- सांसद ने कहा, प्रोटोकॉल शुल्क का मुद्दा आपदा प्रबंधन की बैठक में उठाएंगे
उज्जैन। महाकाल मंदिर में 100 रुपए का प्रोटोकॉल शुल्क प्रशासन के लिए परेशानी का कारण बन रहा है तथा आम जनता के बाद अब सभी इसके विरोध में आ गए हैं। इस शुल्क को हटाने की मांग की जा रही है। महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए व्यवस्थाओं में प्रशासन नए नए नियमों को लागू कर रहा है। पूर्व प्रशासक नरेंद्र सूर्यवंशी के स्थानांतरण के एक-दो दिन पहले महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति ने प्रोटोकॉल दर्शन व्यवस्था पर 100 रुपए का टिकट अनिवार्य कर दिया लेकिन अब यह फैसला महाकालेश्वर मंदिर समिति पर रखी भारी पड़ रहा है क्योंकि अमूमन वीवीआइपी श्रेणी में आने वाले प्रदेश ही नहीं पूरे भारत से आने वाले विधायक सांसद, मंत्री, सेक्रेटरी, राजनेता एवं पुलिस प्रशासन आदि जब महाकालेश्वर मंदिर में प्रोटोकॉल के तहत दर्शन के लिए आते हैं तब महाकालेश्वर मंदिर प्रशासक एवं मंदिर अधिकारियों के लिए 100 रुपए का टिकट लेकर दर्शन करने का निवेदन करना संभव नहीं हो पाता है और महाकालेश्वर मंदिर में जब भी कोई भी वी वीआईपी आते हैं तब उनके साथ 10-15 लोग साथ में आते हैं। ऐसे में महाकालेश्वर मंदिर प्रशासन के लिए सांप के मुंह में छछूंदर वाली स्थिति निर्मित हो जाती है।
बगैर टिकट के प्रोटोकॉल में दर्शन कराने पर खुद के द्वारा नियम भंग किया जाना और वीवीआइपी के टिकट के पैसे न देने पर खुद की जेब से देना पड़ता है। वहीं महाकालेश्वर मंदिर के इतिहास में पहली बार भस्मारती दर्शन पर भी टिकट अनिवार्य कर दिया है जिसका विरोध तेज हो गया है। सांसद अनिल फिरोजिया ने बताया कि महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती दर्शन कोरोना के चलते बंद कर दिए गए थे जिसे पूर्व में हुई आपदा प्रबंधन समिति की बैठक में यह निर्णय के बाद भस्म आरती दर्शन शुरू कर दिए गए हैं लेकिन भस्म आरती दर्शन पर टिकट एवं प्रोटोकॉल दर्शन पर टिकट को समाप्त करने के लिए इस मुद्दे को आपदा प्रबंधन समिति की बैठक में रखा जाएगा और भस्म आरती और प्रोटोकॉल दर्शन पर टिकट व्यवस्था को समाप्त करने का प्रयास किया जाएगा। संत डॉक्टर अवधेश पुरी महाराज ने बताया कि महाकालेश्वर मंदिर में नित नए-नए टैक्स लगाने की प्रथा चल पड़ी है जोकि सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए सही नहीं है बल्कि अन्याय है महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती पर टैक्स एयर टिकट लेने का एवं प्रोटोकॉल दर्शन पर टिकट काम में पुरजोर विरोध करता हूं क्योंकि अगर किसी संत को महाकालेश्वर मंदिर में प्रोटोकॉल के तहत दर्शन करना है या भस्म आरती में दर्शन करना है तो आप उनसे दर्शन के नाम पर टिकट लेते हो तो यह एक संत का अपमान होगा और यही बात हर सनातन धर्म के अनुयायियों के साथ भी लागू होती है। इसे लेकर कलेक्टर आशीष सिंह से बात करने का प्रयास किया लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया।