नई दिल्ली। चीन सरकार (Chinese Government) और वहां बड़ी कंपनियों के बीच इस समय व्यापार को लेकर काफी तनातनी चल रही है। एक तरफ़ चीनी सरकार अपनी कंपनियों को टाइट कर रही है तो वहीं राष्ट्रपति शी जिन पिंग ने कहा कि सरकार को कंपनियों को रास्ता दिखाना चाहिए कि वो कम्युनिस्ट पार्टी की आज्ञा का पालन करें, यही वजह है कि चीन कुछ समय से आर्थिक संकट (Economic Crisis) से जूझ रहा है, हालांकि चीन ने हाल ही में आतंकी संगठन तालिबान को आर्थिक मदद का भी ऐलान किया है। इतने खराब हालात होने के बाद भी चीन उदारवादी दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। नौबत यहां तक आ गई चीन को पहली बार स्ट्रेटेजिक रिजर्व से तेल (strategic reserve oil) की बिक्री शुरू करनी पड़ गई है। चीन की सरकार ने कहा है कि कच्चे तेल की कीमतों (Crude Prices) पर अंकुश लगाने के लिए ये कदम उठाया गया है।
हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि इसे चीन में आर्थिक चुनौतियों में बढ़ोतरी के तौर पर देखा जाना चाहिए। हाल में चीन ने कहा कि था कि वो 2020 के आखिर तक 8.5 करोड़ टन का ऑयल रिजर्व (Oil Reserve) तैयार करना चाहता है, जो अमेरिका के रणनीतिक पेट्रोलियम रिजर्व के बराबर है। ऐसे में दुनिया के सबसे बड़े आयातक के अपने ऑयल रिजर्व से कच्चे तेल बेचने को आर्थिक संकट के तौर पर देखा जा रहा है।
चीन के ग्रेन एंड मैटेरियल रिजर्व के स्टेट ब्यूरो ने कहा कि पहली बार स्टेट काउंसिल ने नेशनल रिजर्व से चरणबद्ध तरीके से कच्चे तेल के बिक्री को मंजूरी दे दी है. स्टेट ब्यूरो ने कहा कि काउंसिल ने ये कदम कंपनियों के लिए कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी के दबाव को कम करने के लिए उठाया गया है. नेशनल रिजर्व क्रूड ऑयल की बाजार में खुली बोली के जरिये से घरेलू बाजार में आपूर्ति और मांग में स्थिरता आएगी साथ ही नेशनल एनर्जी सिक्योरिटी की गारंटी मिलेगी।
चीन के सरकारी विभाग के अनुसार ये बिक्री रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल कंपनियों को की जाएगी। चीन सरकार की इस घोषणा के बाद घरेलू बाजार में कच्चे तेल की कीमत में 1.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. इसका असर अंतरराष्ट्रीय बाजार पर भी पड़ा है। अमेरिका में कच्चे तेल की कीमत 1.7 फीसदी गिरी।
वहीं विशेषज्ञों के मुताबिक, चीन की अर्थव्यवस्था मुश्किलों का सामना कर रही है। देश का उत्पादक मूल्य सूचकांक अगस्त 2021 में 13 साल के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया था इसकी सबसे बड़ी वजह पेट्रोलियम के दाम में बढ़ोतरी को बताया गया. बिजली की मांग भी देश में तेजी से बढ़ रही है। इससे कई प्रांतों में बिजली आपूर्ति बाधित हुई है. कुछ दिन पहले चीन की सरकार ने चेतावनी दी थी कि अगर पेट्रोलियम और बिजली की कीमत में बढ़ोतरी जारी रही तो इसका असर आर्थिक वृद्धि दर व रोजगार पर पड़ेगा।
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