इंदौर, प्रदीप मिश्रा। दुश्मन देशों के छक्के छुड़ाने व होश उड़ाने वाले भारतीय सेना (Indian Army) में शामिल अर्जुन टैंक (Arjun Tank) और एंटी-ड्रोन सिस्टम (Anti-Drone System) के कम्पोनेंट पाट्र्स (Component Parts) सहित कई अन्य एसेम्बलिंग पाट्र्स (Assembling Parts) इंदौर में बनाए जा रहे हैं। इंदौर की कम्पनी ने मेक इन इंडिया अभियान (Make In India Project) की तर्ज पर यह मेक इन इंदौर (Make In Indore), मिशन पोकरण में परमाणु बम विस्फोट परीक्षण के बाद शुरू किया था, जो लगभग 22 सालों से आज तक जारी है।
इंडियन आर्मी, एयरफोर्स सहित नेवी (Indian Army, Air Force, Navy) में शामिल एंटी-ड्रोन सिस्टम (Anti-Drone System) जैसे आधुनिक हथियारों के वास्ते हाईटेक्निक कम्पोनेंट्स पाट्र्स (Hi-Tech Component Parts) बनाने की यह जिम्मेदारी बिना किसी पब्लिसिटी के शहर की लाइट गाइड ऑप्टिक्स कम्पनी और उसके टैलेंटेड इंजीनियर बड़ी खामोशी से निभाते आ रहे हैं। इंदौर में यह सीक्रेट प्रोजेक्ट डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन की निगरानी में वर्ष 1999 से चल रहा है।
एंटी-ड्रोन सिस्टम क्या है?
एंटी-ड्रोन सिस्टम दुश्मन (Anti-Drone System) देश के एयर ड्रोन (Air Drone) का न सिर्फ तत्काल पता लगा सकता है, बल्कि उसे जाम कर लेजर तकनीक के जरिए खत्म कर देता है। देश की सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए इस सिस्टम को आर्मी, वायुसेना और नौसेना, यानी नेवी में शामिल कर लिया गया है। यह पहला स्वदेशी एंटी-ड्रोन सिस्टम है। यह एंटी-ड्रोन सिस्टम प्रधानमंत्री की सभाओं से लेकर देश की सभी सीमाओं पर काम कर रहा है। यह एंटी-ड्रोन सिस्टम डीआरडीओ (DRDO) की देखरेख में स्वदेशी तकनीक से बनाया गया है।
परमाणु परीक्षण वरदान बना
कैट (CAT) के साथ मिलकर कई प्रोजेक्ट पर काम चल ही रहा था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी, डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम, रक्षामंत्री जार्ज फर्नांडीस (Prime Minister Atal Bihari Vajpayee, Dr APJ Abdul Kalam, Defense Minister George Fernandes) की तिकड़ी ने 11 मई 1998 को पोकरण में परमाणु बम विस्फोट परीक्षण कर अमेरिका, रूस, चाइना, ब्रिटेन, फ्रांस सहित सारी दुनिया को हैरत में डाल दिया था। इससे दुनिया की सारी परमाणु महाशक्तियां बौखला गईं और भारत पर आर्थिक प्रतिबंध सहित कई तरह के कड़े प्रतिबंध लगा दिए। इसके चलते हथियारों की कमी हुई और फिर देश में हथियार बनने लगे।
इजराइल की आयरन डोम टेक्नोलॉजी
लाइट गाइड ऑप्टिक्स कम्पनी के अनुसार हम आर्मी टैंक व एंटी-ड्रोन सिस्टम (Anti-Drone System) को अत्याधुनिक बनाने के लिए माइक्रो, स्माल, मीडियम कम्पोंनेट पाट्र्स बनाने के लिए लास्टेक, यानी लेजर एंड साइंस टेक्नोलॉजी, मेटल मिरर मेकिंग टेक्नोलॉजी सहित इजराइल के आयरन डोम से मिलती-जुलती स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल करते हैं।
इंदौर के कैट से शुरुआत
पोलोग्राउंड स्थित लाइट गाइड ऑप्टिक्स कम्पनी ने चुनौती और जोखिमभरे कामों की शुरुआत राजा रमन्ना एडवांस टेक्नोलॉजी सेंटर से लेजर एंड साइंस टेक्नोलॉजी संबंधित प्रोजेक्ट से की थी। इसी दौरान कैट के अधिकारियों के माध्यम से डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन के अधिकारियों ने रक्षा मंत्रालय की स्पेशल विंग के साथ काम शुरू किया।
मेक इन इंडिया से पहले मेक इन इंदौर
हाल ही में 1 अक्टूबर को डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन के डॉक्टर जी. सतीश रेड्डी ने ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग से जुड़े उद्योगपतियों से आह्नान किया था कि वह मेक इंडिया अभियान के तहत रक्षा विभाग से जुड़ी सामग्री व उपकरण बनाने के लिए आगे आएं। इस अभियान से जुडऩे पर न सिर्फ आपके उद्योगों का विकास होगा, बल्कि हमारा देश इस मामले में आत्मनिर्भर बनेगा। इसी दौरान लाइट गाइड ऑप्टिक्स कम्पनी के एमडी सिद्धार्थ धावले भी मौजूद थे। उन्होंने बताया कि मेक इन इंडिया अभियान तत्कालीन अटलबिहारी वाजपेयी सरकार के नेतृत्व में इंदौर में लगभग 22 साल पहले शुरू हो चुका है। वह तभी से हथियारों के कम्पोनेंट्स पाट्र्स बनाते आ रहे हैं।
फिल्म उरी ने बढ़ाया हौंसला
मेक इन इंडिया अभियान डीआरडीओ और स्वदेशी तकनीक सहित आत्मनिर्भरता को सीमा पार जाकर पड़ोसी देश के आतंकवादियों को मारने, उनके टेरेरिस्ट कैम्प उड़ाने वाले आर्मी मिशन पर बनी फिल्म उरी में एक युवा इंजीनियर को एयर ड्रोन की तरह वाले इलेक्ट्रॉनिक्स ईगल, यानी बाज जैसे खिलौने को हवा में उड़ाते देखते हैं, जिसके जरिए टेरेरिस्ट कैम्प तबाह किया जाता है। आर्मी मिशन से संबंधित यह फिल्म स्वदेशी व मेक इन इंडिया अभियान से जुडऩे वाले उद्योगों व कम्पनी संचालकों का हौसला बढ़ाती है।
स्वदेशी तकनीक से अमेरिका, रूस हैरान
यहां तक कि हमारे मित्र राष्ट्र रूस ने हमें कई टेक्निकल पार्ट व कम्पोनेंट देना बंद कर दिए। इस वजह से कई रक्षा संबंधित महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट अटकने लगे। तब अटल सरकार ने मेक इन इंडिया मिशन शुरू किया। तब डीआरडीओ के सहयोग से वर्ष 1999 से स्वदेशी तकनीक पर काम शुरू किया, जिसके सुखद परिणाम सामने आने लगे। अंतत: परमाणु बम विस्फोट परीक्षण के बाद लगाए गए प्रतिबंध भारत राष्ट्र सहित स्वदेशी तकनीक अपनाकर आत्मनिर्भर बनने वाली हमारी जैसी कम्पनियों के लिए वरदान साबित हुए। इससे हम पर प्रतिबंध लगाने वाले अमेरिका, रूस सहित सारी दुनिया हैरान रह गई।
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