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घर के अंदर 6 फीट की दूरी रखने पर भी फैल सकता है कोरोना संक्रमण: शोध

September 16, 2021

कोरोनावायरस (Coronavirus) से बचाने का सबसे कारगर उपाय मानते आए हैं ‘दो गज की दूरी, मास्क है जरूरी…’ लेकिन एक ताजा स्टडी के अनुसार 2 मीटर यानी लगभग 6 फुट की शारीरिक दूरी संक्रमण रोकने के लिए काफी नहीं है. स्टडी के मुताबिक घर के अंदर वायरस ले जाने वाले एयरबोर्न एरोसोल (airborne aerosols) के ट्रांसमिशन (संचरण) को पर्याप्त रूप से रोकने के लिए ये दूरी काफी नहीं है. सस्टेनेबल सिटीज एंड सोसाइटी जर्नल (Sustainable Cities and Society Journal) में छपी स्टडी के परिणाम बताते हैं कि केवल शारीरिक दूरी (Social Distancing) मानव द्वारा निकाले गए एरोसोल के संपर्क को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं है और इसे अन्य नियंत्रण रणनीतियों जैसे मास्किंग और पर्याप्त वेंटिलेशन के साथ लागू किया जाना चाहिए.

रिसर्चर्स ने अपनी स्टडी के लिए तीन कारकों की जांच की. पहला, हवादार जगह और हवा की मात्रा, दूसरा, कई वेंटिलेशन रणनीतियों से जुड़े इनडोर एयरफ्लो पैटर्न और तीसरा, बात करने के दौरान सांस लेते वक्त एरोसोल एमिसन मोड.

इस दौरान ट्रेसर गैस के ट्रांसपोर्ट की तुलना भी की गई, जो आमतौर पर एयर-टाइट सिस्टम में लीकेज के टेस्ट के लिए यूज की जाती है और मानव श्वसन एरोसोल (human respiratory aerosols) का आकार एक से 10 माइक्रोमीटर तक होता है. इस श्रेणी में एरोसोल SARS-CoV-2, वायरस ले जा सकता है जो COVID-19 का कारण बनता है.

वायरस का इनडोर रिस्क
अमेरिका की पेनसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी (Pennsylvania State University) में डॉक्टरेट के छात्र और इस स्टडी के फर्स्ट राइटर जनरल पेई ने कहा, “हम इमारतों में संक्रमित लोगों से निकलने वाले वायरस से भरे कणों के एयर ट्रांपोर्टेशन का पता लगाने के लिए निकल पड़े थे, हमने एयरबोर्न वायरस के इनडोर रिस्क के लिए कंट्रोल रणनीतियों के रूप में वेंटिलेशन और शारीरिक दूरी के निर्माण के प्रभावों की जांच की.”



वेंटिलेशन नहीं होना खतरनाक
स्टडी से पता चलता है कि एक संक्रमित व्यक्ति के बात करने से वायरस से लदे कण – बिना मास्क के – एक मिनट के भीतर दूसरे व्यक्ति के श्वास में जल्दी से यात्रा कर सकते हैं, यहां तक ​​कि दो मीटर (करीब 6 फुट) की दूरी होने पर भी ऐसा हो सकता है. इस स्टडी के संबंधित लेखक और एसोसिएट प्रोफेसर डोंग्युन रिम (Donghyun Rim,) ने कहा, “यह ट्रेंड पर्याप्त वेंटिलेशन नहीं होने वाले कमरों में देखा गया.”

शोध करने वालों ने पाया कि ये एयरोसोल्स डिस्प्लेसमेंट वेंटिलेशन वाले कमरों में और अधिक तेजी से फ्लो करते हैं, जहां फ्रेश एयर लगातार फ्लोर से बहती है और पुरानी हवा को छत के पास एक एग्जिट वेंट में धकेलती है. इस तरह का वेंटिलेशन सिस्टम ज्यादातर घरों में स्थापित है.

ऑफिस और घर में तुलना
डोंग्युन रिम ने आगे कहा कि यह आश्चर्यजनक परिणामों में से एक ये है कि ऑफिस के वातावरण की तुलना में आवासीय वातावरण में एयरबोर्न इंन्फेक्शन की संभावना बहुत अधिक हो सकती है. उन्होंने जोर देते हुए कहा, “एयरबोर्न इंफेक्शन कंट्रोल करने के लिए शारीरिक दूरी, वेंटिलेशन और मास्क पहनने पर एक साथ विचार किया जाना चाहिए.”

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