बीजिंग। चीन (China) की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी देश की बड़ी इंटरनेट कंपनियों (big internet companies) पर राजनीतिक नियंत्रण और सख्त कर रही(tightening political controls) है। वह अमेरिकी और यूरोपीय प्रौद्योगिकी पर निर्भरता कम करने (Reducing reliance on American and European technology) की अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए इन कंपनियों के धन का दोहन कर रही है। चीन (China) में पिछले साल के आखिर में शुरू हुए एकाधिकारी-विरोधी और डाटा सुरक्षा संबंधी कार्रवाई (Anti-monopoly and data protection action) ने इंटरनेट उद्योग(internet industry) को हिलाकर रख दिया था, जो पिछले दो दशकों से नाम मात्र के नियमन कानूनों के साथ फल-फुल रहा था।
बीते कुछ महीनों के दौरान शायद ही कोई ऐसा दिन गुज़रा हो, जब चीनी अर्थव्यवस्था के किसी क्षेत्र को लेकर किसी नई कार्रवाई की ख़बर न आई हो।चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट सरकार कड़े नियम बना रही है और मौजूदा नियमों को और और सख्ती से लागू किया जा रहा है। इसकी वजह से देश की कई बड़ी कंपनियों पर नियंत्रण बढ़ा है। दरअसल, ये फ़ैसले राष्ट्रपति शी जिनपिंग की केंद्रीय नीति का हिस्सा हैं, जिसे “आम समृद्धि (कॉमन प्रॉस्पेरिटी)” का नाम दिया गया है।
चीन में यह मुहावरा कोई नया नहीं है। 1950 के दशक में पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना के संस्थापक माओत्से तुंग ने इसका इस्तेमाल किया था। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) ने इस साल जुलाई में अपनी स्थापना के 100 साल पूरे कर लिए। पार्टी की स्थापना के सौवें साल में इस शब्दावली के उपयोग में आई तेज़ वृद्धि को लेकर माना जा रहा है कि अब यह सरकार की नीति के केंद्र में है।
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