धन की देवी लक्ष्मी की आराधना के प्रमुख व्रत महालक्ष्मी (Mahalaxmi Vrat 2021) का आज उद्यापन किया जाएगा। यह व्रत भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू हुआ था और 16 दिन बाद अश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि (28 सितंबर) को पूरा होगा। इस दिन हाथी पर कमल के आसन पर विराजमान गज लक्ष्मी (Gajlaxmi) माता की व्रत-पूजा विधि-विधान से करने से जिंदगी में अपार धन-वैभव मिलता है। चूंकि इस व्रत में देवी हाथी पर सवार होकर आती हैं इसलिए इसे गज लक्ष्मी व्रत भी कहा जाता है।
इस दिन माता के गज लक्ष्मी स्वरूप की पूजा की जाती है, जिसमें माता हाथी पर कमल के आसन पर विराजमान होती हैं। इस स्वरूप की पूजा-अर्चना करने से घर में धन-वैभव का आगमन होता है। जानिए, व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
पूजा की विधि
इस दिन गज लक्ष्मी मां की पूजा (worship) की जाती है। साथ ही माता के इस स्वरूप की सवारी यानी हाथी का पूजन करने का भी विशेष महत्व(special importance) है। आप इस दिन मिट्टी या चांदी के हाथी की उपासना कर सकते हैं। पूजा करने के लिए इस दिन सुबह उठकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। मंदिर पर गंगा जल छिड़क कर व मंदिर को साफ कर विधि-विधान से मां लक्ष्मी की पूजा करें। लक्ष्मी मां को रोली-कुमकुम से तिलक लगाएं। साथ ही अक्षत भी चढ़ाएं। इसके बाद फूलों से बनी माला माता को पहनाएं या फूल अर्पित करें। चालीसा और मां लक्षमी की आरती का पाठ करें। इसके बाद फल और मिठाई आदि का भोग लगा कर प्रसाद बाटें और खुद दिन भर फलाहार व्रत रखें।
इसके बाद शाम को महालक्ष्मी का पूजन करें। शाम को पूजा के स्थान पर आटे और हल्दी से चौक बनाएं और कलश स्थापना करें। एक चौकी पर साफ कपड़ा बिछा कर मां लक्ष्मी और हाथी की मूर्ति रख दें। पूजा करते समय कलश के ऊपर रखी कटोरी में सोने-चांदी के आभूषण या सिक्के रखें। इसके बाद दीपक प्रज्वलित कर मां को धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाएं। साथ ही इत्र भी अर्पित करें। इसके बाद मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप कर, चालीसा और आरती का पाठ करें और माता को भोग अर्पित करें।
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