नई दिल्ली। नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने मंगलवार को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष पद (Punjab Congress President) छोड़ दिया. इस बाबत उन्होंने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Congress interim president Sonia Gandhi) को एक पत्र भी लिखा है. सिद्धू द्वारा यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जबकि करीब दस-बारह दिन पहले ही कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को प्रदेश की कमान सौंपी गई है।
सिद्धू ने अचानक पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद (Punjab Congress President) से इस्तीफा क्यों दिया, इसे लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. सूत्रों की माने, तो सिद्धू का यह कदम विवादास्पद विधायक राणा गुरजीत सिंह को चरणजीत सिंह चन्नी की नई कैबिनेट में शामिल करने और एपीएस देओल को पंजाब के महाधिवक्ता के रूप में नियुक्त करने का नतीजा है।
गुरजीत सिंह पर रेत खनन में भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. उन्हें पहले अमरिंदर सिंह कैबिनेट से भी हटा दिया गया था. चन्नी की कैबिनेट में शामिल सिद्धू के एक करीबी मंत्री ने बताया कि “नए मुख्यमंत्री, चरणजीत सिंह चन्नी ने अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि कोई भी रेत माफिया उनसे बैठक के लिए संपर्क न करे और फिर पार्टी ने आगे बढ़कर राणा गुरजीत सिंह को कैबिनेट मंत्री बना दिया, जिन्हें 2018 में रेत खनन माफिया से जुड़े आरोपों के कारण अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी थी. सिद्धू ने 2017 से जो लड़ाई लड़ी है और जिसके लिए वह खड़े हुए हैं, यह उसका स्पष्ट उल्लंघन है।”
सिद्धू एपीएस देओल को राज्य का नया महाधिवक्ता (एडवोकेट जनरल) नियुक्त किए जाने से भी खफा थे. देओल इससे पहले बेअदबी के विभिन्न मामलों में राज्य के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी के वकील रह चुके हैं और एक सतर्कता मामले (Vigilance Case) में जेल से उन्हें रिहा कराया था. सिद्धू खेमे को लगता है कि देओल को एडवोकेट जनरल बनाए जाने के साथ, 2015 में बेअदबी-पुलिस फायरिंग के मामलों में बादल और सुमेध सिंह सैनी के खिलाफ कार्रवाई से गंभीर समझौता किया गया है।
सिद्धू खेमे ने दी सफाई
हालांकि कांग्रेस ने दोनों नियुक्तियों का बचाव किया है, लेकिन सिद्धू खेमे ने कथित तौर पर स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी तरह के तालमेल की बात के लिए इन नियुक्तियों को वापस लिए जाने की जरूरत है. सिद्धू के एक अन्य करीबी सहयोगी बताया, “हम इस तरह की संदिग्ध नियुक्तियों के साथ मतदाताओं का सामना कैसे करेंगे? यह उस योजना के बिल्कुल विपरीत है जो मुख्यमंत्री चन्नी और नवजोत सिद्धू के नेतृत्व में ‘नई कांग्रेस’ के अगले चार महीनों में लागू किए जाने हैं।”
सिद्धू अपने एक करीबी सहयोगी और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष कुलजीत सिंह नागरा को अंतिम समय में मंत्री पद से हटाए जाने से भी नाराज हैं। बताया जा रहा है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को पद से हटाए जाने के बाद सिद्धू ने खुद को मुख्यमंत्री के रूप में पेश किया था, लेकिन पार्टी आलाकमान ने इस पद के लिए चन्नी को चुना. सिद्धू सुखजिंदर रंधावा के सीएम के रूप में पदोन्नति को विफल करने में कामयाब रहे, लेकिन उन्हें चन्नी को सीएम के रूप में स्वीकार करना पड़ा। कहा जाता है कि सिद्धू अब 2022 के विधानसभा चुनावों में पार्टी के सीएम चेहरा बनने की उम्मीद कर रहे हैं।
पार्टी के एक सूत्र ने कहा कि पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में सिद्धू की मौजूदगी को लेकर कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा उन्हें “राष्ट्र-विरोधी” कहे जाने के बाद आलाकमान द्वारा उनका जोरदार बचाव नहीं करने से भी वे नाराज हैं। कांग्रेस नेताओं ने इसे कैप्टन का ‘भावनात्मक हमला’ करार दिया था।
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