इंदौर। धर्मस्थल (shrine) को भेदभावपूर्ण (discriminatory) तरीके से हटाने के मामले में आंदोलन कर रही देवस्थान बचाओ समिति ने अब नई मांग कर डाली। संतों (saints) ने कहा कि पहले प्रशासन शहर में अवैध रूप से रह रहे लोगों को बाहर करें। उन्होंने कहा कि शहर में बांग्लादेशी (Bangladeshi) और रोहिंग्या आकर रह रहे हैं जो सुरक्षा के लिए भी खतरा बने हुए हैं।
बड़ा गणपति से कृष्णपुरा (Bada Ganpati to Krishnapura) तक सडक़ चौड़ीकरण में बाधक धर्मस्थलों को हटाने के लिए चिन्हित कर लिया गया है। यहां कुल 28 धर्मस्थल सडक़ निर्माण की जद में आ रहे हैं, लेकिन इन्हें बचाने के लिए साधू-संतों के साथ-साथ मंदिर के ट्रस्टी भी आगे आए हैं। इन्होंने देवस्थान बचाओ समिति का गठन किया है और उसके माध्यम से आंदोलन करने की चेतावानी भी दी है। समिति का कहना है कि पहले प्रशासन शहर में सडक़ निर्माण में बाधक बने दूसरे धर्मस्थल भी हटाएं, उसके बाद वे भी अपने धर्मस्थल (shrine) का हिस्सा हटा लेंगे। हालांकि अभी इस संंबंध में केाइर्द निर्णय नहीं लिया जा सका है। इस बीच कल समिति और संत समाज ने श्री महंत रामचरणदासजी महाराज की अध्यक्षता में पीलिया खाल में बैठक कर कुछ प्रस्ताव पास किए। समिति की ओर से बताया गया कि शहर के यातायात और विकास में बाधक धर्मस्थलों के लिए प्रशासन समान नीति बनाएं और उससे संतों को अवगत कराएं। संतों ने कहा कि बाहर से अवैध रूप से घुसपैठक कर शहर में सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा करने वाले रोाहिंग्या और बांग्लादेशियों को चिन्हित कर उन्हें तत्काल बाहर किया जाएं। ये लोग देश और शहर की सुरक्षा के लिए खतरा है।
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