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समन्वय के साथ अवसंरचना विकास

November 01, 2021

– हरदीप एस पुरी

यदि सन्दर्भ के लिए किसी उदाहरण की आवश्यकता हो, तो इतिहास सटीक साक्ष्य प्रदान करता है। साम्राज्य की स्थापना होती है, यह समृद्धि प्राप्त करता है और फिर इसका पतन शुरू होता है। कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक्स, इस तथ्य का यदि संपूर्ण नहीं, तो आंशिक तौर पर स्पष्टीकरण प्रदान करते हैं। चंद्रगुप्त मौर्य और अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में उत्तरपथ नामक एक प्राचीन मार्ग के साथ राजमार्गों का निर्माण किया था। शेरशाह सूरी ने 16वीं शताब्दी में इस नेटवर्क का विस्तार किया और ढाका के बंदरगाहों को कश्मीर तथा कन्याकुमारी से जोड़ने वाले इस प्राचीन मार्ग का पुनर्निर्माण किया।

ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के 190 साल के इतिहास की अपनी कहानी है। निश्चित रूप से उन्होंने रेलवे, बंदरगाहों और पुलों का निर्माण किया, लेकिन इसका मुख्य उद्देश्य भारत से धन संग्रह करना और इसे समुद्र-पार इंग्लैंड भेजना, कच्चे कपास का निर्यात करना तथा लंकाशायर और मैनचेस्टर की मिलों में बने कपड़े का आयात करना था। अंग्रेज अलग-थलग होकर काम करने वाली नौकरशाही के अव्यवस्थित व साधारण कार्यों को पीछे छोड़कर चले गए। उनके द्वारा निर्मित रेल प्रणाली इसका एक अच्छा उदाहरण है। उनके संगठनों के डिजाइन आपसी तालमेल पर आधारित राष्ट्र निर्माण के लिए नहीं, बल्कि भारत के साम्राज्यवादी शोषण के लिए तैयार किए गए थे।

पहले के शासनकालों के दौरान, नीति निर्माण और इसे लागू करने के तरीके क्षेत्र-विशेष पर आधारित होते थे, जिससे भारत का आर्थिक विकास बाधित होता था। इसके परिणामस्वरूप धन और अवसरों का असमान वितरण होता था। नयी अवसंरचना को विस्तार के साथ विकसित भी नहीं किया जाता था और इसे अस्त व्यस्त तरीके से क्रियान्वित भी किया जाता था। हम ‘कार्य प्रगति पर है, धीमी गति से जाएँ’ साइनबोर्ड के अभ्यस्त हो गए थे। ऐसा इसलिए था कि सरकार के विभिन्न विभाग, बिना समन्वय के कार्य करते थे, जैसे दैनिक उपयोग के केबल और ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने के लिए नई सड़कों की खुदाई।

प्रधानमंत्री की गति शक्ति योजना देश की प्रगति की गति को ‘धीमी गति से जाएँ’ के स्थान पर ‘तेजी से जाएँ’ के बदलाव की दिशा में एक साहसिक कदम है। पिछले सात वर्षों में, हमारी सरकार ने विकास में तेजी लाने के उद्देश्य से अलग-अलग नीतियों और प्रक्रियाओं को सरल एवं एकीकृत करने के लिए बड़े व महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं।

जीएसटी ने वस्तुओं और सेवाओं के कराधान को सरल बनाया, जबकि जन धन-आधार-मुद्रा ने तत्काल प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण को बैंक खातों से जोड़ा। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, उड़ान, जल विकास मार्ग, औद्योगिक और माल ढुलाई गलियारा, भारतमाला और सागरमाला परियोजनाओं ने देश की अवसंरचना और औद्योगिक कौशल को अत्यधिक प्रोत्साहन प्रदान किया है।

कोविड-19 महामारी के दौरान भी, हमने एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन और आत्मनिर्भर भारत मिशन की शुरुआत की। हम तापमान-संवेदनशील नए वैक्सीन का सूत्र विशेषज्ञों द्वारा तैयार करने, बड़े पैमाने पर लगभग 1 बिलियन खुराक का उत्पादन करने, परिवहन करने, लोगों को टीके लगाने और अनुवर्ती कार्रवाई करने में सक्षम रहे हैं।

भारतीय उपभोक्ता आज ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के जरिये उसी दिन या अगले दिन उत्पाद प्राप्त करने का आनंद लेते हैं और अब समय आ गया है कि सरकार भी इन मानकों के अनुरूप कार्य पूरा करने में सक्षम हो सके। भारतीय लॉजिस्टिक्स क्षेत्र, जो 200 अरब डॉलर का है, अगले पांच वर्षों में 10 प्रतिशत सीएजीआर की दर से बढ़ेगा और 330 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। इस प्रकार यह क्षेत्र 5 ट्रिलियन डॉलर की भारतीय अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करेगा। हालांकि, भारतीय लॉजिस्टिक्स की लागत जीडीपी के 13-14 प्रतिशत के उच्च स्तर पर बनी हुई है, जबकि इसकी तुलना में विकसित देशों की लागत जीडीपी का मात्र 8-10 प्रतिशत होती है।

