इंदौर। मौसमी बीमारियों (Seasonal Diseases) से शहर के अधिकांश घर व परिवार पीडि़त है। डेंगू, मलेरिया, सर्दी-खांसी, बुखार (dengue, malaria, cold, cough, fever) की यह खतरनाक बाढ़ कोरोना (Corona) की तीसरी लहर (Third wave) से कम नहीं है।
मौसमी बीमारियों (Seasonal Diseases) के कहर का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सोमवार को एमवाय अस्पताल (MY Hospital) की नई ओपीडी (OPD) में पर्ची बनवाने वाले मरीजों या उनके परिजनों की लाइन न्यू ओपीडी (New OPD) से बाहर तक आ गई थी। सरकारी अस्पतालों (Government Hospital) से लगाकर शहर के सारे अस्पताल मरीजों से पटे पड़े हैं। हालात यह है कि अस्पतालों में मेडिकल बेड (Medical Bed) ही नहीं मिल रहे। इन हालातों ने कोरोना की दूसरी लहर (Second Wave) की यादें ताजा कर दी हंै। उस दौरान भी यही स्थिति थी कि अस्पतालों में मरीजों के लिए जगह ही नहीं थी। हालांकि मौसमी बीमारियां कोरोना की तरह खतरनाक व जानलेवा नहीं हैं, मगर डेंगू मरीजों की बढ़ती संख्या चिंताजनक है।
डेंगू पीडि़त बच्चों की संख्या 100 पार
स्वास्थ्य विभाग (Health Department) के अनुसार कल तक डेंगू पीडि़तों की संख्या 489 हो चुकी है । इनमें बच्चों की संख्या 104 है। फीमेल मरीजों की संख्या 209 और मेल मरीजों की 280 है। 489 में से 444 मरीज ठीक हो चुके हैं, वहीं अभी 27 डेंगू पीडि़तों में से 17 मरीज भर्ती हंै।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों को सही नहीं मानते निजी अस्पताल वाले
स्वास्थ्य विभाग (Health Department) के अनुसार डेंगू पीडि़तों की कल तक संख्या 489 ही है, मगर इन आंकड़ों को निजी अस्पताल व निजी प्रैक्टिस करने वाले डाक्टर सही नहीं मानते, मगर वह सरकार या प्रशासन के खिलाफ खुलकर बोलने में डरते हैं। उनका कहना है कि हम क्या बोलें। हर शहरवासी जानता है कि स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े कितने विश्वसनीय हैं। इसी तरह स्वास्थ्य विभाग निजी अस्पतालों के आंकड़ों पर यकीन नहीं करता। इनके अधिकारियों का कहना है कि निजी लैब व निजी अस्पताल वाले रैपिड प्रोसेस सिस्टम से जांच करते हैं, मगर मैकेलाइज प्रोसेस सिस्टम की जांच को सही मानते हैं।
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