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    Bhpal-Gwalior का भू-जल भंडार सूखने की कगार पर

  • September 24, 2021

    • डायनॉमिक वॉटर रिसोर्स-2020 की रिपोर्ट में खुलासा

    भोपाल। मप्र में तेजी से भू-जल भंडार (Ground Water Reserves) खत्म हो रहा है। वजह- भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन और बारिश में ग्राउंउ वाटर रि-चार्ज कम होना है। केंद्रीय भूजल बोर्ड और मप्र सरकार (Central Ground Water Board and Government of MP) द्वारा हाल में किए मूल्यांकन में हालात 2017 की तुलना में 2020 में और विकट नजर आए। डायनॉमिक वॉटर रिसोर्स-2020 (Dynamic Water Resource-2020) के इस मूल्यांकन में 317 ब्लॉक (इसमें भोपाल, ग्वालियर, इंदौर और जबलपुर शहर शामिल हैं) में से 50 ब्लॉक सेमी-क्रिटिकल कैटेगरी (Block Semi-Critical Category) में आंके गए हैं। इनमें भू-जल उपलब्ध है लेकिन कम मात्रा में। सालाना दोहन उपलब्धता से 90 फीसदी तक हो रहा है। 26 ब्लॉक ऐसे हैं, जहां भू-जल भंडार लगभग खत्म हो गया। इनमें मालवा क्षेत्र के ब्लॉक हैं। 2017 में सिर्फ 22 ब्लॉक ऐसे पाए गए थे, जहां अति-दोहन की स्थिति सामने 8 ब्लॉक में उपलब्ध भू-जल का 100 फीसदी तक दोहन हो चुका है।


    सेमी क्रिटिकल ब्लॉक
    ऐसे शहर या ब्लॉक जहां उपलब्ध ग्राउंड वाटर का 70 से 90 फीसदी तक दोहन किया गया है वह सेमी क्रिटिकल या अद्र्धगंभीर क्षेत्र में आते हैं। इनमें ग्वालियर का शहर, शिवपुरी का नरवर, बदरवास, कोलारस, खनियांधान, पिछोर और अशोकनगर का ईसागढ़ शामिल हैं। वहीं ऐसे ब्लॉक जहां उपलब्ध ग्राउंड वाटर का 70 प्रतिशत से अधिक दोहन नहीं किया गया है वे सेफ जोन में हैं।

    प्रदेश के अतिदोहन वाले ब्लॉक
    प्रदेश में कई क्षेत्रों में पानी का अधिक दोहन हुआ है। जिन ब्लॉक में उपलब्ध ग्राउंड वाटर का 100 फीसदी या इससे अधिक दोहन किया जा चुका है उनमें आगर मालवा को नलखेड़ा, सुसनेर ब्लॉक, बड़वानी को पंसेमल, देवास का देवास, सोनकच्छ, धार का बदनावर, धार, नालचा, इंदौर को शहर, सांवेर, देपालपुर, नीमच का जावरा, नीमच और शाजापुरके मोहन बरोदिया, शुजालपुर, कालापीपल ब्लॉक शामिल हैं।
    मप्र में 4 साल में भू-जल का 2.05 प्रतिशत ज्यादा दोहन
    पिछले 4 साल में प्रदेश में सालाना उपलब्ध भू-जल की मात्रा भी 34.47 बिलियन क्यूबिक मीटर से घटकर 33.38 बिलियन क्यूबिक मीटर आंकी गई है। इसकी तुलना में राज्य में भू-जल का सालाना दोहन 18.88 बिलियन क्यूबिक मीटर से बढ़कर 18.97 बिलियन क्यूबिक मीटर पर पहुंच गया है। ये कुल उपलब्ध भू-जल का 56.82 प्रतिशत है। 2017 में ये दोहन 54.77 प्रतिशत तक आंका गया था।

    गंभीर स्थिति वाले ब्लॉक
    ऐसे ब्लॉक जहां उपलब्ध ग्राउंड वाटर का 90 से 100 फीसदी तक उपयोग किया जा रहा है वे गंभीर स्थिति वाले क्षेत्र में शामिल हैं। इनमें गंभीर छिंदवाड़ा जिले में छिंदवाड़ा, धार का तिरला, जबलपुर का जबलपुर, मंदसौर का भानपुरा, मल्हारगढ़, राजगढ़ का सारंगपुर, नरसिंहगढ़, सीहोर का आष्टा और आगर-मालवा का बड़ौद ब्लॉक शामिल हैं।

    बारिश की कमी और रि-चार्ज के लिए कम प्रयास किए जाने से ऐसा हो रहा है, जबकि इन क्षेत्रों में भू-जल का दोहन अधिक है। भू-जल स्तर बढ़ाने के लिए प्रयास करने होंगे। हमने एक मास्टर प्लान भी तैयार किया है।
    पदम जैन, क्षेत्रीय निदेशक, केंद्रीय ग्राउंड वाटर बोर्ड, नार्थ सेंट्रल डिवीजन

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