इंदौर। वन विभाग इस बार दशहरे (Dussehra) पर पूजा-अनुष्ठान के लिए श्रद्धालुओं को शमी के चमत्कारी पौधे मुहैया कराएगा। दशहरे पर विशेष मांग के चलते नर्सरी ने 5000 अतिरिक्त पौधे तैयार किए हैं। ज्योतिषशास्त्र (Astrology) के अनुसार यंत्र, मंत्र, तंत्र व ग्रह पीड़ा शमन व वास्तु शांति में शमी के पेड़ की पूजा-अनुष्ठान का अतिविशेष महत्व है।
बडग़ोंदा नर्सरी के अधिकारी डिप्टी रेंजर (Deputy Ranger, Forest Department) एसके बिल्लोरे ने बताया कि सनातन धर्म में दशहरे पर शमी के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है। धर्मग्रंथों में वर्णित परंपरानुसार विजयादशमी यानी दशहरे पर शमी के पेड़ की शास्त्रोक्त विधि-विधान से की गई पूजा को अतिशुभ व चमत्कारी फल देने वाला माना जाता है।
महादशा व साढ़े साती पीडि़तों के लिए विशेष
दशहरे के अलावा शनि की साढ़े साती या शनि ग्रह की महादशा के दौरान भी शमी की पूजा करने का विशेष विधान है। बिल्लोरे के अनुसार दो साल से कोरोना की महामारी के चलते अधिकांश परिवार धर्म-कर्म, अध्यात्म के अलावा ग्रह शांति, वास्तु शांति के लिए विशेष पूजा-अनुष्ठान करने लगे हैं । ज्योतिषशास्त्रों के अनुसार इसका पौधा या पेड़ घर पर पश्चिम दिशा में लगाने से वास्तुदोष सहित शनि ग्रह की पीड़ा का शमन होता है। इसका शनिवार या नित्य पूजन करने से कई चमत्कारिक अनुभव होते हैं।
निजी नर्सरी में बहुत महंगा, मगर
इसके अलावा शमी के पेड़ की पत्तियों से बनी आयुर्वेदिक औषधियां 12 से ज्यादा रोगों को ठीक करने के काम आती हैं। शमी के पौधे निजी नर्सरियों में 100 से लेकर 200 रुपए में मिलते हैं, मगर वन विभाग बिना शुभ-लाभ, यानी बिना नफा-नुकसान के अपनी नर्सरी से सिर्फ 12 रुपए में पौधे मुहैया कराएगा।
नीलम नहीं पहन सकने वालों के लिए वरदान
जो लोग शनि ग्रह से संबंधित महंगा रत्न नीलम नहीं पहन सकते, उनके लिए शमी का पूजन-अनुष्ठान किसी वरदान से कम नहीं है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कुंडली में शुभ शनि की शक्ति बढ़ाने या शनि संबंधित अशुभ प्रभावों की काट करने के लिए नीलम पहनने की सलाह दी जाती है, मगर अत्यधिक कीमत के चलते लाखों लोग चाहकर भी इस रत्न को पहन नहीं पाते। उन्हें ज्योतिष विद्वान इसी पौधे या इसके पेड़ की पूजा करने का मार्गदर्शन देते हैं।
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