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    INDORE : 25 साल से सरकारी जमीन पर कब्जा, तो मिलेगा 30 साल का स्थायी पट्टा

  • October 07, 2021

    • अग्निबाण विशेष… इंदौर जिले में अभी तक 464 आवेदन प्रशासन को मिले… सर्वाधिक 168 सांवेर के, क्योंकि सडक़ चौड़ीकरण के लिए सौंपे थे अधिकार-पत्र

     इंदौर, राजेश ज्वेल। शासन के निर्देश पर सरकारी (Government) यानी नजूल जमीनों ( Nazul lands)  पर जो कब्जे या निर्माण हैं उन्हें 30 साल का स्थायी पट्टा दिया जाएगा। शर्त यह है कि 31 दिसम्बर 2014 से सरकारी जमीन (Government Land)  पर निरंतर कब्जा होना चाहिए। यानी 25 साल से अगर कब्जा है तो स्थायी पट्टे की पात्रता रहेगी। जिला प्रशासन (district administration)  को अभी तक 464 आवेदन प्राप्त हुए हैं। जिस पर दावे-आपत्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सबसे अधिक 168 आवेदन सांवेर क्षेत्र से प्राप्त हुए हैं, क्योंकि सडक़ (Road) चौड़ीकरण के चलते कई लोगों को अधिकार-पत्र दिए गए थे। उन्होंने अब स्थायी पट्टे के लिए आवेदन किए हैं। शासन नियमों के मुताबिक स्थायी पट्टा देते वक्त आवासीय और व्यवसायिक प्रीमियम दरों की तय की गई राशि जमा करवाई जाएगी और उसी के मान से सालाना भू-फाटक भी 2018 के नियमों के तहत निर्धारित किया जाएगा।

    पिछले दिनों राज्य शासन ने अर्बन सीलिंग और सरकारी जमीन (GOVT Land) पर मकान, दुकान बनाने वालों को मालिकाना हक देने का निर्णय लिया, जिनके कब्जे का रिकार्ड 1989 से लेकर 31 दिसम्बर 2014 तक का है। यानी 25 साल तक अगर सरकारी जमीन पर निरंतर कब्जा(Capture) और निर्माण है तो ऐसे धारकों को ही 30 साल के स्थायी पट्टे की पात्रता होगी। इस संबंध में कलेक्टर मनीष सिंह ने पिछले दिनों आदेश जारी किए थे और एसडीएम प्रतुल्ल सिन्हा को इसका नोडल अधिकारी बनाया, जो धारणा अधिकार के संबंध में प्राप्त आवेदनों की प्रक्रिया करेंगे, जिसके चलते अभी इंदौर (Indore) सहित सभी तहसीलों में आने वाले आवेदनों की सार्वजनिक उद्घोषणा की जा रही है, जो कि राजस्व के साथ-साथ कलेक्टर (Collector)  की अधिकृत वेबसाइट (Wepsite) पर भी होगी और प्रमुख समाचार-पत्रों में भी इसका प्रकाशन किया जाएगा, ताकि दावे-आपत्तियां ली जा सके। अभी हातोद, कनाडिय़ा, सांवेर के आवेदनों की विज्ञप्तियों का प्रकाशन किया गया है। इस संबंध में नोडल अधिकारी और एसडीएम प्रतुल्ल सिन्हा से पूछने पर उन्होंने बताया कि 464 आवेदन मिल चुके हैं, जिनमें सर्वाधिक 168 सांवेर क्षेत्र के हैं, क्योंकि वहां सडक़ चौड़ीकरण और निर्माण के दौरान कई लोगों को अधिकार-पत्र सौंपे गए थे। हातोद में भी 88 आवेदन मिले हैं। अभी आवेदन लेने की प्रक्रिया निरंतर जारी भी रहेगी। शासन ने तय किया है कि आवासीय जमीन पर अगर 1500 स्क्वेयर फीट में कब्जा है तो कलेक्टर गाइडलाइन की 5 प्रतिशत राशि प्रीमियम के रूप में जमा करना होगी। अगर दो हजार स्क्वेयर फीट तक निर्माण है तो 10 प्रतिशत प्रीमियम की राशि और दो हजार स्क्वेयर फीट से अधिक होने पर 100 फीसदी कलेक्टर गाइडलाइन के मान से प्रीमियम राशि जमा करना होगी। इसी तरह अगर व्यवसायिक निर्माण है तो 200 स्क्वेयर फीट तक के भूखंड पर वर्तमान बाजार मूल्य की 25 प्रतिशत राशि और अगर उससे अधिक क्षेत्रफल है तो 50 प्रतिशत और एक हजार स्क्वेयर फीट से अधिक क्षेत्रफल में 100 प्रतिशत बाजार मूल्य की राशि ली जाएगी और भू-राजस्व संहिता की धारा के तहत जो वार्षिक भू-भाटक बनेगा वह हर साल स्थायी पट्टेदार को जमा करना पड़ेगा। 31 दिसम्बर 2014 की स्थिति में सरकारी जमीन के अधिभोगियों के आधिपत्य के भूखंडों को पृथक-पृथक दर्शाते हुए नक्शा तैयार किया जाएगा और इसके लिए 31 दिसम्बर 2014 के सेटेलाइट नक्शे की सहायता ली जाएगी। आवेदन के बाद जांच दल द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन के आधार पर और जो 30 दिन की समय सीमा दावे-आपत्तियों की है उसकी जांच-पड़ताल के बाद अधिभोगियों को 30 साल का स्थायी पट्टा व भू-स्वामी प्रमाण-पत्र जारी किया जाएगा। इसके आधार पर वह बैंक लोन लेने से लेकर भविष्य में जमीन का क्रय-विक्रय भी कर सकेगा। बिजली बिल, जल प्रदाय बिल या अन्य आधिपत्य के प्रमाण के रूप में आवेदन के साथ लिए जाएंगे।

