इंदौर। दिगम्बर जैन समाज (Digamber Jain) के संत आचार्य श्री 108 विमद सागर जी ने इंदौर के नन्दानगर मन्दिर के सामने संत सदन में फांसी लगाई।आचार्य चातुर्मास के सिलसिले में इंदौर में विराजे थे।
आचार्य विमद सागरजी ने 15 बरस की उम्र में दिक्षा ग्रहण की थी और वे आचार्य विराट सागर जी के शिष्य थे। 28 वर्ष की तपस्या के बाद आचार्य श्री ने 44 वर्ष की उम्र में फाँसी लगाकर जान दे दी।बताया जाता है कि आज दोपहर 2 बजे के क़रीब आचार्य श्री अपने कमरे में गए थे और उसके बाद जब लंबे समय तक बाहर नहीं निकले तो वहाँ मौजूद लोगों ने उन्हें बुलाने के लिए उनके कमरे में झांका तो देखा कि वे फाँसी के फंदे पर लटके हुए थे। लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने मौक़े पर पहुँच कर जाँच पड़ताल शुरू कर दी है। फाँसी लगाने का कारण अभी पता नहीं चला है।
विहार पर जाने से एक दीन पहले की आत्महत्या
बताया जा रहा है कि आचार्य श्री 3 दिन पहले नंदा नगर रोड नंबर 3 स्थित श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर संत सदन में चतुर्मास के दौरान आए थे। कल दोपहर को वे विहार के लिए गुमास्ता नगर (Gumasta Nagar) जाने वाले थे। इससे पहले उनके सेवादार अनिल जैन ने संत सदन में बने एक कमरे में पंखे पर रस्सी के सहारे उनका शव लटका देखा तो आसपास के लोगों को इकट्ठा किया। मौके पर पुलिस भी पहुंची। बताया जा रहा है कि आचार्य के मौत की खबर मिलते हैं जैन समाज के कई लोग मौके पर पहुंचे। आला अफसरो ने भी मौके पर पहुंचकर मामले की जांच शुरू कर दी। फिलहाल जिस कमरे में उन्होंने फाँसी (suicide) लगाई उसे सील कर दिया। अधिकारियों का कहना है कि मामला आत्महत्या का है। आचार्य श्री मूल रूप से सागर जिले के शाहगढ़ के रहने वाले थे।
समाज के लोग नही चाहते पोस्टमार्टम
आचार्य श्री की आत्महत्या के बाद पुलिस उनके शव को पोस्टमार्टम कराने की तैयारी कर रही है। वहीं दूसरी ओर मौके पर मौजूद जैन समाज के लोग नहीं चाहते कि आचार्य श्री के शव का पोस्टमार्टम हो। इसको लेकर मौके पर जमा हुए करीब 500 से ज्यादा लोग हस्ताक्षर अभियान चला रहे हैं। हस्ताक्षर करने वालों का कहना है कि हम सभी हस्ताक्षर पुलिस को दिखाएंगे और मांग करेंगे कि उनके शव का पोस्टमार्टम नहीं किया जाए और संत समाज की रीति नीति से उनका अंतिम संस्कार हो।
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