इंदौर। भगोड़़े भूमाफिया दीपक मद्दे (Fugitive land mafia Deepak Madde) ने तथ्यों को छुपाकर जहां पिछले दिनों गुपचुप लोअर कोर्ट (Lower Court) से दो मामलों में जमानत हासिल की, वहीं दूसरी तरफ हाईकोर्ट (High Court) में अपने खिलाफ रासुका (Rasuka) के आदेश को भी चुनौती दी गई। लेकिन हाईकोर्ट (High Court) ने मद्दे की याचिका खारिज कर दी और यह भी कहा कि बिना सरेंडर रासुका (Rasuka) आदेश को चुनौती नहीं दी सकती। न्यायमूर्ति द्वय ने 19 पेज के फैसले में कई महत्वपूर्ण बातें कहीं हैं, जो इस तरह की याचिकाओं के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगी। पूर्व में भूमाफियाओं (Land Mafia) के खिलाफ शुरू किए गए अभियान के दौरान दीपक मद्दे सहित एक दर्जन से अधिक भूमाफियाओं (Land Mafia) के खिलाफ विभिन्न थानों में एफआईआर (FIR) दर्ज हुई और उसके साथ ही कलेक्टर ने रासुका आदेश भी जारी किए। शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव ने तथ्यों और तर्कों के साथ बहस की, जिसके चलते मद्दे की याचिका निरस्त हो गई।
उल्लेखनीय है कि भूमाफिया दीपक मद्दे (land mafia Deepak Madde) के खिलाफ अयोध्यापुरी, हीना पैलेस, श्री राम नगर, पुष्प विहार, न्याय नगर (Ayodhyapuri, Nyayanagar, Pushp Vihar) सहित अन्य गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनों की अफरा-तफरी करने, पीडि़तों के भूखंड हड़पने को लेकर फरवरी में एफआईआर और रासुका के आदेश हुए थे। कलेक्टर मनीष सिंह ने 18 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। वहीं थाना खजराना और एमआईजी में आधा दर्जन एफआईआर (FIR) दर्ज हुई। मद्दा एफआईआर (FIR) दर्ज होने के बाद से ही फरार है और पूर्व में भी 10 साल पहले भूमाफियाओं (Land Mafia) के खिलाफ मुख्यमंत्री ने अभियान चलवाया था, उस दौरान भी मद्दे के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई और फरार होने के बाद कोर्ट से जमानत हासिल कर ली जस्टिस सुजॉय पॉल एवं जस्टिस अनिल वर्मा की डबल बैंच ने दीपक मद्दे की याचिका खारिज कर दी। याचिकाकर्ता की ओर से विनोद प्रसाद और सुमित मित्तल ने पैरवी की, वहीं शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव ने तथ्य रखे। 10 से 12 साल बाद कुछ प्रकरणों में दर्ज हुई एफआईआर (FIR) के अलावा पिछले दिनों हाईकोर्ट (High Court) से मिली अन्य आरोपियों की जमानत को भी आधार बनाया गया। वहीं कलेक्टर के रासुका आदेश को भी चुनौती दी गई। जवाब में श्री भार्गव ने बहस में कहा कि लम्बे समय से दीपक मद्दा फरार भी है और उसके जो कृत्य हैं उससे स्पष्ट तौर पर पब्लिक ऑर्डर डिस्टर्ब होते हैं और इस तरह के अपराधी को किसी तरह का लाभ नहीं दिया जा सकता। पहले आरोपी सरेंडर करे, उसके बाद उसके खिलाफ जो आरोप लगाए गए हैं उसे समझने के बाद चुनौती दी जा सकती है, जिस पर हाईकोर्ट (High Court) ने भी इन तथ्यों और तर्कों से सहमत होकर स्पष्ट कहा कि बिना सरेंडर ऑर्डर के मेरिट को चुनौती नहीं दी जा सकती और एक स्पष्ट स्पीकिंग ऑर्डर भी न्यायमूर्ति द्वय ने इस बारे में पास किया है, जो इस तरह की अन्य याचिकाओं में भी कारगर साबित होगा।
लोअर कोर्ट से हासिल जमानत की भी अपील
दीपक मद्दे ने पिछले दिनों लोअर कोर्ट (Lower Court) से तथ्यों को छुपाकर जमानत हासिल की है। सूत्रों के मुताबिक यह जमानत थाना एमआईजी (MIG) में दर्ज दो प्रकरणों में मिली है। मगर इसकी भी अपील की जा रही है। अभी तक कोर्ट आदेश की कॉपी भी उपलब्ध नहीं हो सकी है। उल्लेखनीय है कि एक अन्य भूमाफिया संघवी को भी पिछले दिनों हाईकोर्ट (High Court) से जमानत मिली थी। उसे भी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में पुलिस ने चुनौती दी है, जिसकी सुनवाई अगले कुछ दिनों में होना है। वहीं दीपक मद्दे के मामले में भी हुई जमानत कानूनी हलकों में चर्चा का विषय बन गई है।
ऑपरेशन माफिया के लिए सभी विभाग एक साथ करेंगे कार्रवाई
मुख्यमंत्री के निर्देश पर ऑपरेशन माफिया एक बार फिर इंदौर में शुरू किया गया है। कलेक्टर मनीष सिंह ने इस संबंध में कल बैठक भी ली, जिसमें डीआईजी मनीष कपुरिया सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे। भूमाफिया, राशन, खनन, शराब, चीटफंड के साथ गुण्डों और आपराधिक तत्वों में लिप्त लोगों के खिलाफ सभी विभागों द्वारा मिलकर कार्रवाई की जाएगी। कलेक्टर के मुताबिक एफआईआर, रासुका और जिलाबदर की कार्रवाई भी होगी।
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