इंदौर,संजीव मालवीय। कोरोना (corona) के बाद महंगाई और उसी महंगाई में आई दिवाली (diwali)। बावजूद इसके बस ऑपरेटरों (bus operators) की लूट जारी है, जो इंदौरी (indori) युवा मुंबई (mumbai) और पुणे (Pune) में काम करते हैं, उन्हें दिवाली (diwali) मनाने के लिए घर आना भी महंगा पड़ रहा है। निजी बस ऑपरेटर (Private Bus Operators) सीधे डबल किराया वसूल रहे हैं और हर बार की तरह जवाबदार यानी परिवहन विभाग (Transport Department) के अधिकारी आंखें मूंदकर बस वालों की लूट देख रहे हैं।
जैसे-जैसे दिवाली का त्योहार पास आते जा रहा है वैसे-वैसे ट्रेनों में भीड़ बढ़ती जा रही है और इसी का फायदा हर साल बस वाले उठाते हैं। विशेषकर मुंबई (mumbai) और पुणे (Pune) जैसे शहरों में काम करने वाले लोग जब दिवाली (diwali) का त्योहार मनाने अपने घर आते हैं तो उन्हें किराया महंगा पड़ता है। इंदौर में इस रूट पर छोटे-बड़े मिलाकर 20 से अधिक बस ऑपरेटर हैं। इनमें से कुछ ऑपरेटरों की बसें बाहर से आती हैं तो कुछ यहीं से संचालित होती हैं। इंदौर से हंस, धारीवाल, सिंटीलिंक, राजरतन, आरटीएस, वर्मा, इंटरसिटी, पवन, शुभम, प्रसन्ना इंटरसिटी (Hans,Dhariwal,Sintilink,Rajaratan,RTS,Verma,Intercity,Pawan,Shubham,Prassana Intercity) आदि के नाम से बसें संचालित की जाती हैं। सामान्य दिनों में जो किराया इन बसों में लगता है, वह अब सीधे डबल से ज्यादा लग रहा है और बस यात्री टिकट खरीदने को मजबूर हैं, क्योंािक उन्हें दिवाली मनाने अपने घर आना ही है। यही स्थिति होली के समय भी होती है। जब बस ऑपरेटर मनमाना किराया वसूल करते हैं।
इस तरह हो रही यात्रियों के साथ लूट
छोटे से लेकर बड़े बस ऑपरेटर (Bus Operators) अपने हिसाब से रूट का किराया तय करते हैं। इन पर किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं है। नियमों की आड़ में ये बस ऑपरेटर दीवाली पर मनमानी पर उतारु हो जाते हैं। वर्तमान में मुंबई (Mumbai) या पुणे (Pune) से इंदौर (Indore) आने का किराया लगभग समान ही है। नॉन एसी बस (Non AC Bus) से यह किराया 700 से 800 रुपए के बीच होता है, लेकिन अभी डेढ़ हजार के ऊपर किराया लग रहा है, वहीं एसी बस से यह किराया 1 हजार रुपए तक होता है, जिसके 2 हजार रुपए तक लिए जा रहे हैं। कई बस ऑपरेटर वाल्वो बस (Valvo Bus) का संचालन भी करते हैं, जिसका किराया वर्तमान में 2500 रुपए तक लिया जा रहा है, जो सामान्य दिनों में डेढ़ हजार रुपए के आसपास होता है। बाकायदा बढ़े हुए किराये की वसूली वेबसाइट के माध्यम से की जा रही है।
लगेज में वसूल लेते हैं किराया
बस ऑपरेटरों (Bus Operators) के दोनों हाथों में लड्डू होता है। परिवहन विभाग (Transport Department) और पुलिस से सेटिंग के चलते ये बस ऑपरेटर (Bus Operators) बस की छतों पर भरपूर लगेज लेकर चलते हैं। इस लगेज के वे भी मनमाने दाम वसूल करते हैं, क्योंकि दोनों ही शहरों से बसें 10 से 12 घंटे में इंदौर पहुंच जाती हंै। इस लगेज की आड़ में कई बस ऑपरेटर (Bus Operators) ऐसे सामानों का परिवहन भी करते हैं, जिस पर टैक्स लगता है। महाराष्ट्र (Maharashtra) और मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की सीमा पर ये बसें चेक भी नहीं होती हैं, जबकि नियमों में बसों की छतों पर किसी भी प्रकार का माल लादना गैरकानूनी है। इससे कई बार दुर्घटना भी हो चुकी है।
जिसका किराया कम, उसमें सीट नहीं
ऐसा नहीं है कि बस ऑपरेटर (Bus Operators) ज्यादा किराया वसूल रहे हैँ। दिखाने के लिए कुछ सीटों का कम किराया भी रखा जाता है और जब यात्री उस सीट को बुक कराने के लिए जाता है तो बताया जाता है कि सीट तो फुल हो गई है। ऐसे में कई बार विवाद भी हो जाता है।
नियमानुसार वैध नहीं हैं बसें
दरअसल ये बस ऑपरेटर (Bus Operators) नियमों की आड़ में ही बच निकलते हैं। इनके किराये पर आरटीओ (RTO) अधिकारियों का कोई नियंत्रण नहीं है, क्योंकि ये बसें टूरिस्ट बसों की श्रेणी में संचालित की जाती हंै। अभी अंतर्राज्यीय परमिट किसी भी बस को नहीं दिए गए हैं, जिससे ये बसें एक राज्य से दूसरे राज्य में संचालित हो, लेकिन पर्यटकों को ले जाने की आड़ में ये बसें नियमित यात्रियों को लाने ले जाने का काम करती हंै। इस पर जरूर आरटीओ के अधिकारी कार्रवाई कर सकते हैं।
पुलिस और आरटीओ अफसरों की है जवाबदारी
इन बसों का अवैध रूप से संचालन रोकने की जवाबदारी पुलिस और आरटीओ (RTO) विभाग के अधिकारियों की होती है, लेकिन दिखावे की कार्रवाई के अलावा किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जाती। आरटीओ के पास उडऩदस्ता मौजूद हंै, लेकिन वह भी सुस्त पड़ा है, जबकि बिना परमिट इस प्रकार से बसों का संचालन नहीं किया जा सकता।
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