नई दिल्ली। हर साल की तरह इस साल भी फलाहार (fruit food) पर रहना महंगा पड़ेगा। नवरात्र (Navratri) शुरू होने के साथ ही फलों के भाव में उछाल (Fruit price jump) आ गया है। सेब के भाव (apple prices) तो पहले से ही बढ़े थे अब यह और लाल हो गया है तो केला भी 50 रुपये से 70 रुपये प्रति दर्जन बिकने लगा है। खास बात यह भी है कि अब फलों के भाव में कमी के लिए काफी इंतजार करना होगा। क्योंकि दीपावली, छठ पूजा के बाद ही इस भाव में कमी आने की उम्मीद है।
हर साल की तरह इस साल भी फलों के भाव नवरात्र के दिनों में आमान छूने लगे है। सेब की बात करें तो एक सप्ताह पहले थोक मंडी में 40-50 रुपये प्रतिकिलो बिकने वाला अब 60-100 रुपये प्रतिकिलो तक पहुंच गया है। खुदरा मार्केट की बात करें तो 80 रुपये से 150 रुपये प्रतिकिलो बिक रहा है।
यही स्थित मौसमी की है। मौसमी 60 रुपये प्रतिकिलो थोक मंडी में आ रहा है। इसी तरह नाग भी अपना तेवर कड़ा कर लिया है। नाग नाम से बिकने वाला फल इनदिनों मंडी में 1500 रुपया पेटी बिक रहा है। जबकि एक सप्ताह पहले इसका भाव 1000 रुपये था। प्रतिकिलो की बात करें तो नाग फुटकर बाजार में 30-50 रुपये और बाबूगोशा 70 रुपये प्रतिकिलो तक बिक रहा है। इसी तरह पपीता भी 50-60 रुपये प्रतिकिलो मिल रहा है।
अनार, मौसमी और सेब आदि के भाव में नवरात्र आने से पहले ही काफी इजाफा हो गया। महाराष्ट्र के नासिक में अधिक बारिश होने के कारण वहां अनार और मौसमी की आवक में कमी आई है। इसके अलावा हरा नारियल, कीवी के भाव में भी इजाफा हो गया है।
सेब क्यों हुआ महंगा
मौसम की वजह से सेब तो लाल हुआ ही साथ ही जम्मू-कश्मीर में इनदिनों लोग उलटाई में लगे हैं यानी फल तोड़ने में लगे हैं। इस वजह से भराई नहीं हो रही है। साथ ही जम्मू में यह नियम है कि एक गाड़ी प्रवेश करेगी तो ही फलों से लदी दूसरी गाड़ी को छोड़ा जाएगा। ऐसे में आवक कम रह रही है। दूसरी तरफ हिमाचल का फल इनदिनों सिर्फ स्टोरेज में है और भाव बढ़ने के साथ उसे मार्केट में भेजा जाता है।
भाव कम होने में लगेगा वक्त
फ्रुट एंड वेजिटेबल वकर्स एसोसिएशन आजादपुर के अध्यक्ष मुकेश कुमार का कहना है कि नवरात्र में फलों की मांग बढ़ जाती है। इस लिहाज से आवक भी नहीं रहती। जम्मू-कश्मीर में इस साल ठीक से बरसात नहीं हुई। इस वजह से सेब के भाव बढ़े हुए हैं। उनका मानना है कि फलों के भाव में कमी दीपावली और छठ के बाद ही होगी। साल के शुरुआत में कोरोना के वजह से फलों की मांग बढ़ी तो अब डेंगू और वायरल बुखार के चलते भी इनकी खपत बढ़ी है।
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