नई दिल्ली । पराली न जलाने की तमाम अपील और कवायदों की अनदेखी करते हुए पंजाब के किसान (farmers of punjab) धड़ल्ले से पराली जला रहे हैं। इस सीजन में लगातार दूसरी बार एक दिन में रिकॉर्ड पराली जलाने के 3001 मामले सामने आए हैं। पंजाब में 24 अक्तूबर को जहां पराली जलाने के मामले शून्य थे, वहीं 29 अक्तूबर से 1353 मामले सामने आने के बाद पराली जलाने के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
मंगलवार से पहले 31 अक्तूबर को भी पंजाब में सबसे ज्यादा 2895 स्थानों पर पराली जलाई गई थी। जबकि एक नवंबर को 1796 जगहों पर पराली जलाने की घटनाएं दर्ज कराई गई थीं। मंगलवार को रिकॉर्ड मामले सामने आने से दिल्ली समेत एनसीआर की आबोहवा खराब हुई है। पंजाब में सबसे ज्यादा घटनाएं तरनतारन, अमृतसर और फिरोजपुर में हो रही हैं, वहीं हरियाणा के कैथल और करनाल में सबसे ज्यादा पराली जलाई जा रही हैं।
अन्य राज्यों में 214 घटनाओं के साथ मध्य प्रदेश दूसरे और 203 मामलों के साथ हरियाणा तीसरे नंबर पर है। इस साल उत्तर प्रदेश ने पराली जलाने के मामले में खासा अंकुश लगाने में सफलता हासिल की है यहां केवल 87 मामले ही सामने आए हैं किसानों का कहना है कि तमाम सरकारी कवायद के बाद भी पराली जलाने बढ़ते मामलों की वजह रबी की फसल की बुवाई में कम समय और पराली निस्तारण की मशीनों की महंगाई है।
जबकि हकीकत यह है कि पराली जलाने के लिए सरकार मशीनों के साथ पूसा डीकम्पोजर कैप्स्यूल भी उपलब्ध करा रही है, जोकि केवल पचास रुपये में पराली को खाद में बदल सकती है। किसानों का कहना है, सरकारी कवायद महज हवा हवाई है। हालांकि पिछले सालों के मुकाबले इस साल पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है। पिछले साल के मुकाबले इस साल 15 सितंबर से एक नवंबर तक पंजाब, हरियाणा,उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में अब तक 20,729 पराली जलाने के मामले सामने आए हैं। यह 2020 के मुकाबले 54.8 फीसदी कम है।
दिवाली बाद 38 फीसदी तक बढ़ सकता है पीएम 2.5 का स्तर
सफर ने दिवाली के बाद वायु प्रदूषण में इजाफा होने की आशंका जताई है। अक्तूबर में बारिश ने वायु प्रदूषण को संभाल लिया, लेकिन अब जिस तरह से किसान पराली जला रहे हैं, हवाओं के रुख में बदलाव आ रहा है, उसे देखते हुए हवा में पीएम 2.5 बढ़कर 38 प्रतिशत तक होने की संभावना है।
पराली जलाने के कुल मामले 51 फीसदी घटे
केंद्र के वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने बताया कि पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में इस मौसम में अब तक पराली जलाने की घटनाओं में 51 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है। आयोग ने कहा कि प्रवर्तन एजेंसियों ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के जिलों में 8,575 स्थलों का निरीक्षण किया है और पराली जलाने के लिए लगभग 58 लाख रुपये का पर्यावरण जुर्माना लगाया गया है।
आयोग ने बयान में कहा, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के एनसीआर जिलों और राजस्थान और दिल्ली में पराली जलाने की घटनाएं 2020 में 43,918 से घटकर 2021 में 15 सितंबर से दो नवंबर की अवधि के दौरान 21,364 हो गई हैं। पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में पराली जलाये जाने के मामलों में 51.35 प्रतिशत की कमी आई है। इस साल 27 अक्तूबर से दो नवंबर के बीच, 2020 की इसी अवधि में 23,628 मामलों के मुकाबले केवल 12,853 मामले दर्ज किये गये हैं और इस तरह 10,775 (45.6 प्रतिशत) मामले कम दर्ज किए गए हैं।
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