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‘चड्डी-बनियान’ में बीत जाएगा चुनाव, दबे रह जाएंगे जनहित के मुद्दे

October 14, 2021

  • कमलनाथ के बयान को भुनाने की तैयारी में भाजपा
  • कांग्रेस नहीं टटोल पाई जनता की नब्ज, बयानों में उलझे गए नेता

भोपाल। प्रदेश में खंडवा लोकसभा (Khandwa Lok Sabha) समेत चार सीटों पर हो रहे उपचुनाव दोनों दलों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। खासकर भाजपा में इन परिणामों के आधार पर अगली रणनीति तय होगी और कई अहम फैसले हो सकते हैं। उपचुनाव ऐसे समय में हो रहे हैं, जब जनता महंगाई समेत अन्य कई जीवन-यापन की तकलीफों से जूझ रही हैं। ऐसे में विपक्ष जनता के मुद्दों को उठाने की बजाए ‘चड्डी-बनियान में उलझ गया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ (State Congress President Kamal Nath) ने दो दिन पहले खंडवा में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा (BJP state president VD Sharma) को लेकर बयान दिया था कि ‘जब भाजपा के अध्यक्ष…क्या नाम है उनका…जब उन्हें निक्कर भी पहनना नहीं आता था, तब मैं सांसद था। कमलनाथ के इस बयान को परिपक्व राजनेता के लिए उचित नहीं ठहरा जा रहा है। कमलनाथ के इसी बयान को भाजपा (BJP) ने उपचुनाव में अपना प्रमुख औजार बना लिया है। दरअसल, उपचुनाव में किसी भी दल की स्थिति ठीक नहीं है।


लेकिन कांग्रेस जनता के नब्ज नहीं टटोल पा रही है। कांग्रेस के नेता अभी तक उपचुनाव में जनता से जुड़ा एक भी मुद्दा ऐसा नहीं उठा पाए हैं, जो भाजपा की ‘चड्डीÓ को टक्कर दे पाए। कमलनाथ ने बेशक भाजपा अध्यक्ष को लेकर सहज रूप से निक्कर वाला बयान दिया हो, लेकिन भाजपा ने कमलनाथ के इसी बयान के सहारे उपचुनाव वाले क्षेत्रों में टिकट वितरण की वजह से अलग-अलग दिशाओं में बिखरे अपने कार्यकर्ता एवं नेताओं को एकजुट करने में कुछ हद तक सफलता हासिल कर ली है। यही वजह रही कि कमलनाथ के बयान के विरोध में भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रदेश भर में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के पुतले दहन किए थे। खास बात यह है कि कांग्रेस अभी भी जनहित के मुद्दों की ओर नहीं लौटी है, अभी भी कांग्रेस नेता भाजपा के बयानों में उलझे हुए हैं। कांग्रेस नेता ऐसे बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं, जिनका जनता की समस्या और जनहित के मुद्दों से कोई सरोकार नहीं होने वाला है। चुनाव प्रचार खत्म होते ही ये मुद्दे फिर गायब हो जाएंगे।

भाजपा के इन मुद्दों में उलझी कांग्रेस
देश एवं प्रदेश में भाजपा की सरकारें हैं, ऐसे में उपचुनाव में भाजपा महंगाई, बेरोजगारी, बिजली, सड़क, महिला अपराध जैसे मुद्दों के पास भी नहीं भटकेगी। जबकि जनहित से जुड़े इन मुद्दों को जोर-शोर से उठाने की जिम्मेदारी कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दलों की है। लेकिन कांग्रेस के नेता उपचुनाव में जनता की आवाज को उतनी ताकत से नहीं उठा पा रहे हैं, जितनी ताकत से वे भाजपा के आरेापों का जवाब दे रहे हैं। हाल ही में भाजपा ने वीर-सावरकर, संघ को लेकर कांग्रेस नेताओं ने जो विवादित बयान दिए हैं, उन्हें चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश की है। साथ ही राज्य सरकार ने हाल ही में शराब बिक्री बढ़ाने एवं गौवंश की नसबंदी कराने जैसे दो आदेश भी जारी किए थे। भाजपा सांसद ने दोनों आदेशों का खुला विरोध कर उपचुनाव में नए मुद्दे घुसाने की कोशिश की है। हालांकि सरकार ने दोनेां मुद्दे वापस ले लिए हैं।

राष्ट्रीय मुद्दों से भाजपा को फायदा
प्रदेश में बूथ स्तर पर चुनाव प्रबंधन का काम चल रहा है। ऐसे में यदि चुनाव में मुद्दे राष्ट्रीय स्तर के उठाए जा रहे हैं, तो इसका फायदा कांग्रेस को कतई नहीं होने वाला है। वीर-सावरकर, संघ, निक्कर जैसे मुद्दों का आम जनता की रोजमर्रा से कोई सरोकार नहीं है। यदि पेट्रोल-डीजल, खाद्य तेल, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, अपराध, किसान, बिजली, पानी को चुनाव में मुद्दा बनाया जाता है तो भाजपा चिंता बढ़ सकती है।

गुजरात में भारी पड़ा था ‘नीच’
पिछले विधानसभा चुनाव में गुजरात में भाजपा को कड़ा संघर्ष करना पड़ा था। मतदान से चंद दिन पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने अपने बयान में ‘नीच’ शब्द बोला। इसे सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से जोड़कर बताया गया। भाजपा ‘नीचÓ को ऐसा भुनाया कि चुनाव का स्वरूप ही बदल गया था। ‘नीच’ में जनहित के मुद्दे कुचले जा चुके थे।

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