिर लग्न का मुहूर्त
वृषभ लग्न : शाम 6.03 से रात्रि 8.02 (पारिवारिक और आर्थिक लाभ के लिए)
कर्क लग्न : रात्रि 10.15 से 12.30 तक (विद्यार्थियों के लिए)
सिंह लग्न : मध्य रात्रि 12.30 से रात्रि 2.40 तक (व्यापारियों के लिए)
यह है प्रदोषकाल काल का महत्व
दिवाली (Diwali) की शाम को मुख्य रूप से माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, देवी सरस्वती, कुबेर और काली मां की पूजा होती है। दिवाली (Diwali) की शाम को प्रदोषकाल के समय लक्ष्मी पूजन (Laxmi Puja) का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि दिवाली (Diwali) की शाम को जिन घरों में मां महालक्ष्मी (Mahalaxmi) की पूजा होती है, वहां पर मां लक्ष्मी सदैव के लिए अपना निवास बन लेती हैं। दिवाली (Diwali) का प्रदोषकाल (Pradosh Kaal) सुख-समृद्धि प्रदान करता है।
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