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    ये पॉलिटिक्स है प्यारे

    October 04, 2021

    नगर निगम चुनाव हो रहे हैं क्या भिया?
    उपचुनाव के बाद नगर निगम चुनाव होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। राज्य चुनाव आयोग अपनी तैयारी कर रहा है और सबकुछ ऐसा ही रहा तो दिसंबर अंत या जनवरी की शुरुआत में निगम चुनाव हो सकते हैं। डेढ़ साल से टलते आ रहे चुनाव को लेकर एक बार फिर दावेदारों के कलफदार कुर्ते बाहर निकलकर आ गए हैं और उन्होंने क्षेत्र में मेलजोल बढ़ा दिया है। हालांकि वे खुद ही कन्फ्यूज हैं कि चुनाव होंगे या नहीं? वे बड़े नेताओं से पूछते हैं कि भिया चुनाव हो रहे हैं या नहीं? भिया के पास भी इसका उत्तर नहीं है। दावेदारों की चिंता खर्च को लेकर है, क्योंकि पिछले साल वे बहुत खर्चा कर चुके हैं और चुनाव हुए ही नहीं।
    हमारी टूटी तो तुम्हारी भी नहीं छोड़ेंगे
    कनाडिय़ा रोड के अवैध निर्माण अभी तक बचे रहने के मामले में भाजपा के स्थानीय नेताओं पर ही सवाल उठा है। पटेल बंधुओं पर जिन भाजपा नेताओं का वरदहस्त था, उन्हें भी निर्माण टूटने के कारण कमाई जाने की पीड़ा तो हुई है। इससे थोड़ी ही दूर एक कालोनी की जमीन पर यहां के एक पूर्व पार्षद ने भी दुकानें बनाकर किराए पर देने की तैयारी कर ली थी, लेकिन उन पर भी बुलडोजर फिरवा दिया गया। कनाडिय़ा रोड की इसी राजनीति में भाजपा में दो गुट बन गए हैं, जो विधायक से जुड़े तो हैं, लेकिन अपनी-अपनी चलाते हंै और फिर मामला कमाई का हो तो कौन छोड़े?
    तमन्ना पूरी हो गई जेल जाने की
    कांग्रेस ने संभागायुक्त कार्यालय पर जेलभरो आंदोलन की घोषणा की थी। पुलिस प्रशासन की पूरी तैयारी थी, लेकिन गिरफ्तारी नहीं हुई। इसके पहले महिला कांग्रेस अध्यक्ष शशि यादव और उनकी समर्थकों के साथ वरिष्ठ नेत्रियों ने जेल जाने की हसरत पूरी कर ली। हुआ यूं कि संभागायुक्त कार्यालय के सामने खड़े जेल वाहन में चढक़र उन्होंने अपने फोटो खिंचवा लिए और इस तरह का अभिनय किया कि पुलिस उन्हें पकडक़र ले जा रही है। इन्हें देख कांगे्रस के नेता कह रहे थे िक जिन पर प्रकरण दर्ज हो रहे हैं वे भागते फिर रहे हैं और इन्हें जेल जाने का शौक चढ़ रहा है।


    अध्यक्ष की दौड़ में खोल रहे एक-दूसरे की पोल
    कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ में चल रही उथल-पुथल खुलकर सामने आ गई है। एक तरफ शेख अलीम अकेले पड़ गए हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस के पूर्व पार्षद किला लड़ा रहे हैं। सारा मामला प्रदेश कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ अध्यक्ष बनने को लेकर है। अभी तक अलीम के साथ चल रहे पूर्व पार्षद और कांग्रेस नेता अब उनका नेतृत्व नहीं चाह रहे हैं और इसी कारण सोशल मीडिया पर एक-दूसरे की पोल खोलने से बाज नहीं आ रहे हैं। इसको लेकर इंदौर से भोपाल तक भी अल्पसंख्यक नेताओं की गाडिय़ां खूब दौड़ रही हैं।
    कैसे बजेगी सवा लाख के मोबाइल की घंटी
    भाजपा के सभी मोर्चों में नगर अध्यक्ष की नियुक्ति होना है और इसके लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया जा रहा है। ऐसे ही एक मोर्चे में इंदौर नगर अध्यक्ष पद के लिए जो लॉबिंग हो रही है, उसमें मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष को दिया गया सवा लाख का मोबाइल चर्चा में है। जिस दावेदार ने ये मोबाइल सौंपा है वे अपने आपको अध्यक्ष मानकर ही चल रहे हैं। हालांकि उनकी दावेदारी को रोकने के लिए विरोधियों ने खजराना क्षेत्र में उनके द्वारा काटी गई कालोनी का मामला सामने लाने की तैयारी की है। जो मोबाइल उपहार में दिया गया है, विरोधी उसकी घंटी किसी भी कीमत पर नहीं बजने देना चाहते हैं।


    दिग्गी के साथ फोटो खिंचवाने की होड़
    इन दिनों जब भी कोई बड़ा नेता इंदौर आ रहा है तो लोकसभा की पूर्व स्पीकर के यहां जाना नहीं भूल रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्गी भी आए और ताई से मिले। जैसे ही वे ताई से मिलकर बाहर निकले तो ताई समर्थकों ने उन्हें फोटो खिंचवाने के लिए घेर लिया और कुछ तो अपने आपको उनसे जोडक़र संस्मरण याद दिलाने लगे। एक ने तो कह दिया कि पुलिस के आईजी ने उन्हें ही फोन लगाकर पूछा था कि दिग्विजयसिंह के साथ कितनी भीड़ आ रही है? इस पर सब उनका मुंह देखने लगे। जिन दिग्गी को बंटाढार कहकर सत्ता में आए, उनके लिए ताई समर्थकों का प्रेम देखते ही बन रहा था।
    पौधे से राजनीतिक पैचवर्क की तैयारी
    कोरोना काल में इंदौर आए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का ऐतिहासिक स्वागत करने के चक्कर में 4 नंबर की विधायक मालिनी गौड़ और उनके समर्थकों की खूब भद पिटी। यहां तक कि मुख्यमंत्री ने भरे मंच से कहा कि उन्हें ये सब अच्छा नहीं लगा और वे कोरोना रहने तक अपना स्वागत नहीं करवाएंगे। इसके बाद दूसरे नेताओं को मौका मिला और उन्होंने इसका खूब प्रचार किया। हालांकि मालिनी गौड़ सीएम के साथ तो दिखती हैं, लेकिन अब वो बात नहीं दिख रही है। गौड़ ने अब एक साल तक प्रतिदिन एक पौधा लगाने का संकल्प लिया है। कहीं पौधे से सीएम व उनके बीच हुए राजनीतिक गड्ढे का पैचवर्क तो नहीं किया जा रहा ?

    इंदौर संभाग में रहे दो संगठन मंत्री इंदौर शहर का मोह छोड़ नहीं पा रहे हैं। इंदौर आ-जा रहे हैं और जिन लोगों को भाईसाब की चाकरी करने की आदत है, वे वहां प्रकट हो ही जाते हैं। वैसे भाईसाब के पास संगठन मंत्री रहते जितनी भीड़ हुआ करती थी, उससे अब दस परसेंट नहीं होती। जो धोक लगा रहे हैं उन्हें आस है कि भाईसाब फिर से बड़े भाईसाब (प्रांत संगठन मंत्री) बनकर आ गए तो हमारा भला कर ही देंगे।
    -संजीव मालवीय

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