उज्जैन। सिंहस्थ के दौरान केन्द्रीय जेल भैरवगढ़ (Central Jail Bhairavgarh) में निर्माल्य और फूलों के जरिये खाद बनाने वाला प्लांट स्थापित किया गया था। इसमें जेल के कैदियों को ही काम पर लगाया गया था। कुछ समय बाद जेल प्रशासन को पता चला कि महाकाल (Mahakaal) से आए फूलों में लगी भांग का सेवन कैदी करने लगे थे। इस कारण इसे बंद कर दिया गया था। यह प्लांट अब फिर शुरू होगा और महिला कैदियों को काम पर लगाया जाएगा।
कैंटिन और आऊटलेट भी खुलेगा
जेल अधीक्षिका ने बताया कि जेल परिसर में जल्द कैंटिन शुरू किए जाने की भी योजना है। पूर्व में यहाँ कैंटिन का संचालन होता था लेकिन इसे भी कुछ कारणों के चलते बंद कर दिया गया था। इसे फिर शुरू किया जाएगा। कैंटिन में साबुन, टूथ पेस्ट, नमकीन, बिस्किट्स आदि सामान्य चीजें कैदियों के लिए मिल सकेंगी। जबकि आउटलेट में कैदियों द्वारा निर्मित उपयोगी सामग्रियों का स्टाल लगेगा, इनमें कैदियों द्वारा हाथ से बनाई गई प्रतिमाएँ, पेंटिंग, कपड़े पर की गई प्रिंट तथा अन्य कलाकृतियाँ बेची जाएंगी।
आरटीपीसीआर के साथ आईसोलेशन जरुरी
कोरोना की तीसरी लहर की संभावनाओं के बीच जेल में तैयारियों के सवाल पर नवागत अधीक्षिका ने कहा कि इसके लिए जेल आ रहे नये कैदियों से आरटीपीसीआर जाँच रिपोर्ट ली जा रही है और उन्हें 14 दिन के लिए अलग बैरक आईसोलेट किया जा रहा है। कोविड गाईड लाईन का जेल में सख्ती से पालन हो रहा है।
डेंगू और वायरल का जेल में कोई मरीज नहीं
उन्होंने कहा कि भैरवगढ़ जेल में फिलहाल 2200 से ज्यादा कैदी सजा काट रहे हैं। इनमें से अभी तक किसी भी कैदी में वायरल फीवर या फिर डेंगू जैसी बीमारी की पुष्टि नहीं हुई है। सभी कैदियों के स्वास्थ्य पर बराबर नजर रखी जा रही है।
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