    सार्वजनिक प्रयोजन की जमीनें नहीं मिलेगी पट्टे पर
    शासन के राजस्व विभाग ने 24 सितम्बर 2020 को परिपत्र इस संबंध में जारी किया उसमें सार्वजनिक प्रयोजन की जमीनों पर काबिज लोगों को ये स्थायी पट्टे नहीं मिलेंगे। ग्रीन बेल्ट, बगीचे, खेल के मैदान, सडक़, गली, नदी-नाले या जल संग्रहण क्षेत्र के रूप में चिन्हित जमीनों के अलावा धार्मिक स्थल की जमीन, राजस्व, वन भूमि या संहिता की धारा 233 क के अधीन आरक्षित जमीनों पर ये पट्टे नहीं दिए जा सकेंगे। अगर किसी जमीन का विवाद न्यायालय या अन्य सक्षम प्राधिकारी के समक्ष चल रहा है तो भी उसका निराकरण अभी नहीं किया जाएगा और इस नीति का लाभ एक परिवार एक ही बार में उठा सकेगा। विवाद के मामले में कलेक्टर का निर्णय ही अंतिम माना जाएगा।


    निजी से सरकारी हुई जमीनों का निर्णय शासन करेगा
    कई जमीनें ऐसी है जो पहले निजी थी और बाद में फिर सरकारी घोषित कर दी गई। लिहाजा ऐसे प्रकरणों में भी अभी इस धारणा अधिकार नीति के तहत जो आवेदन प्राप्त होंगे उसका निर्णय स्थानीय स्तर पर प्रशासन नहीं करेगा, बल्कि ऐसे प्रकरणों को शासन के पास यानी भोपाल भेजा जाएगा। शासन जांच-पड़ताल के बाद अधिसूचित करते हुए पट्टे देने की पात्रता या अपात्रता निर्धारित करेगा। उसके आधार पर प्रशासन अंतिम निर्णय लेगा। यानी पहले निजी और फिर सरकारी हो चुकी जमीनों के संबंध में स्थानीय स्तर पर फिलहाल निर्णय नहीं लिया जाएगा। आबादी के अधिभोगियों के प्रकरणों में स्वत्व अधिभोग की जांच अत्यंत बारीकी से करने के निर्देश इसीलिए शासन ने दिए हैं।

    ग्रामीण क्षेत्रों में स्वामित्व योजना के तहत मालिकाना हक
    शहरी क्षेत्र में जहां धारणा अधिकार के तहत स्थायी पट्टे देकर मालिकाना हक दिया जा रहा है, तो इसी तरह का अभियान ग्रामीण आबादी का सर्वे कर स्वामित्व योजना के तहत अधिकार दिए जाएंगे। अभी 6 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशभर में इस अभियान की शुरुआत की और मध्यप्रदेश के भी कुछ जिलों में ये स्वामित्व योजना के मालिकाना हक ग्रामीणों को दिए गए पिछले दिनों प्रमुख राजस्व आयुक्त डॉ. संजय गोयल और आयुक्त भू-अभिलेख एवं बंदोबस्त बी. ज्ञानेश्वर पाटिल ने सभी जिलों के अपर कलेक्टरों से इंदौर में ही चर्चा की थी और उन्हें निर्देश दिए कि सभी जिलों में स्वामित्व योजना का निराकरण करें। इंदौर में भी ग्रामीण क्षेत्रों में स्वामित्व योजना के तहत जल्द पट्टे दिए जाएंगे।

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