नई दिल्ली: रसोई गैस सिलेंडर की कीमतें अगले हफ्ते दोबारा बढ़ाई जा सकती हैं. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, LPG की बिक्री पर नुकसान बढ़कर 100 रुपये प्रति सिलेंडर हो गया है, जिसके चलते यह फैसला लिया जा सकता है. सूत्रों का कहना है कि कीमतों में बढ़ोतरी, जिसमें इजाफा कितना होगा, यह सरकार की मंजूरी पर निर्भर करता है. अगर इजाजत दी जाती है, तो यह सभी कैटेगरीज में पांचवीं बढ़ोतरी होगी. इनमें घरों में इस्तेमाल होने वाली सब्सिडी वाली गैस, नॉन-सब्सिडी वाली गैस और इंडस्ट्रीयल साइज्ड गैस शामिल हैं.
6 अक्टूबर को बढ़ाई गई थी कीमतें
इससे पिछली बार 6 अक्टूबर को LPG के दाम में 15 रुपये प्रति सिलेंडर की बढ़ोतरी की गई थी. इससे जुलाई के बाद कीमतों में कुल बढ़ोतरी 90 रुपये प्रति 14.2 किलोग्राम पर पहुंच गई थी. इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने पीटीआई को बताया है कि सरकारी तेल मार्केटिंग कंपनियों को विक्रेता कीमत को लागत के साथ जोड़ने की इजाजत नहीं दी गई है. और अंतर को कम करने के लिए किसी सरकारी सब्सिडी को अभी मंजूरी नहीं मिली है.
LPG की बिक्री पर अंडर-रिकवरी या घाटा बढ़कर 100 रुपये प्रति सिलेंडर से ज्यादा हो गया है. ऐसा अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊर्जा की कीमतों के बढ़कर कई सालों की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने की वजह से हुआ है. जहां सऊदी में LPG की कीमतें 60 फीसदी से ज्यादा के उछाल के साथ इस महीने 800 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गईं.
सरकार को करनी होगी नुकसान के लिए भरपाई
वहीं, अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड ऑयल 85.42 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड कर रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, एक सूत्र ने बताया कि LPG अभी भी नियंत्रित कमोडिटी है. तो, तकनीकी आधार पर, सरकार रिटेल विक्रेता कीमतों को रेगुलेट कर सकती है. लेकिन, जब वे ऐसा करती हैं, तो तेल कंपनियों को अंडर-रिकवरी या नुकसान के लिए भरपाई करनी होगी, जो उन्हें कीमत से कम दरों पर एलपीजी को बेचने से होती है.
सरकार ने पिछले साल LPG पर सब्सिडी को खत्म कर दिया था. इसके लिए उसने रिटेल कीमतों को लागत के बराबर ला दिया था. लेकिन पेट्रोल और डीजल में जहां कीमतों को अनियंत्रित कर दिया गया है, उससे अलग सरकार ने एलपीजी दाम के डिरेगुलेशन को लेकर कोई आधिकारिक ऐलान नहीं किया है. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, एक सूत्र ने कहा कि अब तक ऐसा कोई संकेत नहीं है कि कंपनसेशन या सब्सिडी को वापस लाया जाएगा. क्योंकि लागत और रिटेल कीमत के बीच अंतर बढ़ गया है.
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