अमेरिका के सीडीसी (Centers for Disease Control and Prevention) के मुताबिक, महिलाओं और पुरुषों में होने वाले कैंसर में सबसे ज्यादा लोग कोलन कैंसर (Colon cancer) की चपेट में आते हैं। सबसे ज्यादा मौत भी कोलन कैंसर वालों की ही होती है। कोलोरेक्टल कैंसर में कोलन कैंसर और रेक्टल कैंसर शामिल होते हैं। ये दोनों बड़ी आंत के हिस्से हैं। पिछले कुछ शोध के मुताबिक, पालक खाने से कोलन कैंसर का खतरा आधा हो जाता है। अब टेक्सास हेल्थ साइंस की एक स्टडी में पालक में कैंसर प्रतिरोधी गुण पाए गए हैं। स्टडी में बताया गया है कि पालक किस तरह आंत के बैक्टीरिया पर काम करता है।
कोलोरेक्टल कैंसर क्या है?
आंत का कैंसर (colon cancer) और मलाशय कैंसर (rectal cancer) एक साथ हो सकते हैं, इसे “कोलोरेक्टल कैंसर” कहा जाता है। मलाशय कैंसर मलाशय में उत्पन्न होता है, जो गुदा के निकटतम बड़ी आंत का हिस्सा होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अमेरिका के सीडीसी (CDC) का कहना है कि फेफड़ों के कैंसर के बाद दुनिया भर में होने वाला यह दूसरा सबसे आम कैंसर है।
कोलोरेक्टल कैंसर के अधिकतर मामले अडेनोमाटोस पॉलिप्स (adenomatous polyps) नामक कोशिकाओं के छोटे, कैंसर मुक्त गुच्छों के रूप में शुरू होते हैं। समय के साथ इनमें से कुछ पॉलिप्स कोलोरेक्टल कैंसर बन जाते हैं।
पॉलिप्स अक्सर छोटे होते हैं, और उनके होने के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। इसलिए डॉक्टर नियमित रूप से स्क्रीनिंग टेस्ट कराने का सुझाव देते हैं। ये टेस्ट कोलन कैंसर बनने से पहले पॉलिप्स की पहचान कर लेते हैं और कोलोरेक्टल कैंसर को रोकने में मदद करते हैं।
क्या कहते हैं शोधकर्ता-
चूहों पर किए शोध में शोधकर्ताओं ने पाया कि पालक कोलन पॉलीप्स को बढ़ने से रोकता है। ये इंसानों में कोलोरेक्टल कैंसर की तरह ही होता है। नई स्टडी में पालक कोलोरेक्टल कैंसर के वंशानुगत रूप पर काफी कारगर पाया गया है। कैंसर के इस वंशानुगत रूप को पारिवारिक एडिनोमेटस पॉलीपोसिस (Familial adenomatous polyposis) भी कहा जाता है। एडिनोमेटस पॉलीपोसिस की वजह से कई तरह के कोलन पॉलीप्स बढ़ जाते हैं। इस तरह के कैंसर में ज्यादातर मामलों में सर्जरी के जरिए कोलन को निकालना पड़ता है ताकि पॉलीप्स को बढ़ने से रोका जा सके।
स्टडी के लिए शोधकर्ताओं ने एडिनोमेटस पॉलीपोसिस (adenomatous polyposis) वाले चूहों को 26 हफ्तों तक फ्रीज में रखी पालक खिलाई। स्टडी में पाया गया कि पालक के सेवन से पॉलीप के विकास में देरी होती है। जिससे गहन उपचार की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। ये स्टडी गट माइक्रोब्स में छपी है। पालक (spinach) का प्रभाव जानने के लिए शोधकर्ताओं ने मल्टी-ओमिक्स डेटाबेस का इस्तेमाल किया। इस तकनीक में शरीर के अंदर मौजूद छोटे-छोटे अणुओं, कोशिकाओं, ऊतकों और बायोफ्लुइड्स के जरिए जानकारी जुटाई जाती है।
पालक में विटामिन K1 और शक्तिशाली ग्लूटाथियोन एंटीऑक्सीडेंट(Glutathione Antioxidant) पाया जाता है जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को दूर करता है और इम्यून फंक्शन को बढ़ाता है। इसके अलावा इसमें फोलेट भी होता है, जो शरीर में होमोसिस्टीन के स्तर को कम करता है। पालक यूरिक एसिड(uric acid) के स्तर को भी कम करने में कारगर पाया गया है।
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