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तंबाकू जैसा है फेसबुक, इंस्टाग्राम से बच्चों को दे रहा पहली सिगरेट, सांसद ने खुद बनाया फेक अकाउंट और कमियां गिनाईं

October 02, 2021

वाशिंगटन। ‘इंस्टाग्राम (Instagram) बच्चों के लिए पहली सिगरेट (Sigrate) जैसा है, इसका लक्ष्य किशोर होने तक उन्हें सोशल मीडिया (social media) के नशे की गिरफ्त में लेना है।’ नए सोशल मीडिया की यह कड़वी परिभाषा अमेरिकी सीनेटर ऐड मार्की (US Senator Ed Markey) ने इंस्टाग्राम की मालिकाना कंपनी फेसबुक (Facebook) की ग्लोबल सुरक्षा प्रमुख एन्टीगोन डेविस (Global Security Chief Antigone Davis) से पूछताछ के दौरान कही। इंस्टाग्राम के कारण कम उम्र लड़कियों में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ने की खुद फेसबुक की रिपोर्ट सामने आने और ‘इंस्टाग्राम किड्स’ योजना को लेकर सीनेट की कॉमर्स कमेटी ने डेविस से पूछताछ की।

मार्की ने कहा, इंस्टाग्राम का किशोरों पर गहरा असर पड़ रहा है। अवसाद और तनाव जानलेवा बन रहा है। उन्होंने कहा कि फेसबुक एक बड़ी तंबाकू कंपनी जैसा है, जो छोटी उम्र में बच्चों को अपने उत्पाद देना चाहता है ताकि जब तक वे किशोर उम्र में पहुंचें तो इनके आदी हो चुके हों और उन्हें नए नशे बेचकर वह करोड़ों का मुनाफा कमा सके। उन्होंने कहा ‘इंस्टा-ग्राम’ में आईजी का मतलब ‘इंस्टा-ग्रीड’ (तत्काल पाने लालच) है।

कम उम्र बच्चों के अकाउंट पर खुद फंसा फेसबुक
सांसदों ने पूछा कि क्या फेसबुक 13 साल से कम उम्र के बच्चों को अपना प्लेटफार्म इस्तेमाल करने देता है? इसका जवाब डेविस ने नहीं में दिया। पूरक प्रश्न में सांसदों ने कहा, ‘तो फिर उसने 8 साल से 13 साल तक के बच्चों की इंस्टाग्राम व फेसबुक पर गतिविधियों का अध्ययन कैसे किया?’ डेविस के पास इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं था।


इंस्टा किड्स प्रोजेक्ट फिर शुरू होगा?
कई सांसदों ने सवाल किया : क्या रोका गया इंस्टा-किड्स प्रोजेक्ट फेसबुक फिर शुरू करेगा? डेविस ने सीधा जवाब देने के बदले कहा कि यह निर्णय विशेषज्ञों और फेसबुक अधिकारियों की समिति लेगी।

फेसबुक ने कहा- अध्ययन कोई बम नहीं, सांसद बोले- फिर छिपाया क्यों

किशोरियों में फेसबुक- इंस्टाग्राम की वजह से आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति उजागर करती फेसबुक की ही रिपोर्ट पर डेविस ने कई दफा सफाई में कहा, ‘यह रिपोर्ट कोई बम नहीं है।’ सांसद रिचर्ड ब्लूमेंथल ने कहा, ‘रिपोर्ट बम ही है तभी फेसबुक ने इसे छिपाकर रखा। उसे पता था कि उसके कामों से बच्चों पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है, फिर भी उसने काम जारी रखा।’

अहम निष्कर्ष

  • सांसदों ने बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा बढ़ाने के लिए अमेरिकी कानूनों सख्त करने का निर्णय लिया।
  • फेसबुक के कदम नाकाफी। अपने फायदे के लिए उठाए गए कदम।
  • फेसबुक ने बच्चों के प्रति संवेदनशील होने का ढोंग किया। सांसदों के जवाब देने के बजाय टालते रहे।

दोनों दलों के सांसदों ने की जमकर खिंचाई
सुनवाई की अध्यक्षता मारिया कैंटवेल और रोजर विकर ने की। उपभोक्ता संरक्षण समिति के अध्यक्ष रिचर्ड ब्ल्यूमेंथल व मार्शल ब्लैकबर्न भी समिति में शामिल थे। दोनों प्रमुख दलों के सांसदों ने फेसबुक के खिलाफ दर्जनों आरोप उनके सामने रखे। अधिकतर का जवाब फेसबुक प्रतिनिधि डेविस नहीं दे पाईं।


सांसद ने खुद बनाया फेक इंस्टा अकाउंट, फिर बताईं कमियां
सीनेटर रिचर्ड ब्ल्यूमेंथल ने बताया कि उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक 13 साल की लड़की का फेक अकाउंट बनाया। यहां खाने-पीने की आदतों और डाइटिंग में गड़बड़ियाें वाले कंटेंट उन्हें भेजे गए। इसी से कम उम्र की लड़कियाें में मानसिक बीमारियां और तनाव बढ़ रहा है।

बिना लाइक्स के आपका काम नहीं चलता?

  • सवाल : क्या फेसबुक वादा कर सकता है कि उसका नया प्लेटफार्म लाइक्स से लोकप्रियता मापने के काम नहीं करेगा?
  • डेविस : फेसबुक के अध्ययन के बाद कुछ कह पाएंगे।
  • मार्की : उनकी टीम को अगर 8 से 12 साल के बच्चों को सुरक्षा देने के बदले अध्ययन करवाना पड़ रहा है, तो ऐसी टीम को तुरंत नौकरी से निकाल देना चाहिए।

 

बच्चों को दिखने वाले विज्ञापन कब रुकेंगे?

  • सवाल : क्या फेसबुक कह सकता है कि वह बच्चों को प्रभावित करने और वजन कम करने या भूख दबाने के उत्पाद के विज्ञापन नहीं देगा?’
  • डेविस : हम देखेंगे, हम क्या कर सकते हैं।
  • मार्की : मैंने ऑनलाइन निजता संरक्षण अधिनियम लिखा है, मुझे मत सिखाओ।
  • डेविस :फेसबुक 18 साल से कम उम्र के बच्चों को यह विज्ञापन नहीं देता। लेकिन इस जवाब से मार्की संतुष्ट नहीं हुए।

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