- जमीन की कीमत तक नहीं निकल रही-सिंहस्थ भूमि पर कॉलोनी बसाने वाले, प्रशासन के दबाव में प्रभावितों को बांट रहे हैं चंद सिक्के
उज्जैन। सिंहस्थ भूमि पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के बाद प्रशासन के दाबव के चलते छोटे बिल्डर्स लोगों को कुछ रुपये देकर पल्ला झाड़ रहे हैं। लोगों का कहना है कि घर बनाने में 10 से 15 लाख खर्च हुए और बिल्डर सिर्फ 2 लाख रुपये ही दे रहे हैं जो जमीन की कीमत भी नहीं है। लोगों का आरोप है कि सिंहस्थ भूमि पर कुछ प्रभावशाली लोगों को छोड़कर छोटे-छोटे बिल्डर अब प्रशासन के दबाव के चलते प्रभावित लोगों को महज कुछ रुपए देकर पल्ला झाड़ते हुए नजर आ रहे हैं। जिसकी शुरुआत आज कलेक्टर कार्यालय पर 5 प्रभावित लोगों को बिल्डरों द्वारा 12 लाख की राशि मुआवजे के रूप में दी गई। ज्ञात रहे कि सिंहस्थ क्षेत्र में 6 कॉलोनियों के 363 मकानों को नोटिस दिया गया।
सिंहस्थ क्षेत्र में कुछ प्रभावशाली लोगों ने किसानों से ओने पौने दामों पर जमीन लेकर प्लाट काट दिया और लोगों को प्लाट बेच कर अच्छी कीमत वसूल की गई। लोगों ने प्लाट लेकर अपने जीवन भर की कमाई को लगाकर मकान तैयार किए लेकिन लाखों रुपए के आशियाने को अब सिंहस्थ क्षेत्र होने की वजह से तोडऩे का नोटिस उन्हें मिल चुका है। प्रशासनिक दबाव के चलते प्लाट की कीमत से भी कम बिल्डरों द्वारा मुआवजे की राशि लेकर संतोष करना पड़ा। ऐसे में प्रभावित लोगों का प्रशासन से यह सवाल यह है कि जब यह सिंहस्थ भूमि थी और इसे लेकर हमें अपने जीवन भर की पूंजी को गंवाना पड़ा, तो ऐसे में इस भूमि पर प्लाट की रजिस्ट्री करने वाले रजिस्ट्रार नक्शा पास करने वाले नगर निगम के अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि जो आज हमारी इस परिस्थिति को देखते हुए मौन धारण किये हुए हैं, जिन्होंने अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के चलते हमें प्लॉट खरीदते वक्त आगाह नहीं किया। यह सब भी सिंहस्थ क्षेत्र में हुए अवैध निर्माण के लिए दोषी होते हैं। इन्हीं जिम्मेदार लोगों की वजह से हमें अपने जीवन भर की पूंजी से हाथ धोना पड़ा इसलिए हमारी मांग है कि सिंहस्थ भूमि पर अतिक्रमण कराने में सहभागिता के चलते इन लोगों पर भी कार्रवाई की जानी चाहिए। इसी के चलते कुछ लोगों ने इस विषय में कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है और मांग की है कि सिंहस्थ क्षेत्र में अवैध कॉलोनी काटने में सहभागिता रखने वाले सभी दोषियों पर कार्रवाई की जाए प्रशासन लोगों को उनके आशियाना तोडऩे के नोटिस थमा रहा है लेकिन इसे बनाने में सहभागिता रखने वाले प्रशासनिक अधिकारियों को बचाने की कोशिश कर रहा है।