जेल अधीक्षक बनकर आई सोनकर की भांजी
सेन्ट्रल जेल अधीक्षक बनकर आई अलका सोनकर परिचय के तौर पर अपने आपको भाजपा के जिलाध्यक्ष राजेश सोनकर की सगी भांजी बता रही है और वे हैं भी। ये परिचय इसलिए दिया जाता है ताकि राजनीतिक लोग पर उन पर हावी न हो। अलका सोनकर जिलाध्यक्ष राजेश सोनकर के जबलपुर में रहने वाले बहनोई की बेटी हैं और बताया जा रहा है कि उनके स्थानांतरण में खुद मामा की प्रमुख भूमिका रही है। वैसे अलका का एक अलग ही अंदाज है, उसको देखते हुए सोनकर भी बोल देते हैं कि भांजी हैं तो घर में, वह तो जेल में मेरी सुनती भी नहीं। सही भी है नहीं तो राजनीति के साथ एक नया काम शुरू हो जाएगा ‘मुलाकात’ करवाने का।
मनस्वी का मन फिर डोलने लगा
युवा मोर्चा के नगर अध्यक्ष मनस्वी पाटीदार का मन अब फिर डोल रहा है। पहले मनस्वी पाटीदार पार्षद का चुनाव लडऩे की बात कर रहे थे, लेकिन लगातार टलते नगरीय निकाय चुनाव के बाद मनस्वी ने अपना मन बदल लिया है और युवा मोर्चा अध्यक्ष पद पर कायम रहने के लिए बड़े नेताओं से संपर्क करना शुरू कर दिया है। अब वे अपने समर्थकों से भी कहते फिर रहे हैं कि संगठन में ही काम करना है। हालांकि मनस्वी के प्रतिद्वंद्वियों ने उन्हें हटाने की पूरी तैयारी कर ली है और मनस्वी अपने कार्यकाल में कहां-कहां फैल हुए उसकी सूची भी बना रखी है। मनस्वी के मामले में पार्टी के नेता भी उन्हें रिपीट करने के पक्ष में नहीं है और कोई नया ही अध्यक्ष मोर्चा को मिलेगा।
20 साल पहले राजनीति में थें क्या सिंधिया?
माधवराव सिंधिया का देहांत हुए 19 साल हो गए और लगभग इतना ही वक्त ज्योतिरादित्य सिंधिया को राजनीति में आए हो गया। इंदौर में जब सिंधिया सुदर्शन गुप्ता के घर भोजन करने गए तो उन्होंने उनकी भगतसिंह वाली टोपी की तारीफ की और कहा कि वे 20 साल से टोपी से उनको पहचानते हैं। इस पर कांग्रेसियों ने भी लगे हाथों चढ़ाई कर दी। कांग्रेस प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने ट्वीट कर डाला कि जब उनके पिता का निधन ही 19 साल पहले हुआ था तो ये उन्हें 20 साल से कैसे पहचान रहे हैं? मिश्रा ने अपनी आदत के अनुसार ट्वीट के आखिर में यह भी लिखा कि इसे कहते हैं झूठा मजाक और नमक का कर्ज अदा करना।
विरोधियों की चाल में उलझ गए मंजूर मियां
भाजपा के कर्तव्यनिष्ठ नेता के रूप में मुस्लिम समाज का चेहरा है मंजूर अहमद और वे वर्तमान में अल्पसंख्यक मोर्चा नगर अध्यक्ष भी हैं। सीएए और एनआरसी की खिलाफत में कई मुस्लिम नेता मोर्चा अध्यक्ष की दौड़ से बाहर हो गए तो मंजूर फिर से अध्यक्ष बनने की जुगत भिड़ा रहे हैं। हालांकि एक मामले में मंजूर मात खा गए और उस नेता का जन्मदिन मनाने पहुंच गए, जिसने सीएए और एनआरसी के मंच पर अपने साथियों के साथ जाकर भाजपा छोड़ दी थी और उसका खूब प्रचार किया था। बस क्या था मंजूर जाल में फंस गए हैं और वे फोटो भोपाल तक पहुंचा दिए गए हैं ताकि मंजूर मियां फिर से अध्यक्ष नहीं बने।
