उज्जैन। कोरोना काल के बाद आ रहे दशहरे और दिवाली पर इस पटाखे फोडऩा महंगा होने वाला है। लॉकडाउन के कारण फैक्ट्रियां बंद रहने और कच्चे माल के रेट में बढ़ोतरी के कारण शिवाकाशी के बाजार में देसी पटाखा 20 से 25 प्रतिशत तक महंगा बिक रहा है, जिसका असर खेरची बाजार में भी होगा। ऊपरी तौर पर पटाखा व्यापारी चाइना के पटाखे बेचने से मना कर रहे हैं, लेकिन अगर बाजार में चाइना का पटाखा आता है तो इसका असर देसी पटाखे के बाजार पर होगा।
पिछले साल दिवाली और दशहरे पर पटाखा व्यापार पर कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन का गहरा असर हुआ था। एक तरह से नए पटाखों का उत्पादन नहीं हुआ था। शिवाकाशी, जो देश में पटाखा उत्पादन में अव्वल है, वहां भी क्षमता से बहुत कम पटाखों का उत्पादन हुआ था। इस साल भी कोरोना के कारण पटाखा फैक्ट्रियां बंद रहीं और लॉकडाउन समाप्त होने के बाद वहां उत्पादन शुरू हुआ है। जुलाई के बाद शुरू हुए उत्पादन के लिए कच्चे माल की आपूर्ति और फिर मजदूरों की पूर्ति में ही एक माह बीत गया। उसके बाद अगस्त में उत्पादन शुरू हुआ, जो इस बार भी कम होने की उम्मीद है, क्योंकि दक्षिण भारत में इस बार बारिश ने भी कहर बरपाया और पटाखे सूख नहीं पाए। शिवाकाशी से पटाखों की खरीदारी कर लौटे व्यापारी ने बताया कि पटाखों पर कोरोना की मार साफ दिखाई दे रही है। कम उत्पादन, कच्चे माल के दाम में बढ़ोतरी के कारण पटाखों के दाम में 20 से 25 प्रतिशत तक तेजी रही है और पटाखे इस बार महंगे खरीदना पड़े। जाहिर है कि खेरची बाजार में भी पटाखे इस बार महंगे ही बिकेंगे, यानी दशहरे और दिवाली पर इस बार आतिशबाजी करना महंगा साबित होगा।
चाइना के पटाखे चोरी-छिपे आए बाजार में
चाइना के पटाखों को लेकर कहा जा रहा है कि ये बाजार में नहीं बिकेंगे, लेकिन सस्ते होने के कारण इस बार भी व्यापारियों ने चाइना के माल की बुकिंग करवाई है। रीजनल पार्क में बनाए जा रहे पटाखा मार्केट में कई व्यापारी ऐसे हैं, जो चाइना का नाममात्र का माल दुकान पर रखते हंै और उसको दिखाकर बुकिंग कर माल सीधे गोदाम से सप्लाई करते हैं। सूत्रों का कहना है कि इस बार भी बड़ी मात्रा में माल चाइना से आया है और कुछ माल पिछली बार का भी बचा है, जो इस बार बाजार में बिकने के लिए आ सकता है। पुलिस को इस संबंध में छापेमारी करना चाहिए।
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