इंदौर। कैंसर (Cancer) के मरीजों (Patient) पर कोरोना कहर (corona havoc) बनकर टूटा है। कई मरीज जो पहले बीमारी (Infection)की शुरुआत में साधारण अवस्था में थे, कोरोना की पहली, फिर दूसरी लहर की वजह से लॉकडाउन(Lockdown) की सख्ती के चलते नियमित इलाज नहीं करा पाने के कारण न सिर्फ गंभीर अवस्था में जा पहुंचे, बल्कि दो साल में 1389 से ज्यादा मरीजों को जान तक गंवाना पड़ी।
कैंसर (Cancer)की बीमारी के इलाज में दो बातें बहुत ही ज्यादा मायने रखती हैं। पहली बात यह कि मरीज (Patient) में इस बीमारी को शुरुआती दौर में ही जल्दी से जल्दी पहचान लिया जाए। दूसरी बात यह कि इस बीमारी को पहचानने के बाद अनुशासित तरीके से नियमित इलाज किया जाए। लेकिन समय पर मेडिकल (Medical) जांचें न होने व दवाइयां नहीं मिलने की वजह से कई मरीजों के इलाज की लिंक यानी चैनल टूट गई। न मरीजों तक दवा पहुंच पाई न नियमित जांचें हो पाईं। न कीमोथैरेपी न रेडियोथैरेपी हो सकी और न ऑपरेशन हो सके । इतना ही नहीं, जिन मरीजों में कैंसर फस्र्ट स्टेज,यानी शुरुआती दौर में था तो वह सेकंड स्टेज पहुंच चुका था। सेकंड स्टेज वाले मरीज थर्ड स्टेज पर और जो थर्ड स्टेज पर थे उनमें से अधिकांश की मृत्यु हो गई। 2020 व 2021 यानी दो साल में इस वजह से लगभग 1389 मरीजों की मौत हो गई। इनमें से लगभग 504 मरीज सरकारी कैंसर अस्पताल में इलाज करा रहे थे। बाकी मरीज शहर के अन्य कैंसर अस्पतालों के थे। मरने वालों में कई मरीज इंदौर, खरगोन, झाबुआ, आलीराजपुर के अलावा महाराष्ट्र, शहडोल, छिंदवाड़ा और छतरपुर के थे।
6 माह से लेकर कई साल तक इलाज
कैंसर (cancer) के लक्षणों की पहचान होते ही यह पता लगाया जाता है कि इस बीमारी की शुरुआत हुई है, यानी बीमारी अभी फस्र्ट स्टेज पर ही है या सेकंड स्टेज तक आ गई है अथवा थर्ड स्टेज पर जा पहुंची है। यदि इलाज अनुशासित तरीके करवाया जाए तो 6 महीने में फस्र्ट स्टेज का कैंसर का मरीज ठीक हो सकता है।
लॉकडाउन की सख्ती बनी जानलेवा
कैंसर जैसी बीमारियों के मरीजों (patient) के लिए कोरोना संक्रमण (Corona Infection) के चलते पिछले दो सालों में लॉकडाउन की सख्ती जानलेवा साबित हुई है। सरकार (government) व प्रशासन ने लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान मरीजों को इलाज के लिए कुछ शर्तों पर आने-जाने की छूट तो दे रखी थी, मगर लॉकडाउन की सख्ती के चलते कई महीनों तक पेट्रोल पंप बंद रहने की वजह से मरीज या उनके परिजन अस्पताल तक पहुंचने के लिए न तो खुद के वाहनों का इस्तेमाल कर सके न ही लोक परिवहन मौजूद थे। इस वजह से कई मरीज कैंसर अस्पताल तक ही नहीं पहुंच पाए। नतीजतन कई मरीज लॉकडाउन की वजह से कोरोना से तो बच गए, मगर कैंसर से नहीं बच पाए।
लगातार नियमित इलाज अनिवार्य है
कैंसर मरीजों (Cancer) के इलाज में नियमित कीमोथैरेपी, रेडियोथैरेपी, जेनेटिकथैरेपी के अलावा कई मेडिकल जांचें करवाना व दवाइयां बिना नागा किए लेना जरूरी है। कोरोना की पहली व दूसरी लहर के चलते लॉकडाउन की सख्ती की वजह से कई मरीज अस्पताल नहीं पहुंच पाए तो कई कोरोना के डर से नहीं निकले। इस तरह 2 साल में करीब 500 मौतें हो गईं।
डॉक्टर रमेश आर्य, अधीक्षक, शासकीय कैंसर
अस्पताल, इंदौर
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