अल्जाइमर रोग एक मानसिक विकार है, जिसके कारण मरीज की याद्दाश्त कमजोर हो जाती है और उसका असर दिमाग के कार्यों पर पड़ता है। आमतौर पर यह मध्यम उम्र या वृद्धावस्था में दिमाग के ऊतकों को नुकसान पहुंचने के कारण होता है। यह डिमेंशिया का सबसे आम प्रकार है, जिसका असर व्यक्ति की याद्दाश्त, सोचने की क्षमता, रोजमर्रा की गतिविधियों पर पड़ता है। हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि अल्जाइमर रोग विशेष रूप से बुजुर्गों को प्रभावित करता है। इसे डिमेंशिया के नाम से भी जाना जाता है। इस बीमारी में मरीज की याद्दाश्त कमजोर हो जाती है और इसका असर व्यक्ति के मानसिक कार्यों पर भी पड़ता है।
हेल्थ एक्सपर्ट ने यह भी बताया कि अल्जाइमर रोग में दिमाग के ऊतकों को नुकसान पहुंचने लगता है। इसके करीबन 10 साल बाद व्यक्ति में लक्षण दिखाई देने लगते हैं, जैसे याद्दाश्त कमजोर होना। इसमें दिमाग की कोशिकाएं डी-जनरेट होकर मरने लगती हैं, इसलिए इसका असर याद्दाश्त एवं अन्य मानसिक कार्यों पर पड़ता है।
अल्जाइमर एक न्यूरोडीजेनरेटिव (neurodegenerative) डिसीज है जिसका शिकार 65 साल या इससे ज्यादा उम्र के लोग जल्दी होते हैं। अल्जाइमर (Alzheimer’s) एक इंसान के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है। पूरी दुनिया में यह डेमेंशिया का प्रमुख कारण बन चुका है। इसलिए बुजुर्गों में अल्जाइमर के शुरुआती लक्षणों की पहचान करना बहुत जरूरी है। वर्ल्ड अल्जाइमर डे (World Alzheimer Day) के मौके पर आपको 7 ऐसे लक्षणों के बारे में बताते हैं जिनसे इस बीमारी की पहचान की जा सकती है।
मेमोरी लॉस-
यह एक बेहद प्रमुख संकेत है जो बताता है कि कोई इंसान अल्जाइमर के मेमोरी लॉस (memory loss) से प्रभावित है। भूलना अपने आप में कोई बीमारी नहीं है, लेकिन अल्जाइमर के मरीज यह दिक्कत बार-बार झेलते हैं। पैसे या फोन रखकर भूल जाना या किसी जगह पर एक बार जाने के बाद उसके बारे में कुछ याद ना रहना, अच्छे संकेत नहीं हैं।
डिप्रेशन और मूड स्विंग-
अल्जाइमर के शिकार लोगों को मूड स्विंग की दिक्कत हो सकती है। डिप्रेशन(depression) यानी तनाव इस बीमारी का शुरुआती और प्रमुख लक्षण है जो अल्जाइमर से पहले भी इंसान को घेर सकता है।
फैसले लेने में दिक्कत-
अल्जाइमर से ग्रसित किसी इंसान को स्वतंत्र रूप से अपने फैसले लेने में दिक्कत हो सकती है।
फोकस की कमी-
अल्जाइमर के शिकार लोगों की काम के वक्त एकाग्रता भंग हो सकती है। उन्हें वो काम करने में भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है जो पहले वो बड़ी आसानी से कर लिया करते थे।
बोलने में दिक्कत-
अल्जाइमर की चपेट में आने के बाद एक इंसान को शब्दों या वाक्यों का सही उच्चारण करने में तकलीफ का सामना करना पड़ सकता है।
बेचैनी–
अल्जाइमर में बेचैनी बढ़ने के बाद कई बार इंसान अपनी करीबी लोगों को भी नहीं पहचान पाता है। वो बार-बार अजीब सा बर्ताव करते हैं। इसके मरीज अक्सर मतिभ्रम का शिकार भी हो सकते हैं।
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