मास्को। रूस के संसदीय चुनाव में बड़े पैमाने पर हुई कथित धांधली से खफा विपक्षी कार्यकर्ताओं ने देश भर में सड़कों पर उतर कर अपना विरोध जताया है। इन दलों का आरोप है कि मतगणना के दौरान धांधली हुई और कई ऐसे विपक्षी उम्मीदवारों को हरा दिया गया, जो वोटों की गिनती में आगे चल रहे थे। रविवार को मतदान खत्म होने के बाद जब सबसे पहले सुदूर पूर्वी इलाकों और साइबेरिया से नतीजे आए, तो उनसे यही संकेत मिला था कि इस बार राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन की यूनाइटेड रशिया पार्टी की जमीन खिसक गई है।
लेकिन जब वोटों की ऑनलाइन गिनती शुरू हुई, तो काफी आगे निकल चुके कई विपक्षी उम्मीदवारों की लीड खत्म होने लगी। खासकर ऐसा राजधानी मास्को में हुआ। सोमवार दोपहर बाद तक राजधानी के 15 जिलों में यूनाइटेड रशिया पार्टी के सभी उम्मीदवारों को विजयी घोषित कर दिया गया। इसका नतीजा यह हुआ कि ड्यूमा (रूसी संसद) में एक बार फिर से यूनाइटेड रशिया पार्टी को दो तिहाई बहुमत मिल गया।
क्रेमलिन (राष्ट्रपति कार्यालय) ने दावा किया है कि चुनाव ‘स्वतंत्र और निष्पक्ष’ ढंग से हुए। जबकि शुरुआती गिनती में जहां यूनाइटेड रशिया पार्टी को 42 प्रतिशत वोट मिलते नजर आ रहे थे, वहीं ऑनलाइन मतगणना के दौर में ये संख्या तकरीबन 50 प्रतिशत पहुंच गई। उसके बाद प्रमुख विपक्षी नेता और येकतरिनबर्ग शहर के पूर्व मेयर येवगेनी रोइजमैन ने ट्विटर पर लिखा- ‘मैं ड्यूमा के चुनाव नतीजों को स्वीकार करने से इनकार करता हूं।’
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ रशियन फेडरेशन ने भी चुनाव नतीजों को अस्वीकार कर दिया है। मास्को में इसी पार्टी के उम्मीदवार अनेक चुनाव क्षेत्रों में काफी अंतर से आगे थे। लेकिन बाद में उन सबको पराजित घोषित कर दिया गया। जो लोग बढ़त लेने के बाद हार गए उनमें कम्युनिस्ट पार्टी की मास्को शाखा के प्रमुख वेलेरी रेशकिन भी हैं। उन्होंने इस तरह हारे तमाम उम्मीदवारों को साथ लेकर सोमवार को यहां विरोध प्रदर्शन आयोजित किया।
मास्को में पराजित हुए कम्युनिस्ट नेता और गणित के प्रोफेसर मिखाइल लोबोनोव ने अखबार द मास्को टाइम्स से कहा- ‘इन नतीजों को समझना बिल्कुल ही असंभव है। इसीलिए मैं पराजित सभी उम्मीदवारों से एकजुट हो कर विरोध जताने का आह्वान कर रहा हूं।’
मास्को के नगर प्रशासन ने यहां विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसका कारण यह बताया गया है कि प्रदर्शनों से कोरोना वायरस का संक्रमण फैल सकता है। इसके बावजूद मास्को के पुश्किन चौक पर सैकड़ों लोग इकट्ठे हुए। रेशकिन और कम्युनिस्ट पार्टी के अन्य पराजित घोषित किए गए उम्मीदवारों ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित किया। विश्लेषकों के मुताबिक लोगों के गले ये नतीजे इसलिए नहीं उतर रहे हैं, क्योंकि काफी लंबे समय से जनमत सर्वेक्षणों में यूनाइटेड रशिया पार्टी के लिए जन समर्थन में गिरावट के संकेत मिल रहे थे।
रूस में महंगाई, कथित पेंशन सुधार, और आम लोगों के जीवन स्तर में गिरावट के कारण आक्रोश का माहौल था। सर्वेक्षणों में यूनाइटेड रशिया पार्टी को लगभग 30 फीसदी वोट मिलने की संभावना जताई गई थी। इस बीच विपक्षी दलों ने तालमेल किया था। पुतिन विरोधी नेता अलेक्सी नवालनी ने स्मार्ट वोटिंग रणनीति पेश की थी, जिसमें सभी पुतिन विरोधी ताकतों से यूनाइटेड रशिया के खिलाफ सबसे मजबूत उम्मीदवार को वोट डालने की अपील की गई थी। इसलिए इस बार विपक्ष को काफी सफलता मिलने का अनुमान था। लेकिन चुनाव नतीजे इन अनुमानों के उलट आए हैं। इसलिए विपक्षी नेताओं ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया है।
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