नई दिल्ली । उम्र बढ़ने के साथ-साथ शरीर में कई तरह के बदलाव आने लगते हैं. बढ़ती उम्र का सबसे ज्यादा असर मेटाबॉलिज्म (metabolism) पर पड़ता है और इसके कमजोर होने से डायबिटीज (diabetes) और हाइपरटेंशन (Hypertension) जैसी कई बीमारियां होने लगती हैं. महिलाओं (women) के लिए 30 साल की उम्र बहुत मायने रखती है. इस उम्र में तमाम जिम्मदारियों और मानसिक दबाव के बीच संतुलन बनाना मुश्किल हो जाता है जिसका असर सेहत पर पड़ता है. 30 की उम्र में कई तरह के हार्मोनल बदलाव भी होते हैं. यही वजह है कि हेल्थ एक्सपर्ट्स इस उम्र महिलाओं को 5 टेस्ट कराने की सलाह जरूर देते हैं.
कम्प्लीट ब्लड काउंट (Complete blood count)- कम्प्लीट ब्लड काउंट को CBC भी कहते हैं. ये एक ब्लड टेस्ट होता है जिसके जरिए पूरी सेहत के बारे में पता लगाया जा सकता है. सीबीसी से किसी भी तरह के इंफेक्शन, एनीमिया, डिसऑर्डर और कुछ मामलों कैंसर तक का भी पता लगाया जा सकता है. कम्प्लीट ब्लड काउंट में लाल रक्त कोशिकाओं (R.B.C s), श्वेत रक्त कोशिकाओं (W.B.C s), हीमोग्लोबिन, हेमटोक्रिट (Hct) और प्लेटलेट्स के बारे में पूरी जानकारी मिलती है.
लिपिड प्रोफाइल (Lipid profile)- लिपिड प्रोफाइल में खून में विशिष्ट वसा अणुओं की मात्रा को मापा जाता है जिसे लिपिड कहा जाता है. इसमें कई तरह के कोलेस्ट्रॉल के बारे में पता लगाया जा सकता है. ये टेस्ट दिल की बीमारियों और रक्त वाहिकाओं के स्वास्थ्य की जांच करने में मदद करता है. लिपिड प्रोफाइल का पता लगाने से खाने की आदतों, डाइट, तनाव,एक्सरसाइज और लाइफस्टाइल को सही किया जा सकता है. आमतौर पर थायरॉयड या पॉलिसिस्टिक ओवेरी डिसीज खराब लिपिड प्रोफाइल से ही जुड़ा होता है.
थायराइड फंक्शन टेस्ट (Thyroid function test)- भारत में लगभग 10 में से 1 महिला को थाइरॉयड की समस्या है. इसके लक्षण शुरू में धीमे होते हैं और अक्सर लंबे समय तक इस पर किसी का ध्यान नहीं जाता है. इसलिए 30 के बाद महिलाओं थाइरॉयड की जांच जरूर करानी चाहिए. हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, इसके आम लक्षण अनियमित पीरियड्स, वजन का अचानक बढ़ना, बाल झड़ना या इनफर्टिलिटी हैं.
ब्लड शुगर (Blood sugar)- 35-49 साल में कई महिलाएं डायबिटीज की चपेट में आ जाती हैं. कुछ को लंबे समय से डायबिटीज रहता है और लक्षण खास ना होने की वजह से उन्हें इसका पता भी नहीं चलता. डायबिटीज में ब्लड शुगर अचानक बढ़ सकता है जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. डायबिटीज में शरीर में इंसुलिन ठीक से नहीं बन पाता है. एनर्जी और ब्लड शुगर का उपयोग करने के लिए इंसुलिन बहुत जरूरी है.
पैप स्मीयर टेस्ट (Pap smear)- महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. पैप स्मीयर स्क्रीनिंग के जरिए सर्वाइकल कैंसर का पता शुरुआती स्टेज पर ही लगाया जा सकता है. इस टेस्ट के जरिए सर्वाइकल कोशिकाओं में हो रहे बदलाव का पता भी लगाया जा सकता है. कोशिकाओं में होने वाला ये बदलाव ही आगे चलकर कैंसर का रूप ले लेता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, 30 या इससे ज्यादा उम्र की महिलाओं को हर 5 साल में एक बार पैप स्मीयर टेस्ट जरूर कराना चाहिए.
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