जबलपुर। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में सूचना के अधिकार (Right to Information) यानि RTI का बुरा हाल है. लोग तो जागरुक हैं लेकिन सरकारी विभाग (government department) इसमें लापरवाही कर रहे हैं. जानकर हैरान हो जाएंगे कि प्रदेश में 702 सरकारी विभाग औऱ संस्थाएं हैं लेकिन उनमें से सिर्फ 17 फीसदी दफ्तर ही सूचना के अधिकार यानि RTI को तवज्जो दे रहे हैं।
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की 702 सरकारी संस्थाओं में से सिर्फ 17 प्रतिशत कार्यालय ही आरटीआई यानि सूचना के अधिकार कानून का पालन कर रहे हैं. हैरान कर देने वाली यह जानकारी जब मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के सामने आयी तो अदालत ने मध्य प्रदेश सरकार समेत राज्य सूचना आयुक्त को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है।
लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन ने दिलाया ध्यान
दरअसल लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. उसमें ये बात सामने आयी. इस जनहित याचिका के माध्यम से यह बात उठाई गई थी कि सूचना के अधिकार यानि RTI कानून के पालन में सरकारी महकमे कोताही बरत रहे हैं. इतना ही नहीं मध्यप्रदेश के 53 विभागों और उनके अधीन काम कर रहे 167 निगम मंडलों और आयोग की वेबसाइट में भी सिर्फ 20 विभागों के मैनुअल अपलोड हैं।
सरकारी अफसरों ने छुपाया संपत्ति का ब्यौरा
मध्य प्रदेश में 52 जिले हैं. हर जिला प्रशासन की वेबसाइट में जिला कलेक्टर के अधीन आने वाले सभी दफ्तरों और विभागों के लिपिक से लेकर टॉप लेवल अधिकारियों तक की संपत्ति और आय व्यय का ब्यौरा अपलोड होना चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं किया गया. पूरे मध्य प्रदेश के सभी 52 जिलों की सरकारी वेबसाइट में लगभग 3000 लोक प्राधिकारियों के मैनुअल अपलोड होने चाहिए थे. लेकिन सिर्फ 510 मैनुअल ही अपलोड पाए गए. जाहिर है कि कर्मचारी अधिकारियों की अपने आय-व्यय का लेखा-जोखा और व्यक्तिगत संपत्ति का ब्यौरा भी सार्वजनिक करना था लेकिन सरकारी कर्मचारियों ने इस जानकारी को छुपाया है।
4 सप्ताह बाद सुनवाई
लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन की इस जन हित याचिका पर हाई कोर्ट में विस्तार से बहस हुई. उसके बाद अब 4 सप्ताह बाद इस केस की सुनवाई होगी।
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