जबलपुर। शारदेय नवरात्र पर्व का आज तीसरा दिन है। तीसरे दिन मां चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता हैए माता रानी का चंद्रघंटा स्वरूप भक्तों पर कृपा करती है और निर्भय और सौम्य बनाता है। पं. आर्चाय राजेश तिवारी ने बताया कि मां चंद्रघंटा को दूध से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है, मां को केसर की खीर और दूध से बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए। पंचामृत, चीनी व मिश्री भी मां को अर्पित करने से माता प्रसन्न होती है। मां चंद्रघंटा शेर पर सवार हैं। दसों हाथों में कमल और कमडंल के अलावा अस्त-शस्त्र हैं।
माथे पर बना आधा चांद इनकी पहचान है। इस अर्ध चांद की वजह के इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। मां चंद्रघंटा की पूजा में लाल वस्त्र धारण करना श्रेष्ठ होता है, मां को लाल पुष्प, रक्त चन्दन और लाल चुनरी समर्पित करना उत्तम होता हैञ मान्यता है कि शेर पर सवार मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों के कष्ट हमेशा के लिए खत्म हो जाते हैं, इन्हें पूजने से मन को शक्ति और वीरता मिलती है।
विराजमान हुईं नगर की सेठानियां
शहर के मध्य सराफा बाजार में शहर की शान माने जाने वाली मां सुनरहाई और मा नुनहाई की प्रतिमा भी विराजमान हो गई हैं। मां सुनरहाई की प्रतिमा 156 वर्ष और मां नुनहाई की प्रतिमा 154 वर्षों से स्थापित की जा रही हैं। शहर की सेठानियां मां सुनरहाई और मां नुनहाई की खासियत है कि ये करोड़ों रुपयों के गहनों का शृंगार करती हैं। जिनमें असली दर्जनों हीरे, कई किलो सोना व चांदी सहित अन्य रत्न शामिल होते हैं। इनके गहनों की कीमत करोड़ों रुपए है। नगर की सेठानियों के दर्शन के लिए श्रद्धालू दूर-दूर से पहुंचते हैं।
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