उज्जैन। पिछले डेढ़ दशक में उज्जैन में तेजी से नई कॉलोनियों का विस्तार हुआ है। यही कारण है कि अब शहर की लगभग 30 फीसदी से ज्यादा आबादी को पीएचई का पानी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में नई कॉलोनियों के क्षेत्रों में लोग बोरिंग के पानी पर निर्भर है। इनमें टीडीएस की मात्रा कई गुना अधिक होने से लोग गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। पीएचई की अब 42 पानी की टंकियां हो चुकी है। इसके बाद भी समस्या बनी हुई है।
टीडीएस 150 बेहतर, बोरिंग के पानी में लेवल 1000 तक
शहर के आगर रोड, मक्सी रोड और इंदौर रोड क्षेत्र में नई विकसित कॉलानियों में बोरिंग के पानी में टीडीएस की मात्रा 1 हजार तक है। जबकि पीने योग्य बेहतर पानी में टीडीएस की मात्रा 100 से 150 तक होना चाहिए। जबकि 150 से 250 तक टीडीएस की मात्रा को पीने के पानी में लगभग अच्छा माना जाता है। वही 300 से 500 तक टीडीएस की मात्रा को हानिकारक माना जाता है। वही 500 से लेकर 1000 तक टीडीएस मात्रा वाला पानी पीने लायक श्रेणी में नहीं आता और यह पीने में उपयोग करने पर गंभीर बीमारियां पैदा करता है। इसके पीछे कारण यह है कि 500 से ऊपर टीडीएस मात्रा वाले पानी में जरुरी मिनरल्स के साथ साथ कैल्शियम, मैग्रिशियम, पोटेशियम, आयरन से लेकर सिलिकन धातु अधिक मात्रा में मिली होती है, जो हृदय रोग, किडनी रोग से लेकर पाचन तंत्र को भारी नुकसान पहुंचाती है। ऐसे पानी से लोगों के बाल झडऩे की समस्या से लेकर त्वचा संबंधी रोग भी तेजी से पनपते है।
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