कोरोना का कहर (Corona havoc) जारी रहने के बीच निपाह वायरस से एक नई महामारी फैलने का खतरा जताया जा रहा है। एस्ट्राजेनेका (astraZeneca) के कोरोना रोधी टीके का आविष्कार करने वाली टीम की सदस्य रहीं डेम सारा गिल्बर्ट ने निपाह वायरस को लेकर आगाह किया कि इससे नई महामारी फैल सकती है।
गिल्बर्ट ने ब्रिटेन (Gilbert UK) में एक कार्यक्रम के दौरान कहा-अगर निपाह वायरस का डेल्टा वेरिएंट उत्पन्न होता है, तो बहुत ज्यादा संक्रामक हो जाएगा और इससे संक्रमित (infected) लोगों के मरने की दर बढ़कर 50 प्रतिशत होगी। वर्तमान में निपाह से संक्रमित लोगों को ठीक करने के लिए ना तो कोई कारगर इलाज है और ना ही टीका बन सका है।
निपाह वायरस (nipah virus) नया नहीं है। यह सालों से धरती पर मौजूद है। लेकिन वर्ष 1999 में इसका पहला मामला मलेशिया के चमगादड़ों में पाया गया। हालांकि इस बात के भी साक्ष्य मिले हैं कि यह वायरस कुत्तों और बिल्लियों को भी बीमार कर चुका है।
अमेरिका के सेंटर फॉर डीजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन विभाग ने भी इस वायरस को बहुत संक्रामक बताते हुए कोरोना से अधिक घातक करार दिया। कोरोना से संक्रमित होने पर मृत्यु दर एक फीसदी है, जबकि निपाह से संक्रमित होने पर मौत का खतरा 40 फीसदी से अधिक रहता है।
मृत्यु दर हो सकती है 100 फीसदी :
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक निपाह वायरस से संक्रमित लोगों के मरने की संभावना 40 फीसदी से लेकर 100 फीसदी तक हो सकती है। इसके पहले वर्ष 1999 में मलेशिया में आठ महीने के दौरान करीब 265 लोग संक्रमित हुए, जिसमें से 105 लोगों की मौत हो गई। यह इतना घातक वायरस है कि 24 से 48 घंटे के भीतर ही मरीज को कोमा में पहुंचा सकता है।
भारत समेत कई एशियाई देशों में खतरा अधिक :
भारत और बांग्लादेश (India and Bangladesh) समेत कई एशियाई देशों में निपाह का खतरा अधिक रहता है। इन दोनों देशों में यह वायरस एक निश्चित अंतराल के बाद लोगों को अपनी चपेट में लेता रहता है। डब्यूएचओ के मुताबिक इसके अलावा कंबोडिया, घाना, इंडोनेशिया (Indonesia), मेडागास्कर, फिलीपींस और थाईलैंड में भी इस वायरस के फैलने का खतरा रहता है।
भारत के केरल (Kerala) में अब तक दो बार निपाह वायरस के मामले आ चुके हैं। केरल में पहला मामला वर्ष 2018 में कोझीकोड में मिला, जबकि दूसरा मामला कोच्चि में वर्ष 2021 में मिला जिसके कारण एक 12 वर्षीय बच्चे की मौत हो गई।
चमगादड़ से फैला वायरस :
निपाह वायरस मनुष्यों में मोटे तौर पर तीन तरीके से फैल सकता है- संक्रमित मनुष्यों, संक्रमित पशुओं या संक्रमित फलों के संपर्क में आने से। चमगादड़ फलों को संक्रमित करते हैं, तो इन फलों के संपर्क में आने से सुअर संक्रमित होते हैं। संक्रमित सुअर का मांस खाने से इंसान संक्रमित होता है। इसी तरह एक व्यक्ति से पूरे परिवार या देखरेख करने वालों के संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। वर्ष 2001 से 2008 के बीच बांग्लादेश के आधे संक्रमित वे लोग रहे, जो किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बीमार हुए।
संक्रमण के लक्षण :
शुरुआती संक्रमण पर व्यक्ति में बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों का दर्द, उल्टी, गले की खरास जैसी शिकायत देखने को मिलती है। लेकिन बीमारी बढ़ने पर मरीज को चक्कर आने लगते हैं। वह सुस्त होने के साथ-साथ मानसिक समस्याओं का भी सामना करने लगता है। कुछ संक्रमित लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, तो कुछ लोगों में मध्य से लेकर गंभीर स्तर का श्वसन संक्रमण दिखता है। कुछ लोगों के दिमाग में सूजन आने से मौत हो जाती है।
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