भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती (Uma Bharti) इन दिनों भोपाल में हैं और अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं। शराबबंदी को लेकर आंदोलन की चेतावनी देने के बाद उन्होंने ब्यूरोक्रेसी को लेकर भी बयान दे दिया है। उमा के ब्यूरोक्रेसी को लेकर दिए गए बयान पर अभी किसी भी नेता की प्रतिक्रिया नहीं आई है। उमा के इन बयानों से सियासी हलचल जरूर पैदा हुई है,लेकिन मायने भी निकाले जा रहे हैं। इन बयानों को उनकी मप्र की राजनीति में लौटने की महत्वाकांक्षा से जोड़कर देखा जा रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती (Uma Bharti) भावुक नेता हैं। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि उमा भारती फिर से मप्र की राजनीति में सक्रिय होना चाहती हैं। वे पहले भी इसकी कोशिश कर चुकी हैं, लेकिन पार्टी उन्हें उप्र में सक्रिय रखना चाहती है। इसके लिए वे तैयार नहीं है। यही वजह है कि वे अपने बयानों से राजनीति की सुर्खियों में बनी हुई हैं। वर्तमान में उमा के पास केंद्र एवं राज्य में कोई खास जिम्मेदारी नहीं है। मप्र भाजपा (MP BJP) की बैठकों से भी उन्हें दूर रखा जाता है।
अच्छी प्रशासन नहीं बन पाईं उमा
उमा भारती ने ब्यूरोक्रेसी को लेकर जो बयान दिया है, उस पर विपक्ष ने निशाना साधा है, लेकिन भाजपा ने दूरी बना ली है। उमा भारती मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री रहीं हैं, लेकिन वे अपनी छवि अच्छी प्रशासन की नहीं बना पाई हैं।
बयान देकर देकर भूल जाती हैं
उमा भारती अपने बयानों से सुर्खियों में जरूर रहती हैं, लेकिन पार्टी उन्हें अब पहले की तरह गंभीरता से नहीं लेती हैं। वे पहले भी इस तरह के बयान देते रही हैं, फिर खुद खंडन भी करती रही हैं। वे जब केंद्रीय मंत्री थी, तब उन्होंने ऐलान किया था कि गंगा सफाई नहीं हुई तो उसी में समाधि ले लेंगी। गंगा अभी भी मैली हैं। भाजपा से बाहर होने के बाद वे पीएम नरेन्द्र मोदी भी पर गंभीर आरोप लगा चुकी हैं।
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