इन दिनों नवदुर्गाेत्सव (Navdurgotsav) के चलते वन विभाग (Forest Department) की नर्सरी में नौ प्रकार की हर्बल वनस्पति (Miraculous Plants) से जुड़े विशेष पौधों की मांग इस बार आश्चर्यजनक ढंग से बढ़ गई है। इन चमत्कारी पौधों के लिए लोग मुंहमांगी कीमत देने को तैयार हैं, फिर भी उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ रहा है।
इधर वन विभाग (Forest Department) का कहना है कि नवरात्रि (Navratri) के पहले ही यंत्र, मंत्र, तंत्र से संबंधित आध्यात्मिक अनुष्ठान के जानकार दैवीय गुणों वाले हर्बल पौधे ले जा चुके हैं। अब अगले सीजन में यह नौ प्रकार के विशेष वनस्पतिक पौधे नर्सरी में अधिक संख्या में तैयार किए जाएंगे। इन पौधों की मांग करने वालों की मान्यता है कि यह सभी चमत्कारिक हर्बल पौधे न सिर्फ रोग ठीक करते हैं, बल्कि वास्तुदोष सहित नौ ग्रहों की शांति में अहम भूमिका निभाते हैं। इसी वजह से इन दिनों में यंत्र, मंत्र, तंत्र अनुष्ठान के दौरान इन पौधों को स्थापित कर इनकी विशेष पूजा की जाती है। यही वजह है कि लोग नर्सरी में 25 रुपए में मिलने वाले इन पौधों के मुंहमांगे दाम देने को तैयार हैं। इन पौधों की पूजा अलग-अलग तिथि व मुहूर्त के हिसाब से की जाती है।
नवदुर्गा के नौ औषधीय स्वरूप
दुर्गा सप्तशती के रचयिता मार्कण्डेय ऋषि ने अपनी चिकित्सा पद्धति में नवदुर्गा के नौ औषधीय स्वरूपों का उल्लेख किया है। ऋषि के अनुसार नवदुर्गा के नौ चमत्कारिक स्वरूप हर्बल वनस्पति के पेड़-पौधों में भी वास करते हैं। इसीलिए इन हर्बल वनस्पतियों (Miraculous Herbal Plants) में चमत्कारी व विशेष गुणकारी आयुर्वेदिक दवाओं वाले औषधीय तत्व पाए जाते हैं, जो सभी रोगों को ठीक करने में सक्षम होते हंै। इसीलिए इन नौ हर्बल पौधों को दैवीय वनस्पति माना गया है।
दिव्य गुणों से भरपूर दैवीय वनस्पति
मार्कण्डेय ऋषि के अनुसार इन चमत्कारिक हर्बल वनस्पतियों में मौजूद औषधियां समस्त प्रकार के रोगों का नाश करने व स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से बचाने के लिए एक कवच की तरह कार्य करती हैं। इसलिए इसे दुर्गा कवच भी कहा गया है। इनके इस्तेमाल से कोई भी मनुष्य अकाल मृत्यु से बचकर सौ साल का जीवन जी सकता है। इन्हीं दिव्य गुणों वाली नौ औषधियों को नवदुर्गा स्वरूप कहा व माना जाता है।
इन 9 हर्बल पेड़-पौधों की विशेष मांग
वन विभाग (Forest Department) की नर्सरी में जिन विशेष हर्बल पौधों की मांग अचानक बढ़ गई है उनमें हरड़, ब्राह्मी, चंदूसूर यानी चमसूर, कुम्हड़ा , अलसी, अम्बा यानी अम्बालिका अम्बिका मचिका, नागदौन, तुलसी और शतावरी हैं। इन्हीं 9 हर्बल औषधीय पेड़-पौधों को दिव्य गुणों के कारण नवदुर्गा वनस्पति कहा जाता है। कई आध्यात्मिक व जानकार लोग इन्हें पूजा स्थल पर रखकर 9 दिनों तक इनकी यंत्र, मंत्र तंत्र से पूजा-पाठ करते हैं।
सनातन धर्म मे ंपेड़-पौधों में ईश्वर का वास माना गया है। इसीलिए हम आदिकाल से पीपल, बरगद, तुलसी को पूजते आ रहे हैं। नवदुर्गा के अवसर पर नौ स्वरूप वाले नौ प्रजाति के पौधों की विशेष मांग इस बार कुछ ज्यादा बढ़ गई है, मगर इस बार नौ दुर्गा पर्व शुरू होने के एक दिन पहले ही पूजा-अनुष्ठान में काम आने वाले हर्बल पौधे खत्म हो चुके है ं। नौ में चार प्रकार के पौधे हैं, मगर सब नौ प्रकार के पौधे एक साथ मांगते हैं, इसलिए हम दे पाने में असमर्थ हैं।
एसके बिल्लोरे, डिप्टी रेंजर, वन विभाग, इंदौर]
इन नौ हर्बल पौधों में नौ दुर्गा का वास
1 प्रथम शैलपुत्री, यानी हरड़ – नवदुर्गा का प्रथम रूप, जिन्हें शैलपुत्री माना गया है।
2 द्वितीय ब्रह्मचारिणी, यानी ब्राह्मी – नवदुर्गा का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी है।
3 तृतीय चंद्रघंटा, यानी चंदूसूर – नवदुर्गा का तीसरा रूप है चंद्रघंटा, इसे चंदूसूर या चमसूर कहा गया है।
4 चतुर्थ कूष्माण्डा, यानी कुम्हड़ा – नवदुर्गा का चौथा रूप कूष्माण्डा है, जिसे कुम्हड़ा कहते हैं ।
5 पंचम स्कंदमाता, यानी अलसी – नवदुर्गा का पांचवां रूप स्कंदमाता है। औषधि के रूप में अलसी में विद्यमान हैं।
6 षष्ठम कात्यायनी, यानी अम्बिका – नवदुर्गा का छठा रूप कात्यायनी है। इसे आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है, जैसे अम्बा, अम्बालिका, अम्बिका।
7 सप्तम कालरात्रि, यानी नागदौन – दुर्गा का सप्तम रूप कालरात्रि है, जिसे महायोगिनी, महायोगीश्वरी कहा गया है। यह नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती है।
8 अष्टम महागौरी, यानी तुलसी – नवदुर्गा का अष्टम रूप महागौरी है, जिसे प्रत्येक व्यक्ति औषधि के रूप में जानता है, क्योंकि इसका औषधि नाम तुलसी है, जो प्रत्येक घर में लगाई जाती है।
9 नवम सिद्धिदात्री, यानी शतावरी – नवदुर्गा का नवम रूप सिद्धिदात्री है, जिसे नारायणी या शतावरी कहते हैं।
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