नई दिल्ली। तीन कृषि कानूनों (Three Farm Laws) का विरोध कर रहे किसानों (Farmers) ने कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) के नए फैसले को लेकर अच्छे संकेत दिए हैं। किसान संगठनों ने बुधवार को कहा कि अगर कैप्टन मध्यस्थता करते हैं और उनके मुद्दे सुलझाते हैं, तो वे उनका धन्यवाद करेंगे. साथ ही किसानों (Farmers) ने यह भी कहा कि सरकार और किसानों की बीच ‘बैक चैनल’ चर्चा हमेशा से जारी थी। सरकार और किसानों के बीच औपचारिक रूप से आखिरी बार बातचीत 22 जनवरी को हुई थी। उस दौरान सरकार ने 12 से 18 महीनों के लिए कानूनों को निलंबित करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन किसान कानून वापस लेने की मांग कर रहे थे।
एक रिपोर्ट के अनुसार, किसानों का कहना है कि सरकार के साथ ‘बैक चैनल’ वार्ता हमेशा से जारी थी। हालांकि, कृषि मंत्रालय के सूत्रों ने इस बात से इनकार किया है. उन्होंने कहा है कि सरकार ने किसान यूनियनों के सामने जनवरी में प्रस्ताव रखा था, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया. रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने दावा किया है कि सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद कैप्टन दो बार किसान नेताओं से मिल चुके हैं।
एक किसान नेता ने कहा, ‘कोशिशें हमेशा जारी थी. बैक चैनल खुले हुए थे. गृह मंत्रालय और कृषि मंत्रालय के अधिकारी हमारे साथ संपर्क में थे. हालांकि, चीजें किसी सहमति पर नहीं पहुंची, नहीं तो धरना काफी पहले ही खत्म हो जाता।’ बातचीत में बीकेयू (उगराहां) के जोगिंदर सिंह उगराहां ने बताया कि पहले ‘कुछ अनौपचारिक बातचीत’ हुई हैं, ‘जहां मध्यस्थों ने हमारी मांगे सुनी जाने की पेशकश की है.’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन मुद्दा अभी भी है। वे मध्यस्थ हमें लेकर उतने गंभीर नहीं थे कि उन पर भरोसा किया जा सके।’ बीकेयू (दकौंडा) के अध्यक्ष बूटा सिंह बुर्जगिल ने कहा है कि अगर कैप्टन किसान कानून वापस लेने और पूरे देश में एमएसपी लागू करने में मदद करते हैं, तो हम उनके आभारी रहेंगे।
कैप्टन की नई पार्टी और किसान मुद्दा सुलझने पर बीजेपी के साथ संभावित गठबंधन के ऐलान के एक दिन बाद ही किसान यूनियनों की यह प्रतिक्रिया आई है। दोआबा किसान यूनियन के अध्यक्ष मंजीत सिंह राय का कहना है, ‘राजनीतिक दल बनाना यह पूर्व सीएम का निजी मामला है। हमें इससे कुछ लेना देना नहीं है. हालांकि, अगर अमरिंदर मध्यस्थता करते हैं और हमारे मुद्दे सुलझाते हैं, तो हम उनका धन्यवाद करेंगे. वे किसान यूनियनों के साथ शुरुआत से ही चर्चा में हैं और वे हमारी मांगों को जानते हैं. देखते हैं कि वे क्या कोशिशें करते हैं।’
पंजाब के जिन गांवों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रदर्शन होना आम बात है, वहां के किसानों ने कई बार कहा है कि पीएम के साथ उनकी निजी दुश्मनी नहीं है. रिपोर्ट के अनुसार, लुधियाना जिले में समराला इलाके में टोल प्लाजा पर मौजूद एक किसान ने कहा, ‘अगर वे (पीएम) हमारी मांगें मान लेते हैं, तो हम उनका आभार जताएंगे. हमारे पास उनके खिलाफ निजी तौर पर कुछ नहीं है. यह कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध है और उन्होंने इसे लागू किया है।’
उगराहां ने कहा है कि अब तक अमरिंदर सिंह और केंद्र सरकार ने किसान यूनियन से बात नहीं की है। उन्होंने कहा, ‘नई पारी की शुरुआत के लिए अमरिंदर के पास जनता के लिए कुछ होना चाहिए, नहीं तो वे लोगों के विरोध का सामना करेंगे।’
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