नई दिल्ली। कोरोना काल में प्रवासी श्रमिकों के लिए ‘मसीहा’ बने सोनू सूद के सामने नई मुसीबत आ खड़ी हुई है। आयकर विभाग की टीम बीते तीन दिनों से उनके ठिकानों पर छापेमार कार्रवाई कर ही है। मुंबई, पुणे समेत कुल 6 ठिकानों पर आयकर विभाग की छापेमारी जारी है। वहीं, आयकर विभाग की इस कार्रवाई की आलोचना भी शुरू हो गई है। विपक्षी दलों ने कार्रवाई को गलत बताया है।
शिवसेना ने आरोप लगाया है कि सूद के विपक्षी दलों की सरकार के साथ जुड़ने के कारण ये कार्रवाई हुई। पार्टी ने आरोप लगाया है कि महाराष्ट्र के मंत्रियों के खिलाफ जारी कार्रवाई साजिश है। इस दौरान कई दस्तावेज जब्त किए जाने की भी खबर है। पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित संपादकीय के जरिए शिवसेना ने ‘खुन्नस निकालने’ वाली बात बताया है। इसके अलावा पार्टी ने अभिनेता पर हुई कार्रवाई की आड़ में महाराष्ट्र के मंत्रियों के खिलाफ जारी जांच एजेंसियों की कार्रवाई पर भी सवाल उठाए हैं।
शिवसेना के संपादकीय के मुताबिक, सोनू सूद को कंधे पर बैठानेवालों में भाजपा आगे थी। सोनू सूद अपना ही आदमी है, ऐसा उनकी ओर से बार-बार याद दिलाया जा रहा था। लेकिन इस सोनू महाशय द्वारा दिल्ली में केजरीवाल सरकार के शैक्षणिक कार्यक्रम के ‘ब्रांड अंबेसडर’ की हैसियत से सामाजिक कार्य करने का निर्णय लेते ही उस पर आयकर विभाग के छापे पड़ गए।
प्रवासी मजदूरों का मसीहा बने थे सोनू दूद
प्रवासी मजदूरों को घर वापसी कराने के अभियान के तहत उन्होंने नीति गोयल के साथ मिलकर 75,000 प्रवासी मजदूरों को अपने घर भिजवाया. लौटवाया। इनमें ओडिशा, असम, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और उत्तराखंड के प्रवासी मजदूर थे। इसके अलावा बड़ी संख्या में दक्षिण भारत के प्रवासी मजरूदों को भी भेजा गया। इतना ही नहीं प्रवासी मजदूरों के सामने रोजगार की समस्या खड़ी हुई तो उन्हें रोजगार दिलाने के लिए प्रवासी रोजगार ऐप भी शुरू किया था।. मदद करने से सोनू थके नहीं और पश्चिम बंगाल में एक विधवा के लिए घर बनवाया, आंध्र प्रदेश में एक किसान को ट्रैक्टर दिलवाया, पुणे में वायरल वॉरियर के लिए एक स्कूल खुलवाया।
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