देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी (LIC) के आईपीओ से पहले विदेशी निवेश की अनुमति दी जा सकती है। हालांकि, विदेशी निवेशकों में चीन की एंट्री पर रोक के लिए योजना बनाई जा रही है। ये दावा न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में किया गया है। रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि भारत सरकार, चीनी निवेशकों (Chinese investors) को जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में शेयर खरीदने से रोकना चाहती है।
रिपोर्ट के मुताबिक एलआईसी (LIC) जैसी कंपनियों में चीन का निवेश जोखिम पैदा कर सकता है। यही वजह है कि सरकार चीन के निवेश को रोकने पर मंथन कर रही है, हालांकि अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल गलवान घाटी में सीमा पर उपजे विवाद के बाद से कारोबारी स्थिति पहले जैसी नहीं रह गई है। सरकार लगातार चीन से आयात होने वाले प्रोडक्ट पर एंटी डंपिंग चार्ज लगा रही है। वहीं, टिकटॉक समेत कई चर्चित ऐप्स को भी बैन किया जा चुका है।
1 लाख करोड़ तक जुटाने की योजना: बहरहाल, रॉयटर्स की ताजा खबर पर भारत सरकार (Indian government) के वित्त मंत्रालय और एलआईसी की ओर से आधिकारिक तौर पर कोई जवाब नहीं दिया गया है। वहीं, चीन के विदेश मंत्रालय(foreign Ministry) और वाणिज्य मंत्रालय ने भी अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। आपको बता दें कि सरकार इस वित्त वर्ष के अंत तक एलआईसी का आईपीओ लेकर आ जाएगी। इस आईपीओ के जरिए सरकार 5% से 10% की हिस्सेदारी बेचकर करीब 1 लाख करोड़ रुपए जुटाने की उम्मीद कर रही है। इसके साथ ही एलआईसी की शेयर बाजार में लिस्टिंग होगी।
हालांकि, सरकार विदेशी संस्थागत निवेशकों को एलआईसी की पेशकश का 20% तक खरीदने की अनुमति देने पर विचार कर रही है। अगर ऐसा होता है तो कोई विदेशी निवेशक देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी में बड़ी हिस्सेदारी खरीद सकता है। सूत्रों ने ये भी बताया कि सरकार ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि वह पूरी राशि जुटाने के लिए शेयरों की एक किश्त बेचेगी या दो चरणों में बिक्री करेगी।
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