सीएम के सामने नाराज हो गए आकाश
एयरपोर्ट पर आए सीएम से मिलने सांसद शंकर लालवानी और नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे पहुंचे थे। सीएम का विमान जल्दी उतर गया तो शहर के विकास कार्यों को लेकर बात चल पड़ी। कलेक्टर मनीष सिंह ने नई मंडी का नक्शा सीएम के सामने रख दिया और लालवानी तथा रणदिवे बताने लगे कि कैसे इस मंडी के बन जाने से व्यापारियों को राहत मिलेगी। इतने में विधायक आकाश विजयवर्गीय भी पहुंच गए और आते ही कह दिया कि थोड़ी देर तो रूक जाते। उनका कहना था कि मंडी मेरे क्षेत्र में आती हैं और उससे जुड़ी चर्चा में मेरे लिए रूकना था।
बेटी को विधानसभा में घूमा रहे गुड्डू
पूरी तरह से अपनी राजनीतिक विरासत को बेटी रीना बौरासी सेतिया को सौंपने का मन बना चुके पूर्व सांसद और हाल ही में सांवेर से चुनाव लड़े प्रेमचंद गुड्डू बेटी को सांवेर में घूमा रहे हैं। पिछले दिनों वे सांवेर में थें और बेटी को सब नेताओं से मिलवा रहे थे। उनकी बेटी के लिए सांवेर नया नहीं है, क्योंकि उपचुनाव में वे यहां काम कर चुकी हैं। वैसे राजनीतिक समझदार कहने लगे हैं कि बेटी ही सांवेर में अब अगली बार विधानसभा चुनाव लड़ेगी। खैर टिकट मिलना न मिलना तो अभी दूर की कौड़ी हैं, लेकिन जब तक पैर जमाने की कोशिश तो की जा सकती है।
यूनिवर्सिटी में भी नहीं बुलाया कांग्रेसियों को
कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों को कहीं बुलाया नहीं जाता और वे अपनी खीझ उतारने के सिवा कुछ कर भी नहीं सकते हैं। शहर के विकास के लिए हुई बैठक में तीनों विधायकों को नहीं बुलाया गया और भाजपा के हरल्ले विधायकों तथा नेताओं को विशेष तवज्जो दी गई। शनिवार को यूनिवर्सिटी में आयोजित आजादी के अमृत महोत्सव के तहत एक कार्यक्रम था, जिसमें पूर्व मंत्री और क्षेत्रीय विधायक जीतू पटवारी को नजरअंदाज कर दिया गया। मंच भाजपा के जनप्रतिनिधियों से भरा था और कांग्रेसी अधिकारियों कोस रहे थे। वैसे अधिकारियों ने भी कांग्रेसियों की ओर से अपने कान बंद कर रखे हैं और सोच रखा है कि कांग्रेसियों को जितना चिल्लाना है चिल्लाने दो।
बायपास के कंट्रोल एरिया की जगह को कम करने को लेकर भाजपा के बड़े नेताओं ने जो रूचि दिखाई और मुख्यमंत्री से मिलकर कंट्रोल एरिया को ही आधा करवा दिया, उसकी चर्चा शहर में हैं। बताया जा रहा है कि बायपास पर जो निर्माण हो गए थे या चल रहे थे, उनमें शहर के नामी बिल्डर्स जो राजनीतिक लोगों से जुड़े हैं का भी नुकसान हो रहा था। खैर अब उन्हें राहत मिल गई है और उन्होंने भाजपा नेताओं को धन्यवाद भी कह दिया है। -संजीव मालवीय
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