भारत का जनजीवन व्यापक रूप से सड़क पर निर्भर है। यहां का 60-65 प्रतिशत परिवहन सड़कों के माध्यम से हो रहा है, जबकि विकसित देशों में यह आंकड़ा महज 25-30 प्रतिशत है। इसकी वजह से यहां परिवहन लागत अधिक होती है। रेल से माल ढुलाई का व्यवसाय कोयले पर बहुत अधिक निर्भर है। शुरुआती बिंदु से लेकर अंतिम पड़ाव तक पहुंचने की उच्च लागत, ज्यादातर मामलों में रिटर्न लोड की अनुपलब्धता, विशिष्ट किस्म के जहाजों के लिए उच्च यात्रा लागत और घरेलू कंटेनरों की पुनर्स्थापन की उच्च लागत के कारण घरेलू जलमार्गों को कई चुनौतियों से जूझना पड़ता है।

पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान बुनियादी ढांचे के विकास और मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत करेगा। हम बुनियादी ढांचे के विकास से संबंधित विभिन्न मंत्रालयों की प्रमुख परियोजनाओं को एक मास्टर प्लान के तहत समेकित करेंगे। हम माल ढुलाई की लागत को कम करने एवं अपने उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने, निवेश को आकर्षित करने और लाखों की संख्या में नौकरियां पैदा करने के उद्देश्य से लॉजिस्टिक्स के विभिन्न तरीकों को अनुकूलित करने में सक्षम होंगे। हम प्रौद्योगिकी और भू-स्थानिक मानचित्रण का लाभ उठाते हुए एक ऑनलाइन डैशबोर्ड बनायेंगे, जोकि केन्द्र और राज्य की विभिन्न एजेंसियों, विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के साथ-साथ निजी क्षेत्र के उद्यमों को देशभर में चल रहे एक-दूसरे के नियोजित विकास से जुड़ी मौजूदा गतिविधियों पर एक दृष्टि डालने में सक्षम बनाएगा।

हमने सात साल की छोटी सी अवधि में एक लंबा सफर तय किया है। भारत में प्रतिदिन राजमार्ग निर्माण 2014-15 में 12 किलोमीटर/दिन की दर से लगभग 300 प्रतिशत बढ़कर 2020-21 में 33.7 किलोमीटर/दिन हो गया। पीएम गति शक्ति मास्टरप्लान के साथ, हम भारत के राजमार्ग के नेटवर्क को दो लाख किलोमीटर तक बढायेंगे और इसके आसपास बिजली एवं ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने के लिए यूटिलिटी कॉरिडोर का प्रावधान करेंगे, जोकि प्राकृतिक आपदाओं के समय खासकर बाढ़ एवं चक्रवात से प्रभावित होने वाले राज्यों में एक जीवन रक्षक साबित होंगे।

भारत ने अभूतपूर्व पैमाने पर शहरी अवसंरचना विकास के लिए 2004 से लेकर 2014 के बीच 10 वर्षों में खर्च किए गए 1.5 लाख करोड़ रुपये की तुलना में पिछले सात वर्षों में लगभग 11.5 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं। आज 18 शहरों में मेट्रो रेल नेटवर्क का विस्तार करके मेट्रो लाइन की लंबाई 721 किलोमीटर तक की गई है। वर्ष 2014 में मेट्रो लाइन की लंबाई 250 किलोमीटर थी। देशभर के 27 शहरों में 1,058 किलोमीटर लंबाई का मेट्रो नेटवर्क निर्माणाधीन है। पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान नियोजन एवं अनुमोदन से संबंधित प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करके और नागरिक सुविधाओं को एकीकृत करके शहरी अवसंरचना विकास को और आगे बढ़ाएगा।

हम देश के ऊर्जा मिश्रण में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को मौजूदा 7 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, क्योंकि प्राकृतिक गैस न केवल ऊर्जा का एक स्वच्छ स्रोत है, बल्कि इसका पाइपलाइनों के माध्यम से कुशलतापूर्वक परिवहन भी किया जाता है। 2014 के बाद से, भारत ने अपने गैस पाइपलाइन नेटवर्क की लंबाई 14,700 किलोमीटर से बढ़ाकर 18,500 किलोमीटर कर ली है और थर्मल एवं स्टील प्लांटों को 29 मिलियन मेट्रिक स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर प्रति दिन (एमएमएससीएमडी) और उर्वरक संयंत्रों को 44 मिलियन मेट्रिक स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर प्रति दिन (एमएमएससीएमडी) की दर से गैस की आपूर्ति की है। पीएम गति शक्ति के तहत, गैस पाइप लाइनों की अतिरिक्त 15,000 किलोमीटर लंबाई को स्टील, थर्मल, कृषि और गैस पर निर्भर बुनियादी ढांचे की अन्य परियोजनाओं से जोड़ा जाएगा।

पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान के तहत नियोजित विकास एवं निवेश के पैमाने के बारे में पूरी तरह से अंदाजा लगा लेना मुश्किल है। यह हमारे देश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा। यह दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए भारतीय अवसंरचना और लॉजिस्टिक्स में आमूल परिवर्तन ला देगा। आने वाली पीढ़ियां जब पीछे मुड़कर देखेंगी, तो पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान से पहले के भारत और उसके बाद के भारत में अंतर महसूस करेंगी।

(लेखक, केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री हैं।)

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