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मैदान में उतरने से पहले ही BJP से पिछड़ गई Congress

September 14, 2021

  • चुनाव मैदान से लेकर सोशल मीडिया तक भाजपा तैयार

भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में 2023 में विधानसभा चुनाव है। इसकी बिसात अभी से बिछने लगी है। चुनाव मैदान से लेकर सोशल मीडिया (Social Media) तक प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा में जंग जीतने की होड़ है। भाजपा (BJP) ने अगले एक साल में खुद को आधुनिक सेवाओं से जोडऩे का प्लान तैयार कर लिया है। लेकिन फिलहाल कांग्रेस (Congress) इसमें पिछड़ती दिख रही है।
भाजपा (BJP) अपने संगठन वाले और सभी मंडल स्तर के दफ्तरों को आधुनिक सेवाओं से जोडऩे का प्लान बना कर तैयार है। प्रदेश में जहां भी किराए के भवन में दफ्तर है वहां पार्टी अब अपना भवन बनएगी। अगले 1 साल में पूरे प्रदेश में अपने को संगठन स्तर पर मजबूत बनाने के लिए पार्टी अपने दफ्तरों को आधुनिक बनाने की तैयारी में है। उसने तय किया है अगले एक साल में सभी पार्टी दफ्तर आधुनिक सेवाओं से लैस होंगे। ताकि भोपाल में बैठकर सभी संगठन वाले जिलों और मंडल स्तर तक पार्टी इकाइयों से जोड़ा जा सके और पार्टी गतिविधियों को गति दी जा सके।

ई-लाइब्रेरी से जुड़ेंगे दफ्तर
भाजपा के प्रदेश संगठन स्तर पर 57 जिले और 1070 मंडल हैं। सभी दफ्तरों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जोडऩे की सुविधा है। सभी संभागीय दफ्तर ई लाइब्रेरी से जोड़ दिये गए हैं। पार्टी ने अब तय किया है कि सभी जिला दफ्तरों को ई लाइब्रेरी से जोड़ा जाएगा। पार्टी ने ये भी तय किया है कि वो अपने सभी दफ्तरों को पेपर लेस बनाएगी। यानि सारा काम कम्प्यूटर पर होगा।

कोरोना और आधुनिक युग में सब हाईटेक
भाजपा प्रवक्ता हितेष वाजपेयी ने कहा पार्टी ने अपने दफ्तरों को आधुनिक बनाने पर काम शुरू कर दिया है। जल्द ही सभी दफ्तर आधुनिक अत्याधुनिक होंगे। पेपर लेस के साथ हाईटेक तकनीक के सहारे पार्टी की बैठक और गतिविधियां आयोजित होंगी।

हाईटेक से पहले दफ्तर बनाने की जुगत
दूसरी तरफ हाई-फाई होती भाजपा के मुकाबले कांग्रेस कमजोर साबित हो रही है। कांग्रेस के संगठन के लिहाज से 68 शहरी और ग्रामीण जिला इकाइयां हैं। लेकिन आलम यह कि पार्टी के पास खुद के सिर्फ 21 जिला कमेटियों के दफ्तर हैं। जबकि 19 जिलों में पार्टी दफ्तर के लिए कलेक्टर को आवेदन दिया गया है। जिस पर जिला प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की है। पार्टी के पास सिर्फ पांच ऐसी कमेटी हैं जिन्हें जमीन अलॉट है। ऐसे में पार्टी दफ्तरों को आधुनिक बनाने से पहले पार्टी की चिंता खुद के पार्टी दफ्तर बनाने को लेकर है।

तकनीक के बीच चुनाव
मध्य प्रदेश में 2023 का विधानसभा चुनाव 2018 के मुकाबले में कई मायनों में आधुनिक तकनीकों के सहारे लड़ा जाना तय है। ऐसे में जिस तेजी के साथ बीजेपी अपने आपको संगठन और नई तकनीकों से लैस कर रही है उसके मुकाबले कांग्रेस पिछड़ती हुई नजर आ रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि 2023 के चुनाव में भाजपा का आधुनिकीकरण और कांग्रेस की कोशिश जनता पर कितना असर डालती हैं।

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