नई दिल्ली. दिल्ली विकास प्राधिकरण (Delhi Development Authority) ने अपनी महत्वाकांक्षी लैंड-पूलिंग नीति के तहत कुछ तय क्षेत्रों के लिए एडिशनल डेवलपमेंट कंट्रोल (Additional Development Control) नियमों को मंजूरी दे दी है. इस बदलाव के बाद जमीन के मालिक और प्राइवेट डेवलपर (Private Developer) साथ मिलकर वर्टिकल मिक्स के साथ आवासीय योजनाएं विकसित कर सकेंगे.
जबकि इस पर बीते मंगलवार को दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल की अध्यक्षता में हुई डीडीए की बैठक में मुहर लगी है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, एडिशनल डेवलपमेंट कंट्रोल (ADC) को मंजूरी मिलने के बाद अब नोएडा और गुड़गांव की तर्ज पर दिल्ली में भी आसमान छूती इमारतें बनने का रास्ता साफ हो गया है.
जानें क्या है लैंड पूलिंग?
लैंड पूलिंग पॉलिसी का मतलब है कि सरकारी एजेंसियां जमीन के टुकड़ों को समेकित (Consolidated) करती हैं और जमीन के हिस्से पर सड़कों, स्कूलों, अस्पतालों, सामुदायिक केंद्रों और खेल सुविधाओं जैसे बुनियादी ढांचे के साथ इसे डिजाइन या विकसित करती हैं. फिर मूल मालिकों को एक हिस्सा लौटाती हैं जो बाद में इसे बेच सकते हैं या फिर निजी बिल्डरों की मदद से आवास परियोजनाओं को एग्जीक्यूट कर सकते हैं.
डीडीए ने दिल्ली के लिए लैंड पूलिंग कैसे तैयार की है?
हालांकि लैंड पूलिंग नीति में आम तौर पर विकास के लिए भूमि का अधिग्रहण शामिल होता है. डीडीए ने कहा है कि प्राधिकरण एक संपत्ति के अधिग्रहण, विकास और निपटान के बजाय नीति के निष्पादन के लिए एक फैसिलिटेटर, नियामक और योजनाकार के रूप में कार्य करेगा. भू-स्वामियों को विकास प्रक्रिया में समान भागीदार बनाकर भूमि अधिग्रहण की जटिल प्रक्रिया को दूर करने का निर्णय लिया गया है. इसके अलावा भूमि अधिग्रहण से अक्सर सरकारी एजेंसियों और स्थानीय लोगों के बीच टकराव उत्पन्न होता है.
अब तक कितनी भूमि का अधिग्रहण किया गया है?
भूमि-स्वामित्व वाली एजेंसी ने अब तक इस नीति के तहत 6,500 हेक्टेयर से अधिक भूमि की पूलिंग के लिए सैकड़ों भूमि मालिकों की सहमति प्राप्त की है. जबकि रोहिणी, अलीपुर और बक्करवाला के पास क्रमश: तीन नियोजन जोन- एन, पी-II और एल के 15 प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को विकसित करने की योजना है. इस नीति के अनुसार 60 प्रतिशत भूमि का उपयोग आवासीय, वाणिज्यिक, सार्वजनिक और अर्ध-सार्वजनिक सुविधाओं के विकास के लिए मालिकों या डेवलपर इकाई द्वारा किया जाएगा.
शेष 40 प्रतिशत का उपयोग डीडीए या सेवा प्रदाता एजेंसियों द्वारा सड़कों, अस्पतालों और अन्य बुनियादी ढांचे के विकास के लिए किया जाएगा. लैंड पूलिंग नीति का उद्देश्य शहर के विस्तारित क्षेत्र स्थित 95 शहरीकृत गांवों में करीब 17 लाख आवास इकाइयां उपलब्ध कराकर बढ़ती आवास मांग को पूरा करना है.
डीडीए ने लैंड पूलिंग नीति के लिए अतिरिक्त विकास नियंत्रण मानदंड अधिसूचित किए हैं जो दिशा-निर्देशों का एक ऐसा सेट है जिसका क्षेत्र के विकास के दौरान पालन किया जाना है. भूस्वामी एजेंसी ने इसमें कई तरह की छूट दी है जैसे कि प्लॉटेड डेवलपमेंट को अब अनुमति दी गई है. डीडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अब तक आवासीय विकास के लिए लैंड पूलिंग क्षेत्रों में ग्रुप हाउसिंग कॉम्प्लेक्स की अनुमति थी, लेकिन अब हमने प्लॉट सिस्टम की भी अनुमति दी है.’
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